286 पारा शिक्षकों के विरुद्ध दर्ज केस वापस लेगी झारखंड सरकार
राज्य सरकार पिछले वर्ष 15 नवंबर को झारखंड स्थापना दिवस के अवसर पर रांची परा शिक्षको पर दर्ज एफआइआर सरकार वापस लेगी।
By Edited By: Published: Wed, 03 Jul 2019 05:16 AM (IST)Updated: Wed, 03 Jul 2019 08:36 PM (IST)
रांची, राज्य ब्यूरो। राज्य सरकार पिछले वर्ष 15 नवंबर को झारखंड स्थापना दिवस के अवसर पर रांची के मोरहाबादी मैदान में आयोजित मुख्य कार्यक्रम में व्यवधान उत्पन्न करने के आरोप में 286 पारा शिक्षकों के विरुद्ध दर्ज मुकदमा वापस लेगी। सरकार इसपर विचार कर रही है। इधर, मुख्यमंत्री रघुवर दास ने पिछले वर्ष नवंबर-दिसंबर में आंदोलन के दौरान विभिन्न कारणों से मृत हुए पारा शिक्षकों के परिजनों को एक-एक लाख रुपये मुआवजा का भुगतान शीघ्र करने तथा पारा शिक्षकों की नियमावली शीघ्र गठित करने का आश्वासन एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा के प्रतिनिधिमंडल को दिया है।
मुख्यमंत्री ने मंगलवार को पारा शिक्षकों की विभिन्न मांगों पर शीघ्र कार्रवाई करने का आश्वासन दिया। उन्होंने पारा शिक्षकों की नियमावली गठित करने के लिए मंगलवार को ही उच्च स्तरीय कमेटी की बैठक बुलाने का निर्देश शिक्षा मंत्री नीरा यादव को दिया। इसके बाद आनन-फानन में मंगलवार को ही शिक्षा मंत्री की अध्यक्षता में इसकी बैठक हुई। बैठक में स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के प्रधान सचिव एपी सिंह ने नियमावली निर्माण के लिए महाराष्ट्र, तेलंगाना सहित विभिन्न राज्यों की नियमावली मंगाने की जानकारी देते हुए उसका विस्तृत ब्योरा तैयार कर शीघ्र विभागीय मंत्री के समक्ष प्रस्तुत करने का भरोसा दिलाया।
प्रधान सचिव ने आंदोलन के क्रम में मृत 26 पारा शिक्षकों में 21 पारा शिक्षकों की मुआवजा राशि 10 दिनों में परिजनों को भुगतान करने की बात कही। पारा शिक्षकों ने पांच अन्य पारा शिक्षकों के मृत होने की जानकारी देने पर उनकी भी सत्यापित सूची मंगाकर मुआवजा का आश्वासन दिया। मोर्चा के पदाधिकारियों के अनुसार, बैठक में पारा शिक्षकों ने मुकदमा वापस लेने की मांग की जिसपर विकास आयुक्त सह प्रभारी गृह सचिव सुखदेव ंिसंह ने शिक्षा सचिव को प्रस्ताव देने का निर्देश दिया।
अप्रशिक्षित पारा शिक्षकों को बहाल रखने के मामले में कानूनी अड़चन की बात कही गई। पारा शिक्षकों को बताया गया कि निश्शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत 31 मार्च 2019 के बाद से केवल प्रशिक्षित शिक्षक ही पढ़ा सकते हैं। ऐसे में वैसे 4,812 पारा शिक्षक स्कूलों में पढ़ा नहीं सकते जो या तो एनआइओएस की डीएलएड परीक्षा पास नहीं कर सके या इसमें शामिल ही नहीं हुए। बता दें कि राज्य परियोजना ने इन्हें सेवामुक्त करने का आदेश दिया है।
पारा शिक्षकों को बताया गया कि पारा शिक्षक कोष में 10 करोड़ रुपये सरकार देगी। बैठक में योजना सह वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव केके खंडेलवाल, राज्य परियोजना निदेशक उमाशंकर सिंह, प्रशासी पदाधिकारी जयंत मिश्रा एवं एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा के संजय दुबे, हृषिकेश पाठक, प्रद्युम्न कुमार सिंह, नरोत्तम सिंह मुंडा व बजरंग प्रसाद आदि भी उपस्थित थे।
दस जुलाई तक होगा मई-जून के मानदेय का भुगतान
राज्य परियोजना निदेशक उमाशंकर सिंह ने बैठक में मई-जून 2019 का मानदेय का भुगतान 10 जुलाई तक कर दिया जाएगा। साथ ही फरवरी-मार्च के लंबित मानदेय के भुगतान पर वित्त विभाग की सहमति मिल गई है। शीघ्र ही मानदेय की राशि जारी कर दी जाएगी।
प्रखंड शिक्षा समिति के अनुमोदन मामले में वापस होगा हटाने का आदेश
पारा शिक्षकों के प्रतिनिधिमंडल ने नियुक्ति में प्रखंड शिक्षा समिति का अनुमोदन पारा शिक्षकों से मांगने और इसके नहीं होने पर मानदेय रोकने तथा सेवा से हटाने के आदेश पर भी आपत्ति की। कहा कि ये दस्तावेज बीडीओ/बीईईओ से मांगे जाएं। इस पर निर्णय हुआ कि इस आधार पर न तो मानदेय रोका जाएगा न ही पारा शिक्षक हटाए जाएंगे। दस्तावेज पदाधिकारी से ही मांगे जाएंगे।
मुख्यमंत्री ने मंगलवार को पारा शिक्षकों की विभिन्न मांगों पर शीघ्र कार्रवाई करने का आश्वासन दिया। उन्होंने पारा शिक्षकों की नियमावली गठित करने के लिए मंगलवार को ही उच्च स्तरीय कमेटी की बैठक बुलाने का निर्देश शिक्षा मंत्री नीरा यादव को दिया। इसके बाद आनन-फानन में मंगलवार को ही शिक्षा मंत्री की अध्यक्षता में इसकी बैठक हुई। बैठक में स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के प्रधान सचिव एपी सिंह ने नियमावली निर्माण के लिए महाराष्ट्र, तेलंगाना सहित विभिन्न राज्यों की नियमावली मंगाने की जानकारी देते हुए उसका विस्तृत ब्योरा तैयार कर शीघ्र विभागीय मंत्री के समक्ष प्रस्तुत करने का भरोसा दिलाया।
प्रधान सचिव ने आंदोलन के क्रम में मृत 26 पारा शिक्षकों में 21 पारा शिक्षकों की मुआवजा राशि 10 दिनों में परिजनों को भुगतान करने की बात कही। पारा शिक्षकों ने पांच अन्य पारा शिक्षकों के मृत होने की जानकारी देने पर उनकी भी सत्यापित सूची मंगाकर मुआवजा का आश्वासन दिया। मोर्चा के पदाधिकारियों के अनुसार, बैठक में पारा शिक्षकों ने मुकदमा वापस लेने की मांग की जिसपर विकास आयुक्त सह प्रभारी गृह सचिव सुखदेव ंिसंह ने शिक्षा सचिव को प्रस्ताव देने का निर्देश दिया।
अप्रशिक्षित पारा शिक्षकों को बहाल रखने के मामले में कानूनी अड़चन की बात कही गई। पारा शिक्षकों को बताया गया कि निश्शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत 31 मार्च 2019 के बाद से केवल प्रशिक्षित शिक्षक ही पढ़ा सकते हैं। ऐसे में वैसे 4,812 पारा शिक्षक स्कूलों में पढ़ा नहीं सकते जो या तो एनआइओएस की डीएलएड परीक्षा पास नहीं कर सके या इसमें शामिल ही नहीं हुए। बता दें कि राज्य परियोजना ने इन्हें सेवामुक्त करने का आदेश दिया है।
पारा शिक्षकों को बताया गया कि पारा शिक्षक कोष में 10 करोड़ रुपये सरकार देगी। बैठक में योजना सह वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव केके खंडेलवाल, राज्य परियोजना निदेशक उमाशंकर सिंह, प्रशासी पदाधिकारी जयंत मिश्रा एवं एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा के संजय दुबे, हृषिकेश पाठक, प्रद्युम्न कुमार सिंह, नरोत्तम सिंह मुंडा व बजरंग प्रसाद आदि भी उपस्थित थे।
दस जुलाई तक होगा मई-जून के मानदेय का भुगतान
राज्य परियोजना निदेशक उमाशंकर सिंह ने बैठक में मई-जून 2019 का मानदेय का भुगतान 10 जुलाई तक कर दिया जाएगा। साथ ही फरवरी-मार्च के लंबित मानदेय के भुगतान पर वित्त विभाग की सहमति मिल गई है। शीघ्र ही मानदेय की राशि जारी कर दी जाएगी।
प्रखंड शिक्षा समिति के अनुमोदन मामले में वापस होगा हटाने का आदेश
पारा शिक्षकों के प्रतिनिधिमंडल ने नियुक्ति में प्रखंड शिक्षा समिति का अनुमोदन पारा शिक्षकों से मांगने और इसके नहीं होने पर मानदेय रोकने तथा सेवा से हटाने के आदेश पर भी आपत्ति की। कहा कि ये दस्तावेज बीडीओ/बीईईओ से मांगे जाएं। इस पर निर्णय हुआ कि इस आधार पर न तो मानदेय रोका जाएगा न ही पारा शिक्षक हटाए जाएंगे। दस्तावेज पदाधिकारी से ही मांगे जाएंगे।
Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें