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पुलिस की नौकरी छोड़ बहू ने बदली गांव की तस्वीर, बंजर भूमि में छायी हरियाली Hazaribagh News

Jharkhand Hazaribag News बरही प्रखंड के रानीचुआं पंचायत की मुखिया रीता मुर्मू ने इलाके की तस्वीर बदल कर रख दी। गांव में शराबबंदी भी लागू की। महिलाओं का समूह बनाया और उन्हें कृषक बनाया तथा उन्हें आत्मनिर्भर भी बनाया।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Wed, 21 Oct 2020 11:06 PM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 10:29 AM (IST)
पुलिस की नौकरी छोड़ बहू ने बदली गांव की तस्वीर, बंजर भूमि में छायी हरियाली Hazaribagh News
रीता मुर्मू अपने गांव के खेत में। जागरण

हजारीबाग, [विकास कुमार]। झारखंड के हज़ारीबाग़ जिले के बरही प्रखंड का आदिवासी बहुल रानीचुआं पंचायत। 1991 में रीता मुर्मू जब यहां की बहू बन कर आई तो गांव की बदहाली अपने चरम पर थी । किसी ने नहीं सोचा था कि गांव की नई बहू गांव की रूपरेखा ही बदल देगी। रीता मुर्मू के आते ही गांव की तस्वीर बदलती चली गई। गांव में हरियाली आई, खुशहाली आई और आते चली गई। यहां तक कि गांव के विकास के लिए सीता ने पुलिस की नौकरी तक छोड़ दी। इसके बाद उन्हें ग्रामीणों का भी खूब साथ मिला।

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शराबबंदी कर गांव में लाया अभूतपूर्व परिवर्तन

गांव में बदलाव की शुरुआत रीता ने शराबबंदी से की। लेकिन तब यहां शराब के शौकीन लोगों का विरोध भी रीता को झेलना पड़ा। फिर धीरे-धीरे लोगों का साथ मिला और गांव में पूर्ण शराबबंदी भी लागू हो गई। अब यहां शराब की जगह फूलों की खुशबू आती है।

झारखंड पुलिस और नर्स के पद पर हुआ था चयन

इस दौरान नर्स और फिर 2004 झारखंड पुलिस में भी उनकी बहाली हो गई लेकिन उन्होंने नौकरी छोड़ गांव के विकास के लक्ष्य को अपना संकल्प बना। पति गाजो टुडू के साथ रीता के निर्णय को ग्रामीणों ने खूब सराहा। पिछले 10 सालों से वो पंचायत की मुखिया हैं।

महिलाओं का बनाया समूह, बन गई सफल कृषक

प्रकृति से अटूट प्रेम रखने वाली रीता मुर्मू ने पंचायत को खेती में काफी आगे लेकर गईं। इसमें जन जागरण केंद्र बरही, प्रदान महिला मंडल जैसे एनजीओ का साथ मिला। उसके बाद अपने गांव में वैज्ञानिक पद्धति एवं आधुनिक औजारों से खेती बारी करना शुरू किया। पहली बार वर्ष 2009 श्री विधि से खेती की जिसमें उन्हें 14 गुना अधिक मुनाफा हुआ। फिर करीब तीन हजार महिलाओं को प्रशिक्षित किया।

उनके प्रयास से बंजर भूमि पर हरियाली छाई है। रीता ने गांव को वैज्ञानिक एवं आधुनिक पद्धति से खेती करने के लिए प्रेरित किया। आज पूरा गांव कृषि प्रधान क्षेत्र बन गया है। उनके आधुनिक खेती से प्रभावित होकर जिला स्तर पर उन्हें वर्ष 2010, 2011 एवं 2013 में 25 -25 हजार का नगद राशि के साथ सम्मानित किया गया।

रीता मुर्मू ने बताया कि उनके जीवन का मकसद ही था कि वह किसी भी एक गांव का विकास करें और उसके विकास के लिए समर्पित हो जाए। नौकरी कर वह अपने जीवन के लक्ष्य को सीमित नहीं करना चाह रही थी। इसलिए उन्होंने नौकरी ना कर अपनी आत्मसंतुष्टि के लिए समाज सेवा को ही अपना लक्ष्य बनाया ।


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