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Ex CM रघुवर की एक और घेराबंदी, स्किल समिट में युवाओं को मिले रोजगार की होगी जांच; लिम्‍का बुक में दर्ज हुआ था रिकॉर्ड

वर्ष 2018 व 2019 में रघुवर सरकार ने झारखंड स्किल समिट में सवा लाख युवाओं को रोजगार देकर रिकॉर्ड बनाया था। सीएम हेमंत सोरेन की सरकार ने इसकी जांच के आदेश दिए हैं।

By Alok ShahiEdited By: Published: Thu, 12 Mar 2020 07:29 AM (IST)Updated: Thu, 12 Mar 2020 07:29 AM (IST)
Ex CM रघुवर की एक और घेराबंदी, स्किल समिट में युवाओं को मिले रोजगार की होगी जांच; लिम्‍का बुक में दर्ज हुआ था रिकॉर्ड
Ex CM रघुवर की एक और घेराबंदी, स्किल समिट में युवाओं को मिले रोजगार की होगी जांच; लिम्‍का बुक में दर्ज हुआ था रिकॉर्ड

रांची, राज्य ब्यूरो। वर्ष 2018 तथा 2019 में आयोजित स्किल समिट में युवाओं को मिले रोजगार की जांच होगी। रोजगार को लेकर विभिन्न कंपनियों से मिले ऑफर लेटर के आधार पर कितने युवाओं ने रोजगार प्राप्त किया तथा वर्तमान में कितने युवा वहां काम कर रहे हैं, इसकी वर्तमान स्थिति की जांच की जाएगी। उच्च, तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास विभाग एक कमेटी गठित कर इसकी जांच कराएगा। राज्य सरकार ने एक विधायक के सवाल के जवाब में विभागीय कमेटी से इसकी जांच कराने की बात कही है।

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भाजपा सरकार में उच्च, तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास विभाग द्वारा वर्ष 2018 में आयोजित स्किल समिट में एक ही दिन 26,667 युवाओं को विभिन्न कंपनियों में रोजगार दिलाया गया था। बकायदा एक ही दिन इतनी बड़ी संख्या में जॉब प्लेसमेंट देने के लिए लिम्का बुक ऑफ रिकाड्र्स- इंडियन रिकार्ड में रिकार्ड दर्ज किया गया था। यह रोजगार उच्च, तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास विभाग के अलावा ग्रामीण विकास, नगर विकास, श्रम नियोजन एवं प्रशिक्षण, उद्योग, पर्यटन कला संस्कृति आदि विभागों द्वारा दिलाया गया था। इसके अगले वर्ष बाद अर्थात वर्ष 2019 में भी उच्च तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास विभाग द्वारा विभिन्न विभागों के सहयोग से आयोजित ग्लोबल स्किल समिट में 1,06,619 युवाओं को विभिन्न कंपनियों में रोजगार उपलब्ध कराने का दावा किया गया था।

रोजगार की गुणवत्ता पर उठते रहे हैं सवाल

पिछली सरकार में लगातार दो वर्षों में आयोजित स्किल समिट में युवाओं को मिले रोजगार की संख्या और गुणवत्ता के अलावा स्किल समिट में हुए खर्च पर सवाल उठते रहे हैं। पूर्व मंत्री सरयू राय सहित कुछ अन्य विधायकों ने इसपर सवाल उठाया है। कहा गया है कि आठ से 10 हजार रुपये वेतन की नौकरियों के लिए झारखंड के युवाओं को चेन्नई, पुणे, हरियाणा जैसे सुदूर क्षेत्रों में भेजा गया। इनमें से कई युवा बाद में निराश होकर लौट भी गए। विधायक प्रदीप यादव ने विधानसभा में इसपर सवाल उठाया था, जिसके जवाब में सरकार ने नियोजन की वर्तमान स्थिति की विभागीय जांच समिति से जांच कराने की बात कही।


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