रांची का हज हाउस बना दिल्ली का शाहीन बाग, सैकड़ों की तादाद में जुटी महिलाएं
रांची देशभर में सीएए एनआरसी तथा एनपीआर को लेकर प्रदर्शन हो रहे हैं। दिल्ली की तर्ज पर रांची में भी एक शाहीन बाग की तर्ज पर प्रदर्शन हो रहा है।
जागरण संवाददाता, रांची : देशभर में सीएए, एनआरसी तथा एनपीआर को लेकर प्रदर्शन हो रहे हैं। दिल्ली के शाहीन बाग में महीने भर से अधिक समय से हजारों महिलाएं धरनास्थल पर बैठी हैं। इसी की तर्ज पर कोलकाता, प्रयागराज, लखनऊ, भोपाल आदि शहरों में प्रदर्शन देखने को मिला है। अब रांची में भी शाहीन बाग की तरह विरोध किया जा रहा है। कडरू स्थित हजहाउस में सैकड़ों की संख्या में महिलाएं सीएए के खिलाफ अनिश्चितकालीन धरना पर बैठ गईं हैं। रांची में यह धरना बीते सोमवार से शुरू हुआ है। ये महिलाएं रांची के अलग-अलग हिस्सों से आकर यहां इकट्ठा हो रही हैं। इनमें से कई कामकाजी महिलाएं हैं जो अपना काम खत्म कर शाम के वक्त रैली में शामिल होती हैं।
जनता का ध्यान बंटाने के लिए सरकार ला रही ऐसे मुद्दे
सीएए के खिलाफ धरने पर बैठीं पेशे से शिक्षिका आफरीन आजाद बताती हैं कि माननीय गृहमंत्री खुद कई बार ऐसा कह चुके हैं कि उनका लक्ष्य पूरे देश में एनआरसी लागू करने का है। अगर अब विरोध नहीं हुआ तो निकट भविष्य में पूरे देश में एनआरसी लागू हो जाएगा। सरकार बड़ी साजिश रच रही है। वह सभी धर्मो के भारतीय में से भारतीय मुसलमानों को फिल्टर कर रही है। वह अपने चरमपंथी समर्थकों को खुश करने के साथ-साथ देश में शिक्षा, बेरोजगारी, गरीबी, रोजगार जैसे अहम मुद्दों से जनता का ध्यान बंटाने के लिए ऐसे मुद्दे ला रही है।
सीएए और एनआरसी मिलकर करेगा नुकसान
केसा जहरा कहती हैं कि सिर्फ सीएए से किसी को खतरा नहीं है मगर सरकार की मंशा हम जानते हैं। उनके कई मंत्री तक यह बात दोहरा चुके हैं कि वे एनआरसी लागू करेंगे। ऐसे में सरकार जब एनआरसी लागू करेगी तब यह हमारे लिए बेहद खतरनाक साबित होगा। अगर अभी विरोध नहीं हुआ तो सरकार किसी न किसी दिन ऐसा जरूर करेगी। वह इस देश से हमारी नागरिकता छीन हमें दोयम दर्जे का बनाने की साजिश रच रहे हैं। प्रतिक्रिया
हमें प्रधानमंत्री जी से उम्मीद है कि वे हिन्दुस्तान को यूं बर्बाद नहीं होने देंगे। उन्हें अमित शाह के एनआरसी संबंधी बयानों पर चाय की चर्चा करनी चाहिए।
समरीन अख्तर, डोरंडा हमारे प्रधानमंत्री ने कई बार हमें अपनी बहन बताया था मगर आज वे खुद ही हमें हमसे हमारी नागरिकता छीनना चाह रहे हैं। समझ नहीं आता वे भाई होने का कैसा फर्ज निभा रहे हैं।
शगुफ्ता यास्मीन, कडरू सीएए, एनआरसी सिर्फ मुसलमानों के लिए ही खतरनाक नहीं है। यह हिदुओं के लिए भी उतना ही खतरनाक है। असम इसका उदाहरण है।
आशना, डोरंडा सरकार युवाओं को घरों में हॉस्टलों में घुसकर उन्हें बेदर्दी से पिटवा रही है। वह जानती है कि इन्हें रोजगार नहीं दिला सकती है इसलिए ऐसे बेतुके फैसले ले रही है।
आमना खातून, कडरू