झोला छाप डॉक्टरों को रियायत नहीं, ट्रेनिंग की मांग भी खारिज
नीरज अम्बष्ठ, रांची : राज्य सरकार झोला छाप डॉक्टरों को कोई रियायत नहीं देगी। सरकार ने सभी उपायुक्तों
नीरज अम्बष्ठ, रांची : राज्य सरकार झोला छाप डॉक्टरों को कोई रियायत नहीं देगी। सरकार ने सभी उपायुक्तों और पुलिस अधीक्षकों को ऐसे फर्जी डॉक्टरों की पहचान कर उनके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई का निर्देश दिया है। साथ ही उन्हें प्रशिक्षण देकर उनके पेशे को मान्यता देने की उनकी मांगें भी खारिज कर दी हैं। कहा है कि वे किसी भी हाल में कानून के विरुद्ध काम नहीं कर सकते।
दरअसल, राज्य सरकार की सख्ती के बाद इनके एसोसिएशन झारखंड ग्रामीण चिकित्सक मंच ने स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी से ग्रामीण क्षेत्रों में एमबीबीएस डॉक्टरों की कमी का हवाला देते हुए कहा था कि ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के इलाज में उनकी (बिना डिग्री इलाज करनेवाले डॉक्टर) महत्वपूर्ण भूमिका होती है। उनका कहना था कि उन्हें प्रशिक्षण देकर राज्य सरकार चिकित्सा सेवा में उनका उपयोग कर सकती है।
मंच ने गांवों में उनकी उपयोगिता को नजरअंदाज कर ऐसे डॉक्टरों को 'झोला छाप डॉक्टर' कहे जाने पर भी दुख प्रकट किया था। साथ ही अपनी दुकानदारी बंद होने से बेरोजगारी का हवाला दिया था। मंत्री द्वारा उनके प्रशिक्षण की मांगों पर विचार करने के लिए जब विभाग को निर्देश दिया गया तो स्वास्थ्य सचिव ने इसपर निदेशक प्रमुख-स्वास्थ्य सेवाएं डा. सुमंत मिश्रा से राय मांगी। लेकिन निदेशक प्रमुख ने दो टूक सुझाव दिया कि प्रशिक्षण देकर भी उनके पेशे को मान्यता देना क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट के विरुद्ध होगा। यह जानकारी मंत्री को भी दे दी गई है।
झोला छाप डॉक्टरों की ये थीं मांगें :
- मैट्रिक पास झोला छाप डॉक्टरों को सहिया की तरह प्रशिक्षण दिया जाए।
- इंटरमीडिएट साइंस उत्तीर्ण झोला छाप डॉक्टरों को बीएससी इन कम्युनिटी हेल्थ का प्रशिक्षण दिया जाए।
हजारीबाग में धराए 11 फर्जी डॉक्टर :
स्वास्थ्य विभाग के निर्देश पर जिलों में ऐसे डॉक्टरों पर कार्रवाई शुरू हो गई है। पिछले दिनों हजारीबाग में 11 फर्जी डॉक्टर पकड़े गए। इनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर उन्हें हिरासत में लिया गया। ये सभी सहिया सहित कई अन्य लोगों की सहायता से फर्जी डिग्री के सहारे अलग-अलग जगह प्रैक्टिस कर रहे थे।
झोलाछाप ने काट दिया था नवजात का गुप्तांग :
अप्रैल के अंतिम माह में चतरा के इटखोरी में झोलाछाप डॉक्टरों अरुण कुमार व अनुज कुमार ने एक नवजात का गुप्तांग काट दिया था। दोनों ने प्रसूता का भू्रण परीक्षण कर बताया था कि गर्भ में बेटी है जबकि उसे बेटा हुआ था। सच को छिपाने के लिए उसने गुप्तांग ही काट दिया। मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य सचिव के निर्देश पर दोनों के विरुद्ध प्राथमिकी भी दर्ज की गई।