झारखंड कांग्रेस में फिर गुटबाजी, अब बलमुचू गुट हुआ हावी Ranchi News
Jharkhand. पार्टी में हाल के तमाम मनोनयन में इनकी ही सुनी गई। डॉ. अजय के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले सुबोध फिर दरकिनार किए गए।
रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी में भले ही जितना बदलाव हो जाए, एक बात नहीं बदल रही और वो है गुटबाजी। अब नए अध्यक्ष के नेतृत्व में बदलाव की कोशिशों के बीच एक गुट की तेजी से चल रही है और वह है पूर्व अध्यक्ष प्रदीप बलमुचू का गुट। डॉ. रामेश्वर उरांव को जिन चंद लोगों ने अध्यक्ष बनने की राह में मदद की उनमें बलमुचू, गीताश्री उरांव और धीरज साहू परिवार शामिल हैं।
ऐसे में अध्यक्ष बनने के बाद उनकी चलनी तय ही मानी जा रही थी, लेकिन दूसरे गुटों की तेजी से अनदेखी भी अब कांग्रेसियों को पच नहीं रहा है। अभी तक चुनाव के पूर्व कोई हल्ला-हंगामा होने के आसार तो नहीं हैं, लेकिन चुनाव के बाद स्थितियां और खराब हो सकती हैं। कांग्रेस में संगठन में बदलाव और पदाधिकारियों के नाम बदलने से आचरण में फेरबदल नहीं दिख रहा है। एक बार फिर पार्टी पर गुटबाजी हावी है।
रविवार को जो पर्यवेक्षकों की सूची जारी हुई और इसके पूर्व कुछ मनोनयन हुए उनमें बलमुचू गुट का प्रभाव दिखता है। कांग्रेस सूत्रों की मानें तो कार्यक्रमों के आयोजन में भी बदलाव साफ दिखने लगा है। हाल के दिनों में गैर आदिवासी कांग्रेसी खुद को संगठन से दूर रख रहे हैं। यहां तक कि पूर्व अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार के खिलाफ मोर्चा खोलने वालों के हाथ भी कुछ लग नहीं रहा है। कुछ लोग इशारों में इसका विरोध करने लगे हैं, लेकिन चुनाव तक चुप्पी बने रहने के आसार हैं।
सब बंटकर एक-दो सीटें बचेंगी, कौन माथापच्ची करे
कांग्रेस में पूरी माथापच्ची सीटों के बंटवारे को लेकर चल रही है। पार्टी पहले ही तय कर चुकी है कि सिटिंग विधायकों को टिकट मिलेगा। इसके साथ नौ सीटें तय मानी जा सकती हैं। इन सीटों के अलावा कुछ सीटें पिछले चुनाव में नंबर दो पर रहे उम्मीदवारों को मिलनी तय है। इनमें कुछ पूर्व मंत्री स्तर के नेता हैं, जिन्हें टिकट से वंचित करने का जोखिम कांग्रेस नहीं लेगी। इसके साथ अध्यक्ष और पांच कार्यकारी अध्यक्ष भी अपना-अपना इलाका तलाश चुके हैं। कुल मिलाकर महागठबंधन में जो सीटें कांग्रेस के खाते में आनी हैं, उसमें एक-दो ही खाली बचेगी और उसके लिए माथापच्ची करने से नए नेता भी परहेज कर रहे हैं।