पत्थलगड़ी: गुदड़ी नरसंहार का गुनहगार कौन? एसआइटी रिपोर्ट पर सियासी घमासान; पढ़ें SIT रिपोर्ट
एसआइटी की जांच में पत्थलगड़ी समर्थकों की पोल खुल गई है। पूरा हत्याकांड सरकारी दस्तावेज वापस नहीं करने पर शुरू हुए विरोध के कारण अंजाम दिया गया।
रांची, [दिलीप कुमार]। पश्चिमी सिंहभूम के गुदड़ी थाना क्षेत्र स्थित बुरुगुलीकेरा गांव में पत्थलगड़ी समर्थकों ने अपने घरों पर हुए हमले का बदला लेने की नीयत से सात पत्थलगड़ी विरोधियों की हत्या की घटना को अंजाम दिया था। पुलिस जांच में इसकी पुष्टि हुई है। पुलिस सूत्रों के अनुसार बुरुगुलीकेरा गांव में दो विचारधारा के लोग सक्रिय थे। एक विचारधारा के लोग पत्थलगड़ी के विरोधी हैं, जिनमें 11 परिवार (सात मृतकों के परिवार सहित)हैं।
दूसरी विचाराधारा वाले सरकारी योजनाओं, सरकारी सुविधाओं के विरोधी और पत्थलगड़ी समर्थक (हत्यारोपित पक्ष) हैं। इनकी तादाद ज्यादा है। पत्थलगड़ी का समर्थन करने वाले उस ग्यारह परिवार के लोगों पर भी दबाव बना रहे थे कि वे अपना आधार कार्ड, राशन कार्ड, पहचान पत्र व जॉब कार्ड राज्यपाल को वापस कर दें और पत्थलगड़ी का समर्थन करें। जिनके ये कार्ड नहीं बने थे, उनका बनने भी नहीं दे रहे थे।
ऐसे बढ़ा विवाद
गिरफ्तारी के बाद जेल भेजा गया सुखराम मुंडा गुदड़ी थाना क्षेत्र के बुरुगुलीकेरा गांव का मानकी मुंडा है। वह पत्थलगड़ी समर्थक हो गया था। गांव के अगर किसी भी व्यक्ति को राशन कार्ड, आधार कार्ड, पहचान पत्र आदि बनवाना होता है तो उसके फार्म पर गांव के मुंडा (मानकी मुंडा) का हस्ताक्षर जरूरी है। सुखराम से जो भी पत्थलगड़ी विरोधी अपना सरकारी दस्तावेज बनाने के लिए हस्ताक्षर के लिए जाता, सुखराम इन्कार कर देता था। विवाद की शुरूआत यही से हुई थी।
इसका गुस्सा तो था ही, अन्य मसले को लेकर ही 16 जनवरी को पत्थलगड़ी विरोधियों (मृतक पक्ष) ने पत्थलगड़ी समर्थकों पर हमला बोल दिया था और उनके वाहन सहित अन्य वस्तुओं में तोडफ़ोड़ की थी। यह भी कहा कि जब सरकारी सुविधा का लाभ नहीं चाहिए तो मोटरसाइकिल, टेलीविजन, मोबाइल आदि का लाभ क्यों ले रहे हो। वह भी तो सरकारी व्यवस्था के तहत आया है। तोडफ़ोड़ के क्रम में पत्थलगड़ी विरोधियों ने दो समर्थकों (रोशन व लोदरो) को भी अपनी मोटरसाइकिल पर बैठा लिया और लेकर चले गए तथा एक पेड़ में रस्सी से बांध दिया। जहां से दोनों किसी तरह फरार हो गए। दोनों अभी तक लापता है।
तोडफ़ोड़ के विरोध में 19 को हुई बैठक में कर दी सात की हत्या
16 जनवरी को तोडफ़ोड़ के विरोध में 19 जनवरी को ग्राम सभा व पत्थलगड़ी समर्थकों की एक बैठक बुलाई गई। इसी बैठक में 11 पत्थलगड़ी विरोधियों की हत्या का फरमान सुनाया गया। इसमें सात तो ग्रामीणों के हत्थे चढ़ गए, जिनकी हत्या कर दी गई। चार पत्थलगड़ी विरोधी फरार हो गए थे, जिनमें सुखवा बुढ़ व घुसड़ू बुढ़ गिरफ्तार कर जेल भेज दिए गए हैं।
अब भी दो विरोधी सुमन सिंह गंझू व मंगरा लुगून फरार हैं, जिनकी तलाश जारी है। मंगरा पीएलएफआइ समर्थक है। इसपर तोडफ़ोड़ व मारपीट का आरोप है। 19 जनवरी की घटना के समर्थन में ही ग्रामीणों ने 20 को भी बैठक की। 21 जनवरी को सूचना पुलिस तक पहुंची और फिर गांव तक पुलिस को पहुंचने में 22 जनवरी को सफलता मिली, जिसके बाद सात शव बरामद हुए।
हत्या के आरोपित 17 पत्थलगड़ी समर्थक, जो जा चुके हैं जेल
सुखराम बुढ़ (50), राणसी बुढ़ (52), मनसुख बुढ़ (55), जितेंद्र बुढ़ (45), कोंजे बुढ़ (51), टीपरू बुढ़ (60), जयसिंह बुढ़ (50), बुधुवा बुढ़ उर्फ बुधुवा मुंडा (28), मानव बुढ़ उर्फ केडेया बुढ़ (55), बुधुवा बुढ़ (26), सुरसेन बुढ़ (25), हेरमन बुढ़ (19), नागु बुढ़ (25), कौंजे लुगून (29), सनिका लुगून (55), प्रभु सहाय टोपनो (62) व दाउद लुगून (22)।
नोट : सभी आरोपित गुदड़ी थाना क्षेत्र के ही बुरूगुलीकेरा गांव के रहने वाले हैं। सभी अपने नाम के पहले एसी लिखते हैं।
पत्थलगड़ी विरोधी, जो घटना के वक्त फरार हुए थे, गिरफ्तार कर भेजे जा चुके हैं जेल
सुखवा बुढ़ व घुसड़ू बुढ़ : दोनों गुदड़ी थाना क्षेत्र के बुरुगुलीकेरा गांव के ही रहने वाले हैं।
पत्थलगड़ी विरोधी सात ग्रामीण, जिनकी हो गई थी हत्या
जेम्स बूढ़ (30), निर्मल बूढ़़ (25), लोम्बा बूढ़ (25), एतवा बूढ़ (27), कोंजो टोपनो (23), जरवा बूढ़ (22) और बोआस लोमगा (35)।