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वादे से पीछे हट रही झारखंड की हेमंत सरकार, अनुबंधकर्मियों की सेवा नहीं हो रही स्‍थायी

Jharkhand Political News हड़ताल में अनुबंधकर्मियों का क्या दोष है। सत्तारूढ़ झामुमो ने चुनावी घोषणापत्र में अस्थायी कर्मियों को स्‍थायी करने का वादा किया था।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Sat, 08 Aug 2020 02:48 PM (IST)Updated: Sat, 08 Aug 2020 02:51 PM (IST)
वादे से पीछे हट रही झारखंड की हेमंत सरकार, अनुबंधकर्मियों की सेवा नहीं हो रही स्‍थायी
वादे से पीछे हट रही झारखंड की हेमंत सरकार, अनुबंधकर्मियों की सेवा नहीं हो रही स्‍थायी

रांची, राज्य ब्यूरो। Jharkhand Political News कोरोना संकट काल में अनुबंधित पारा मेडिकल कर्मियों की हड़ताल भले ही तत्काल समझौते के बाद टल गई है, लेकिन इन कर्मियों का ज्यादा दोष नहीं दिखता। दस हजार से ज्यादा अनुबंधित पारा मेडिकल कर्मी अपनी सेवा स्थायी करने के लिए हेमंत सरकार पर दबाव बना रहे हैं। दरअसल, झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के चुनावी वादे का यह अहम हिस्सा है कि सत्ता में आने के बाद वे सभी अऩुबंधित और अस्थायी कर्मियों को स्थायी करेंगे।

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मोर्चा के घोषणापत्र में इसका जिक्र है। अब हड़ताल को लेकर विभिन्न स्तरों पर कार्रवाई से पारा मेडिकल कर्मी सवाल उठा रहे हैं कि चुनावी वादों को पूरा करने की बारी आई, तो सरकार पीछे हट रही है और सख्त कानूनों का हवाला दे रही है। कुछ ऐसा ही हाल मनरेगा कर्मियों का है। वे भी हड़ताल पर हैं और इसका असर इससे जुड़े कामकाज पर पड़ रहा है। लगभग ढाई लाख मनरेगा मजदूरों का जॉब कार्ड नहीं बन रहा है।

उनकी मांग मजदूरी बढ़ाने की है। झारखंड में सबके कम मजदूरी मनरेगा कर्मियों को मिलती है। झामुमो के घोषणापत्र में किसी भी काम के लिए न्यूनतम 335 रुपये मजदूरी का वादा किया गया था। हालांकि, सरकार ने इस बाबत केंद्र सरकार से गुहार लगाई है। पारा शिक्षकों ने भी इसी तर्ज पर अपनी मांगों को लेकर दबाव तेज किया है। वे स्थायीकरण चाहते हैं। इस बाबत प्रक्रिया भी चल रही है, लेकिन उसमें तकनीकी पेंच ज्यादा है।

'झारखंड मुक्ति मोर्चा अपने चुनावी वादे पर अटल है। सारी प्रक्रिया चल रही है। अनुबंधकर्मियों को नियमित करने की प्रक्रिया आरंभ की गई है। कुछ अधिकारियों के कारण ऐसा भ्रम फैलता है, जिसका समाधान भी कर लिया जाएगा।' -सुप्रियो भट्टाचार्य, महासचिव, झामुमो।


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