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Hemant Soren Exclusive Interview: सबसे मजबूत है मेरी सरकार, हम औरों से अलग काम कर रहे : हेमंत सोरेन

Hemant Soren Exclusive Interview पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को पछाड़कर झारखंड की सत्ता पर काबिज होने वाले हेमंत सोरेन ने अपने शासनकाल के एक साल पूरे कर लिए हैं। इस दरम्यान वैश्विक महामारी कोरोना और उससे पैदा हुई दुश्वारियों से निपटने में उन्होंने पूरी ऊर्जा लगा दी।

By Vikram GiriEdited By: Published: Tue, 29 Dec 2020 09:46 AM (IST)Updated: Tue, 29 Dec 2020 12:03 PM (IST)
Hemant Soren Exclusive Interview झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की फाइल फोटो। जागरण

रांची । Hemant Soren Exclusive Interview पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को पछाड़कर झारखंड की सत्ता पर काबिज होने वाले हेमंत सोरेन ने अपने शासनकाल के एक साल पूरे कर लिए हैं। इस दरम्यान वैश्विक महामारी कोरोना और उससे पैदा हुई दुश्वारियों से निपटने में उन्होंने पूरी ऊर्जा लगा दी। जब दूसरे राज्य लौटने वाले प्रवासी मजदूरों को अपने यहां आने से रोक रहे थे तो हेमंत सोरेन खुद स्टेशन जाकर उनकी अगवानी कर रहे थे। लेह-लद्दाख में फंसे प्रवासी श्रमिकों को उन्होंने हवाई जहाज से वापस बुलाया।

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इस बीच उनके कैबिनेट सहयोगी और करीबी विधायक भी कोरोना की चपेट में आने लगे, लेकिन उन्होंने सक्रियता कम नहीं की। बार-बार सपरिवार वे कोरोना टेस्ट कराते और कत्र्तव्य पथ पर आगे बढ़ते जाते। मुख्यमंत्री इस बात को लेकर खुश हैं कि कोरोना आपदा से हर मोर्चे पर निपटने में झारखंड को कामयाबी मिली। हालांकि वे यह भी मानते हैं कि संकट अभी टला नहीं है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने एक वर्ष के शासनकाल की चुनौतियों, उपलब्धियों और विविध योजनाओं पर विस्तार से दैनिक जागरण के राज्य ब्यूरो प्रभारी प्रदीप सिंह से बातचीत की।

सवाल - आप कहते हैं कि विपक्ष नेतृत्व विहीन है। विपक्ष आरोप लगाता है कि आपने वादे पूरे नहीं किए।

जवाब - हमने जिस दिन सरकार की बागडोर संभाली, उसी दिन से वादों को पूरा करने की दिशा में काम आरंभ कर दिया। नेता विहीन भाजपा स्तरहीन राजनीति करती है। इनके आरोपों का स्तर बयानों से स्पष्ट हो जाता है। नेता प्रतिपक्ष का चयन विधायी कार्य के तहत आता है। इस पद को भी जान-बूझकर इन्होंने विवादित कर दिया ताकि कामकाज की गति प्रभावित हो। आप भी जानते हैं कि कई पदों पर नियुक्ति बगैर नेता प्रतिपक्ष के नहीं की जा सकती है।

सवाल - किसानों की ऋण माफी का निर्णय लेने में देरी के पीछे क्या वजहें रही?

जवाब - खजाना में कुछ रहेगा, तब तो देंगे। हमें खाली खजाना मिला। सत्ता को पूर्ववर्ती सरकार ने ध्वस्त कर रखा था। यही कारण रहा कि किसानों की ऋण माफी का निर्णय लेने में देरी हुई। पूर्व की सरकार चलाने वाले बताएं कि बजट के विरुद्ध आमदनी की क्या व्यवस्था की थी? इन्होंने बस गुब्बारे में हवा भर रखी थी, लोगों को सिर्फ ठगा गया। हमने इसे माइलस्टोन के तौर पर स्थापित किया है। हम रीढ़ की हड्डी मजबूत कर रहे हैं। एक साल में कई नई चीजें तैयार की है ताकि राज्य को एक नई दिशा देने में सक्षम हो पाएं। ये (भाजपा) किस मुंह से किसानों को धोखा और रोजगार नहीं देने का आरोप लगाते हैं। पूर्व की सरकार ने छठी जेपीएससी का रिजल्ट तक जारी नहीं किया। हमने रिजल्ट प्रकाशित किया। कोरोना के बीच जैसे-जैसे हमें रास्ता मिला, हमने उसका सदुपयोग किया।

सवाल : किस प्रकार की चुनौतियां आपने इस दौरान महसूस की और उससे निपटने के क्या उपाय किए?

जवाब - वैश्विक महामारी कोरोना से निपटने के लिए हमने बेहतर प्रबंधन किया। यह बड़ी चुनौती थी, या यह भी कह सकते हैं कि असाधारण चुनौती मेरे सामने थी। हमने मिलकर काम किया और आगे बढ़े। जिलों से लेकर प्रखंड में कोरोना की जांच की व्यवस्था की। विश्व स्तरीय प्रयोगशाला स्थापित की। पचास लाख से ज्यादा लोगों का टेस्ट करने में सफल रहे। हमारा रिकवरी रेट सबसे बेहतर है। यह भी कह सकते हैं कि हमने वैश्विक महामारी को गले लगाया। लाकडाउन प्रारंभ होने के बाद मजदूर आए। जगह-जगह लोग फंसे थे। कई राज्यों ने मना कर दिया, लेकिन झारखंड पहला राज्य था, जिसने मजदूरों को लाने की वकालत की। हम कोरोना को एक मायने में न्योता दे रहे थे। हमने महीनों मुफ्त भोजन खिलाया, जो देश में पहली बार हुआ। विकास का कार्य लगभग ठप था। हमारे भी विकास कार्य ठप हुए। अधिकतर मजदूर ग्रामीण क्षेत्र के थे, ये हतोत्साहित नहीं हों, इसलिए हमने ग्रामीण स्तर पर कार्ययोजना चलाई। 20 साल की रिकार्ड तोड़ उपलब्धि हमने हासिल की। आठ करोड़ से ज्यादा मानव दिवस हमने मनरेगा में सृजित किए। पूर्व की सरकार में कोई आपदा नहीं आई थी तो भूख से मौत के मामले आते थे। महामारी में एक भी व्यक्ति भूख से नहीं मरा। धनबाद में एक संदेहास्पद मामला सामने आया था। मैंने संज्ञान लिया है। इसमें जो भी दोषी होंगे वे दंडित होंगे। मैं भी लगातार आफिस जाता रहा, काम करता रहा। समय का सदुपयोग करते हुए भविष्य की कार्ययोजना बनाना आरंभ किया। अलग हटकर योजनाएं बनाई। कई नीतिगत फैसले लिए।

सवाल - कल्याणकारी योजनाओं की दिशा में सरकार किस स्तर पर आगे बढ़ रही है। इस संबंध में किन योजनाओं पर आगे काम तेज होगा।

जवाब - देखिए, राज्य में गरीबों की संख्या सरकार की सोच से काफी ज्यादा है। हम अतिरिक्त 15 लाख गरीबों को राशन देंगे। सबको विधवा और वृद्धा पेंशन भी मुहैया कराएंगे। झारखंड पहला राज्य होगा, जहां के आदिवासी समुदाय के बच्चे विदेश में उच्च शिक्षा लेने के लिए जाएंगे। सरकार उन्होंने छात्रवृत्ति प्रदान करेगी। हम महिला सशक्तिकरण की दिशा में काम कर रहे हैं। हाट-बाजार में मजबूर महिलाएं शराब बेचने को विवश थीं। हमने फूलो-झानो आशीर्वाद योजना लागू कर ऐसी 19 हजार महिलाओं को चिन्हित किया है। जमशेदपुर में सरकार ट्राइबल यूनिवर्सिटी आरंभ करेगी। हम इसका उद्घाटन करेंगे। सरकार ने शिक्षा में नया क्रांतिकारी निर्णय किया है। पहले चरण में राज्य के हर जिले में एक माडल स्कूल होगा जो पूरी तरह सीबीएसइ से संबद्ध होगा। इसका उद्देश्य भी है कि एक तीर से दो शिकार किया जाए। हमारे गरीब बच्चे प्राइवेट स्कूलों में नहीं पढ़ पाते। उनको प्राइवेट स्कूलों के बच्चों के पैरेलल (समानांतर) खड़ा करेंगे। प्राइवेट स्कूलों में 25 प्रतिशत बीपीएल बच्चों की योजना में कमी है। अच्छे स्कूल नहीं रहने के कारण पदाधिकारी सुदूर इलाकों में नहीं जाना चाहते। इस योजना से पदाधिकारी भी उत्साहित होंगे।

सवाल - राजस्व और रोजगार के स्त्रोत विकसित करने पर आपका फोकस है। इस दिशा में किस प्रकार काम हो रहा है।

जवाब - अभी तक राज्य में खनिज संपदा के इर्द-गिर्द ही सोच रहा है। हमलोग इसके साथ-साथ अन्य क्षेत्रों को बेहतर दिशा दे सकते हैं। उसपर हमलोग काम में लगे हैं। नई टूरिज्म पालिसी और खेल नीति बनाई गई है। जेपीएससी के भी नए नियम बनाए गए हैं। हमने पहले ही कहा कि झारखंड अपना संसाधन विकसित करेगा ताकि किसी पर निर्भरता नहीं रहे। 

सवाल - राज्य सरकार ने केंद्र सरकार की कई नीतिगत मसलों पर विरोध भी जताया है। इसकी क्या वजहें रही?

जवाब - मेरा मानना है कि केंद्र व राज्य में बेहतर समन्वय रहे। इससे संघीय ढांचा मजबूत होगा। मेरा साल भर का अनुभव खट्टा रहा है। डीवीसी राज्य की बिजली काट रहा है। बकाए के मद में झारखंड के आरबीआइ खाते से कटौती कर ली गई। हमें जीएसटी मुआवजे का पैसा नहीं मिल रहा है। हमने सोच लिया है कि अपने राज्य को अपने पैर पर खड़ा करेंगे। कई नए रिफार्म, नए टैक्स के प्रावधान किए गए हैं। इसका आर्थिक लाभ मिलने वाला है। इससे आपदा में काम के लिए सरकार को आसानी होगी। हमें एक-एक रुपये के लिए केंद्र का मुंह देखना पड़ता है। हमारे राज्य में काफी आंतरिक संसाधन हैं, लेकिन 20 साल में किसी ने विकास का ब्लूङ्क्षप्रट नहीं बनाया। कभी कोई पहल ही नहीं की। राज्य में भारत सरकार के कई उपक्रम हैं। सभी से जवाब तलब किया गया है। कमेटी भी बनाई गई है। उन कंपनियों पर हजारों करोड़ का बकाया है। कभी कंपनियों ने मुआवजे का भुगतान ही नहीं किया। केंद्रीय मंत्री आकर 250 करोड़ दे गए हैं। यह दरवाजा खोलने का प्रयास तो है, लेकिन इतनी कम राशि ऊंट के मुंह में जीरे के समान है।

सवाल - पंचायत चुनाव कराने की दिशा में सरकार क्या सोच रही है? निजी क्षेत्रों में आरक्षण की बात भी आप कहते रहे हैं।

जवाब - हम जो कहते हैं, करते हैं, कुछ विलंब, कुछ जल्दी, ये सारे निर्णय आएंगे। पंचायत चुनाव की दिशा में भी आगे बढ़ेंगे, लेकिन जो समय निर्धारित है, उसपर कराना संभव नहीं है। अभी वैश्विक महामारी कोरोना के दौर से राज्य बाहर नहीं आया है। राज्य की वर्तमान स्थिति अनुकूल नहीं है। देखिए, पिछले 18-19 वर्षों में इतने घाव हैं कि सबको ठीक करना है। राज्य अब दौडऩे के लिए तैयार है। हम भी इसी उद्देश्य से काम कर रहे हैं। सबको सरंक्षण देना सरकार का दायित्व है।

सवाल - पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में झामुमो की क्या भूमिका होगी?

जवाब - हमारी लड़ाई वृहद झारखंड की थी। अब भाजपा के लोग कहते हैं कि अटलजी ने झारखंड बनाया। मैं पूछता हूं कि जब राज्य बनाया तो कौन सा षड्यंत्र था कि यहां के जो लोग पड़ोसी बंगाल, बिहार, छत्तीसगढ़, ओडि़शा आदि राज्यों में हैं, उनको काट दिया ताकि हम राजनीतिक तौर पर मजबूत नहीं हों। हम फिर से लड़ें, कटें और मरें। ठीक उसी प्रकार जैसे अलग झारखंड के आंदोलन में हजारों लोग मरे। इनकी मंशा लडऩे की है।

सवाल -जनजातीय परामर्शदातृ परिषद (टीएसी) के गठन को लेकर क्या परेशानी आ रही है?

जवाब - 20 साल में सरकार ने टीएसी की नियमावली ही नहीं बनाई। अधिकतर नियमावली हम तैयार करा रहे हैं। अगर पहले नियमावली बनाई गई रहती तो हम इसका अनुपालन करते। हमें उम्मीद है कि नए साल में नई टीएसी का गठन हो जाएगा।


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