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हाथ वाली पार्टी में चुनाव के बाद कई निहत्‍थे...पढ़ें सत्ता के गलियारे की खबर Ranchi News

सूचना मिल रही है कि चुनाव में निहत्थे हो चुके लोगों को पार्टी ही तमाचा जड़ने की फिराक में है और इसके लिए अुनशासन कमेटी ने कमर कस ली है। रिपोर्ट मंगाई गई है। देखें आगे क्या होता है।

By Alok ShahiEdited By: Published: Sun, 23 Jun 2019 12:44 PM (IST)Updated: Sun, 23 Jun 2019 03:58 PM (IST)
हाथ वाली पार्टी में चुनाव के बाद कई निहत्‍थे...पढ़ें सत्ता के गलियारे की खबर Ranchi News

रांची, [जागरण स्‍पेशल]। लोकसभा चुनावों के बाद अब चार महीने बाद झारखंड में विधानसभा चुनाव होने हैं। लिहाजा चुनावी तपिश फिर से जोर पकड़ रही है। अपनी-अपनी गोटियां सेट करने में जुटे छोटे-बड़े नेता मजबूत कंधे की तलाश में हैं। वहीं पार्टी के स्‍तर पर बड़ी हार के बाद अब भी विपक्षी दलों में खलबली मची है। आइए जानते हैं झारखंड की सत्‍ता के गलियारे में आखिर चल क्‍या रहा है।

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हाथ वाली पार्टी के निहत्थों को तमाचा
हाथ वाली पार्टी में चुनाव के बाद कई निहत्थे हो गए हैं। हाथ में हथियार तक नहीं रहा तो एक-दूसरे का मुंह नोचने की कसरत कर रहे हैं। इस कसरत में देर-सबेर एक बार फिर मार होनेवाली है। सूचना मिल रही है कि चुनाव में निहत्थे हो चुके लोगों को पार्टी ही तमाचा जडऩे की फिराक में है और इसके लिए अुनशासन कमेटी ने कमर कस ली है। रिपोर्ट मंगाई गई है। देखें आगे क्या होता है।

घबराने की नहीं बात, पूरी सल्तनत है पास
झारखंड में लालटेन छाप के झंडाबरदार का हौसला बुलंद है। कहते हैं लोकसभा चुनाव में झारखंड से लेकर बिहार तक में पटखनी खाई तो क्या? इतिहास गवाह है, हार के बाद ही जीत है और हम साबित करके रहेंगे। आधार क्षेत्र में प्रतिद्वंद्वियों की ईंट से ईंट बजा देंगे। बगलगीर को यह बात कुछ पची नहीं, बोल पड़ा- पहले अपनी गिरेबां में झांकिए हुजूर। प्रतिद्वंद्वियों की बात तो दूर, पहले राणा एंड कंपनी को संभालिए, जो आपकी ईंट पर ईंट बजाने पर तुले हैं। हुजूर थोड़ा सकपकाए, फिर मुस्कुराए, फिर धीरे से बुदबुदाए- अब घबराने की है क्या बात जब पूरी सल्तनत है अपने पास।

खो गए हैं भोर जी, कर रहे बोर जी
जाने कहां नींद में सोये हैं सबेर सिंह। उनकी भोर नहीं हो रही है। जब रांची में थे तो क्या रात, क्या भोर। रात-दिन आतंक मचा रहता था। कभी दाल में मिलावट पकडऩे पहुंच जाते थे तो कभी पाम ऑयल में सरसो का तेल छानने। और तो और बसों की छतों तक को शक्तिमान की तरह उड़कर नाप देते थे। अब दृश्य कुछ और है। अब तो ऐसे गायब हो गए हैं कि कहीं नजर ही नहीं आते। जितनी तेजी से हर किसी की जुबां पर उनका नाम याद हो गया था, उससे कहीं तेज रफ्तार से वे गुमनाम होते जा रहे हैं। एक खबरची ने बताया कि सबेर सिंह आजकल कंबल ओढ़कर बैठे हैं लेकिन खबरची तो बोर हो रहे हैं।

भए प्रकट कृपाला...
अब न्याय के देवता अपना दरबार छोड़कर अचानक किसी और के दरबार में पहुंचा जाएं, तो आश्चर्य तो होगा ही। काले कोट वाले देवता को अपने बीच पाकर धन्य हो गए। पर मन में उत्सुकता रही कि आखिर देवता अपना दरबार छोड़कर यहां पहुंचे कैसे और उनकी मंशा क्या है? काली कोट बिरादरी से संबंध रखने वाले देवता सरकारी काले कोट वालों से मिले और उनके साथ चाय पर चर्चा की। पता चला कि उनके दरबार में सुनवाई के दौरान कई काले कोट वाले हाजिरी लगाने नहीं जाते हैं। देरी के साथ-साथ फैसले में सहूलियत नहीं होती है, तो उन्होंने सोचा कि सभी से मिलकर काम की बात कर ली जाए। काले कोट वालों में चर्चा है कि अचानक, भए प्रकट कृपाला। 

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