Jharkhand News: शादी व श्राद्ध में 100 किलो चावल व 10 किलो दाल मुफ्त, आदिवासियों के लिए हेमंत की बड़ी घोषणा
Hemant Soren News मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि आदिवासी सामूहिक भोज के लिए कभी कर्ज नहीं लें। सरकार उन्हें चावल और दाल मुफ्त देगी। कहा कि जनजातीय भाषाओं के संरक्षण के लिए शीघ्र शिक्षक नियुक्त होंगे। यह घोषणा उन्होंने झारखंड जनजातीय महोत्सव में की।
रांची, राज्य ब्यूरो। Hemant Soren Big Announcement आदिवासियों एवं अन्य लोगों को अब महाजनों और साहूकारों से लिया गया कर्ज वापस नहीं करना होगा। राज्य सरकार इसे लेकर कानून बना रही है। राज्य सरकार जनजातीय समुदाय के परिवारों को शादी एवं श्राद्धकर्म में सामूहिक भोज के लिए 100 किलो चावल और 10 किलो दाल मुफ्त देगी, ताकि उन्हें इसके लिए कर्ज न लेना पड़े। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मंगलवार को रांची के मोरहाबादी मैदान में दो दिवसीय झारखंड जनजातीय महोत्सव के शुभारंभ के अवसर पर इसकी घोषणा की। उन्होंने जनजातीय समुदाय से सामूहिक भोज के लिए कर्ज नहीं लेने का आह्वान भी किया।
हेमंत सोरेन भी बैंक चला जाए तो नहीं मिलेगा लोन
मुख्यमंत्री ने उच्च शिक्षा के लिए शीघ्र ही गुरुजी क्रेडिट कार्ड योजना लागू किए जाने की जानकारी देते हुए कहा कि वे जानते हैं कि शिक्षा और व्यवसाय के लिए बैंकों से लोन लेना कितना मुश्किल है। कहा, यदि हेमंत सोरेन भी लोन लेने बैंक चला जाए तो बैंक वाले कहेंगे कि उनकी जमीन सीएनटी-एसपीटी के दायरे में आती है।
आदिवासियों को घृणा के भाव से देखते हैं लोग
मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासियों को घृणा भाव से देखा जाता है। आदिवासी की बजाय वनवासी कहकर बुलाने में सब लगे हैं। मूर्तियों में द्वेष की भावना दिखाई जाती है। उन्होंने कहा, आम जनों में जनजातीय संस्कृति के प्रति सम्मान और आदर भाव जगाने की जरूरत है। मुख्यमंत्री ने कहा, हमारे पूर्वजों ने जंगल, जमीन बचाया लेकिन अब इसे छीनने की कोशिश है। जाति, धर्म के आधार पर हमें बांटा जा रहा है। भगवान बिरसा मुंडा ने अबुआ राज, गांव की सरकार की बात की थी, नई पीढ़ी को इसे बताना होगा। आदिवासी समाज को एक होकर जातिवाद, क्षेत्रवाद, पार्टीवाद से ऊपर सोचना होगा। उन्होंने आदिवासी एवं गैर आदिवासी सभी को जोहार से एक-दूसरे को अभिवादन करने की अपील की।
हम सामने से करते वार, सीने पर सहते हैं वार
मुख्यमंत्री ने कहा, आदिवासी कौम मेहनत करता है, किसी से भीख नहीं मांगता। पीठ पर नहीं, सामने से वार करता है और सीने पर ही वार खाता है। हमें कोई डरा, झुका और हरा नहीं सकता। हम गुरू की तस्वीर से हुनर सीख लेते हैं। लेकिन आदिवासी समाज बिखरा हुआ है, जिसे एक करने की जरूरत है।