आठ साल बाद बदला आवासीय विद्यालयों का मेन्यू, मुर्गा-मछली के साथ फल व दूध भी
भोजन की गुणवत्ता परखने की जवाबदेही भी बच्चों के जिम्मे होगी। चार बच्चों की एक मेस कमेटी बनेगी।

राज्य ब्यूरो, रांची। कल्याण विभाग द्वारा संचालित राज्य के 132 आवासीय विद्यालय के बच्चे अब हर दिन स्वादिष्ट भोजन का लुत्फ उठाएंगे। एक निश्चित अंतराल पर उन्हें मुर्गा-मटन ही नहीं, फल, हॉर्लिक्स युक्त दूध और मिठाइयां भी मिलेंगी। झारखंड सरकार ने इन विद्यालयों के बच्चों के लिए भोजन की नई तालिका प्रभावी की है। बच्चों को हर दिन सुबह में नाश्ता, दोपहर और रात का खाना तथा शाम में स्नैक्स मिलेगा।
भोजन की गुणवत्ता परखने की जवाबदेही भी बच्चों के जिम्मे होगी। चार बच्चों की एक मेस कमेटी बनेगी। कमेटी का कार्यकाल एक महीने का होगा। स्कूल प्रबंधन को हर दिन की भोजन तालिका को सूचनापट्ट पर प्रदर्शित करनी होगी। तालिका में विशेष परिस्थिति में ही परिवर्तन मान्य होगा। मौसम के हिसाब से फल और सब्जी की निर्धारित तालिका में परिवर्तन किया जा सकेगा। आठ वर्ष बाद मेन्यू में बदलाव किया गया है। इन स्कूलों में एससी-एसटी और पिछड़ा वर्ग के करीब 30 हजार बच्चे पढ़ते हैं।
बच्चों के मेन्यू में क्या-क्या
सोमवार को नाश्ते में ब्रेड, बटर, अंडा अथवा एक केला। दोपहर में चावल दाल, मिक्स वेज आदि। रात में चावल/रोटी, दाल सब्जी और दो चम्मच हार्लिक्स के साथ दूध। इसके अलावा शाम में स्नैक्स। इसी तर्ज पर हर दिन का अलग-अलग मेन्यू तैयार किया गया है। किसी दिन नाश्ते में दलिया अथवा उपमा और एक सेब, तो किसी दिन रोटी अथवा पूड़ी के साथ छोला परोसा जाएगा। इडली-सांबर, पोहा-जलेबी भी किसी दिन नाश्ते का हिस्सा होंगे। दोपहर और रात के भोजन में अलग-अलग दिन अंडा करी, पुलाव, चिके न, मछली करी, पनीर की सब्जी, वेज बिरयानी, तड़का, पापड़, सलाद, मिठाई जैसी चीजें होंगी।
नोट: शाकाहारी बच्चों को अंडा/मछली/ मटन/ मुर्गा के स्थान पर पनीर की सब्जी और खीर।
ब'चों के लिए किए गए प्रावधान में किसी भी स्तर पर गड़बड़ी न हो, सख्त मानिटरिंग का निर्देश विभागीय पदाधिकारियों को दिया गया है। पूर्व में बच्चों के मेन्यू पर जितना खर्च होता था, अब राशि उससे दोगुनी कर दी गई है।
डॉ. लुइस मरांडी, कल्याण मंत्री
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