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CBI Inquiry: हेमंत सरकार के कई अफसरों पर आफत, झारखंड हाईकोर्ट ने सीबीआइ जांच का दिया आदेश

CBI Inquiry Jharkhand झारखंड हाई कोर्ट ने आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र में जमीन आवंटन में मनमानी की सीबीआइ जांच का आदेश दिया है। कोर्ट ने माना कि तत्कालीन एमडी और अब उद्योग सचिव की भी हो सकती है संलिप्तता। अधिकारियों की आय से अधिक संपत्ति की भी होगी जांच।

By Manoj SinghEdited By: M EkhlaquePublished: Sat, 24 Sep 2022 10:21 PM (IST)Updated: Sat, 24 Sep 2022 10:24 PM (IST)
CBI Inquiry: हेमंत सरकार के कई अफसरों पर आफत, झारखंड हाईकोर्ट ने सीबीआइ जांच का दिया आदेश
CBI Inquiry Jharkhand: झारखंड हाईकोर्ट ने आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र से संबंधित अफसरों की जांच का आदेश दिया।

रांची, राज्य ब्यूरो। Adityapur Industrial Development Authority झारखंड हाई कोर्ट ने आदित्यपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (आइडा) में नियमों का उल्लंघन कर जमीन आवंटित करने और बिना नियमों का पालन करते हुए व्यावसायिक दर निर्धारित करने की सीबीआइ जांच का आदेश दिया है। अदालत ने माना कि आइडा के अधिकारियों की मिलीभगत के चलते नियमों का उल्लंघन किया गया है। अदालत ने आइडा की तत्कालीन एमडी और वर्तमान में उद्योग सचिव वंदना डाडेल की संलिप्तता पाते हुए उनकी भी सीबीआइ जांच का आदेश दिया है।

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अदालत को गुमराह करने की कोशिश

अदालत ने कहा कि उद्योग सचिव वंदना डाडेल ने कोर्ट को गुमराह करने की कोशिश की है। अदालत ने राज्य के मुख्य सचिव से कहा है कि सचिव वंदना डाडेल ने अदालत को गुमराह किया है और तथ्यों को छिपाया है। इस कारण वह भी इसकी जांच करे और तथ्य मिलने पर उनके खिलाफ आदेश मिलने के 15 दिनों के अंदर कार्रवाई करें। वंदना डाडेल उस दौरान आइडा की एमडी थीं। अदालत ने माना कि प्रार्थी ने आइडा के अधिकारियों पद से मिलीभगत कर फर्जीवाड़ा किया है इसलिए याचिका खारिज की जाती है।

अधिकारी अदालत का नहीं करते सम्मान

अदालत ने कहा है कि राज्य के अधिकारी कोर्ट का सम्मान नहीं करते हैं हैं। कोर्ट के सवालों के जवाब देने भी उचित नहीं समझते हैं। यह मामला वर्ष 2009 से लंबित है। 13 सालों में प्रार्थी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करने से प्रतीत होता है कि अधिकारी कोर्ट की आड़ में व्यक्तिगत लाभ ले रहे हैं, जो बहुत ही गंभीर मामला है। अदालत ने कहा कि पूरे मामले की जांच सीबीआइ की एसआइटी करे। ताकि राज्य में भ्रष्टाचार लगाम लगाई जा सके। अदालत ने कहा कि वर्ष 2001 से अब तक आइडा में कार्यरत सभी अधिकारी कर्मचारियों की नियुक्ति के समय से आय से अधिक संपत्ति की भी जांच की जाए।

अदालत को स्पष्ट जवाब नहीं दिया गया

सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि प्रार्थी को प्लांट लगाने के लिए आइडा में वर्ष 2001 में आवंटित की गई। लेकिन बाद उन्होंने उक्त जमीन पर कार का सर्विस सेंटर खोल लिया। आइडा ने इसे इसके लिए दस गुना शुल्क वसूलने का आदेश जारी किया। सुनवाई के दौरान अदालत को इस बात की जानकारी नहीं मिल पाई कि उक्त जमीन कैसे आवंटित की गई। इसके बाद अदालत ने उद्योग सचिव से पूछा था कि तत्कालीन आइडा के एमडी और उद्योग सचिव के खिलाफ इस मामले में कार्रवाई क्यों नहीं की गई। लेकिन इसका स्पष्ट जवाब दाखिल नहीं किया गया।

IAS वंदना डाडेल पर कई गंभीर आरोप

अदालत ने कहा कि वंदना डाडेल उस दौरान आइडा की एमडी थी और उन्हें सारे तथ्यों की जानकारी थी, फिर भी उन्होंने अदालत से तथ्यों को छुपाने की कोशिश की है। अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि आयडा जैसी संस्थानों का गठन औद्योगिक विकास और रोजगार देने के लिए किया गया है। लेकिन यहां अधिकारियों ने अपने लाभ के लिए नियमों का उल्लंघन कर नियम बना लिए हैं। बोर्ड को निर्णय लेने का अधिकार सुनवाई के दौरान अदालत ने कि क्या आयडा खुद इस तरह का प्रविधान बना सकता है। क्या किसी एक्ट में बदलाव के लिए विधायिका की मंजूरी नहीं है, तो बताया गया कि आयडा के बोर्ड आफ डायरेक्ट्रेट ने सर्व सम्मति से ऐसा करने का निर्णय लिया था। फैक्ट्री के बदले शो रूम खोलने वालों से व्यावसायिक शुल्क लेने का निर्णय लिया गया। अदालत को बताया गया कि जब यह निर्णय लिया गया तब आयडा की तत्कालीन अध्यक्ष वंदना डाडेल भी बैठक में शामिल थीं।

आयडा को नियम बदलने का अधिकार नहीं

अदालत ने उद्योग सचिव से मामले में विस्तृत जानकारी मांगी। उनकी ओर से दाखिल शपथपत्र में कहा कि आयडा को नियमों में संशोधन करने का अधिकार नहीं है। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि प्रतीत होता है कि आयडा में नियमों का उल्लंघन कर अधिकारी अपने अधिकार का दुरूपयोग कर जमीन आवंटन कर रहे हैं। इसमें उनका निजी स्वार्थ भी हो सकता है। जिस समय शो रूम के लिए व्यावसायिक दर निर्धारित किया गया उस समय वंदना डाडेल ही आयडा की चेयरमैन थीं। सचिव बनने के बाद भी इस मामले में उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की।

एसीबी से नहीं करा सकते हैं जांच

अदालत ने कहा कि इस तरह के मामले की जांच राज्य सरकार की एजेंसी एसीबी से भी कराई जा सकती है। लेकिन वर्तमान में वंदना डाडेल कैबिनेट (निगरानी) सचिव भी हैं। राज्य की एक वरीय आइएएस को ईडी ने गिरफ्तार किया है। ऐसे में इस मामले की एसीबी से जांच कराना उचित नहीं होगा। इसलिए इसकी जांच सीबीआइ को सौंपी जा रही है।

जानिए यह है पूरा मामला

बेबको मोटर्स प्राइवेट लिमिटेड ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा कि कंपनी को भारत फोम इंडस्ट्रीज को प्लांट लगाने के लिए जमीन आवंटित किया गया था। बाद में कंपनी ने अपना प्रोजेक्ट बदल दिया और कार का सर्विस सेंटर व रिपेयरिंग सेंटर खोलने की अनुमति मांगी। तब आयडा के अध्यक्ष ने शो काज किया और प्रोजेक्ट बदलने का कारण पूछा। बाद में आइडा के बोर्ड ने उनके आवेदन को मंजूरी प्रदान कर दी है। ऐसे में उनके खिलाफ शो काज नहीं किया जा सकता है। साथ ही उनसे व्यवसायिक राशि भी नहीं वसूली जा सकती है।


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