बच्ची की जान बचाने को रांची से दिल्ली तक बना ग्रीन कॉरिडोर
Green Corridor. मौत से जूझ रही बच्ची को रांची के एक अस्पताल से 10 मिनट में एयरपोर्ट पहुंचाया गया। एंबुलेंस को बाइक दस्ता एस्कॉर्ट कर एयर एंबुलेंस तक ले गया।
रांची, जासं। रांची ट्रैफिक पुलिस फिल्म ट्रैफिक की स्क्रिप्ट को चरितार्थ करती दिखी। सोमवार को महज दस मिनट में नौ माह की एक बच्ची को रांची के रानी चिल्ड्रेन हॉस्पीटल से एंबुलेंस से रांची के बिरसा मुंडा एयरपोर्ट तक पहुंचाया गया। इसके बाद बच्ची को एयर एंबुलेंस से दिल्ली भेजा गया। बच्ची को एयरपोर्ट तक पहुंचाने में ट्रैफिक पुलिस की कवायद रंग लायी। सोमवार को पूरा शहर जाम से जूझ रहा था। गंभीर रूप से बीमार यह बच्ची कोमा में थी। वह बाथ टब में गिर गई थी।
इसी बीच, रांची जोन के आइजी के चालक की बच्ची को आनन-फानन अस्पताल से एयरपोर्ट पहुंचाना था। बच्ची गंभीर बीमारी से जूझ रही थी। उसे डॉक्टरों ने तुरंत एम्स भेजने की सलाह दी। उसे भेजने के लिए एयर एंबुलेंस की व्यवस्था की गई। आइजी के चालक ने ट्रैफिक एसपी से मिलकर अविलंब बच्ची को एयरपोर्ट भेजवाने की गुहार लगाई। ट्रैफिक एसपी अजीत पीटर डुंगडुंग ने टेट्रा कंटोल को इसकी सूचना प्रसारित करने का निर्देश दिया। इसके बाद एक इंस्पेक्टर और बाइक दस्ते को एंबुलेंस के सायरन के साथ एस्कॉर्ट के लिए लगाया गया। इसके बाद महज दस मिनट में ही एंबुलेंस को 12:45 बजे एयरपोर्ट पहुंचा दिया।
एंबुलेंस के साथ वीवीआइपी ट्रीटमेंट का दिया था आदेश
ट्रैफिक जाम में एंबुलेंस नहीं फंसेंगी। ट्रैफिक एसपी ने पूर्व में ही आदेश जारी किया था। साथ ही आइएमए, रिम्स सहित अन्य अस्पतालों को पत्र जारी कर सुझाव दिया गया था कि जब भी अपने अस्पताल से किसी खतरे वाली स्थिति या गंभीर रूप से बीमार को दूसरे अस्पताल में भेजना हो तो इसकी सूचना ट्रैफिक पुलिस या कंट्रोल रूम को दे दें, ताकि ट्रैफिक पुलिस को यह सूचना प्रसारित किए जाने के बाद रूट के सभी सिग्नल को ग्रीन करते हुए उसे पार करवा दिए जाएं।
इसी कड़ी में राजधानी में रिमोट से ट्रैफिक को कंट्रोल किया जा रहा है। इस सिस्टम से किसी भी सिग्नल को आकस्मिक स्थिति में सीधे ग्रीन, रेड और येलो किया जा रहा है। आम तौर पर किसी एंबुलेंस या वीआइपी को पार करवाने में यह सिस्टम प्रभावी हो रहा है।