HEC JHARKHAND : मार्च के बाद बंद हो जाएगा एचईसी, आरटीआइ से कर्मचारियों को मिली जानकारी
नीति आयोग ने भी हैवी इंजीनियरिंग कारपोरेशन (एचईसी) बंद करने को लेकर कर चुका है सिफारिश। निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग को यह सिफारिश की गई है। हालांकि एचईसी प्रबंधन इस तरह की किसी भी सूचना से इन्कार कर रहा है।
रांची, (शक्ति सिंंह) : रांची सहित झारखंड की पहचान हैवी इंजीनियरिंग कारपोरेशन (एचईसी) के काले दिन आ गए हैं। बहुत दिन से इसके बंद होने या विनिवेश की खबरें तैरती रहीं। मगर, ताजा रिपोर्ट के अनुसार नीति आयोग ने इसे बंद करने की सिफारिश कर दी है। यह सिफारिश दीपम (निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग) को की गई है।
यह जानकारी दीपम से आरटीआइ से पूछे गए सवाल के जवाब से मिली है। एचईसी के कर्मचारी ने ही दीपम से इस संबंध में जानकारी मांगी थी। बताया गया कि मार्च 2022 के बाद एचईसी को बंद करने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। हालांकि एचईसी प्रबंधन इस तरह की किसी भी सूचना से इन्कार कर रहा है।
मार्च तक ही प्रभारी को सीएमडी का दिया गया है प्रभार
इसके तार इससे भी जोड़े जा रहे हैं कि एचईसी में नए सीएमडी की बहाली नहीं की गई है। बल्कि, प्रभारी सीएमडी नलिन ङ्क्षसघल को मार्च तक ही प्रभार दिया गया है। जबकि इसके पूर्व तीन माह के लिए प्रभार की अवधि बढ़ाई गई थी।
दूसरी कंपनी में तलाश रहे हैं नौकरी
एचईसी की आर्थिक स्थिति खराब रहने और बंद होने की सुगबुगाहट को देखते हुए एचईसी के कई कर्मी और अधिकारी अब दूसरी कंपनी तलाशने लगे हैं। साक्षात्कार और बायोडेटा देकर अन्य कंपनियों में काम तलाश रहे हैं। इस बीच चार कर्मियों ने अपनी नौकरी से इस्तीफा भी दे दिया है।
कंपनी को नहीं मिल रहा है कोई बड़ा वर्कऑर्डर
अब एचईसी को भी कोई बड़ा वर्कऑर्डर नहीं मिल रहा है। क्योंकि कंपनी की आर्थिक स्थिति को देखते हुए अन्य कंपनियां अब काम नहीं दे रही हैं। वहीं मौजूदा 1800 करोड़ रुपये के वर्क ऑर्डर पर ग्रहण लगना शुरू हो गया है। कार्यशील पूंजी के अभाव में समय पर वर्क ऑर्डर पूरा नहीं हो रहा है।
केंद्र सरकार से नहीं मिल रही मदद
एचईसी द्वारा कई दफा केंद्र सरकार से मदद को लेकर प्रस्ताव भेजा गया है। कंपनी की पुरानी मशीनों को आधुनिकीकरण के लिए 1260 करोड़ रुपये की मांग की गई थी। इस दिशा में भी कोई मदद नहीं मिली। हाल में भी प्रस्ताव बनाकर भेजा गया है।
बंद करने की प्रक्रिया में लगेगा वक्त
हालांकि, इसके बंद होने की प्रक्रिया में कुछ माह लगते हैं। कर्मचारियों की हड़ताल और आंदोलनकारियों की जिद देखते हुए लगता है कि दीपम की कार्रवाई से पहले ही यह बंद हो जाएगा। झारखंड की राजधानी की पहचान ही एचईसी से ही रही है। 1963 में स्थापना के बाद रांची शहर आबाद हुआ। उसी के कारण विकास के काम हुए।
छह दशक पहले विकसित किया गया था एचईसी को
आज स्मार्ट सिटी की बात होती है। लेकिन आज से छह दशक पहले रशियन इंजीनियरों द्वारा विकसित की गई कालोनी में आज तक न तो वाटर लॉगिन की समस्या है और न ही ट्रैफिक जाम की। मेन रोड से जोडऩे वाला पुल भी एचईसी के कारण ही बना था। वहीं के कामगार और उनकी नियमित आमदनी के कारण मेनरोड का बाजार आबाद हुआ। करीब सात हजार एकड़ में बसी एचईसी अपने काम को लेकर पूरी दुनिया में ख्यात है। अभी रांची स्मार्ट सिटी भी एचईसी की जमीन पर ही बन रही है। झारखंड का विधानसभा भी हाल तक एचईसी के रशियन हॉस्टल में ही चलता था। आज जो मुख्य सचिवालय, प्रोजेक्ट भवन में हैं, वह भी एचईसी के प्रोजेक्ट के लिए बने भवन का आधुनिक रूप है।
क्या है दीपम
वित्त मंत्रालय ने केंद्र सरकार की स्वामित्व वाली कंपनियों की गैर-प्राथमिक परिसंपत्तियों के मौद्रीकरण में तेजी लाने के लिए निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के तहत एक विशेष सेल स्थापित करने की योजना बनाई। विनिवेश विभाग वित्त मंत्रालय के अधीन एक विभाग था। 14 अप्रैल 2016 से विनिवेश विभाग का नाम बदलकर निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) कर दिया गया।