Ranchi news : आर्च बिशप का संदेश, प्रभु यीशु का पुनरुत्थान पाप और मृत्यु पर विजय पताका
गुड फ्राइडे पर विश्वासियों ने प्रभु यीशु के दुखभोग और बलिदानों का स्मरण किया। उपवास रखकर प्रार्थनाएं की। पुरोहितों की देखरेख में धर्मविधि के तीन भाग शब्द समारोह क्रूस की उपासना और परमप्रसाद ग्रहण संपन्न कराया गया। प्रार्थना हुई। प्रभु के सात वचनों स्मरण किया गया।
रांची (जासं): गुड फ्राइडे पर विश्वासियों ने प्रभु यीशु के दुखभोग और बलिदानों का स्मरण किया। उपवास रखकर प्रार्थनाएं की। पुरोहितों की देखरेख में धर्मविधि के तीन भाग शब्द समारोह, क्रूस की उपासना और परमप्रसाद ग्रहण संपन्न कराया गया। प्रार्थना हुई। प्रभु के सात वचनों स्मरण किया गया। कोरोना के बढ़ते मामले के कारण इस बार भी सामूहिक प्रार्थनाएं नहीं हुईं। गिरिजाघरों में आम विश्वासियों का प्रवेश वर्जित था। अनुष्ठान का ऑनलाइन प्रसारण किया गया। विश्वासी अपने घरों से ही ऑनलाइन धर्मविधि अनुष्ठान में जुड़े। वहीं प्रभु यीशु के दुखभोग को स्मरण करते हुए क्रूस रास्ता इस बार सार्वजनिक रूप से नहीं निकाला गया। कोविड 19 को देखते हुए चर्च के अंदर ही प्रतीकात्मक रूप से यह विधि संपन्न कराई गई।
पुरुलिया रोड स्थित संत मारिया गिरिजाघर में आर्च बिशप फेलिक्स टोप्पो ने पुण्य शुक्रवार का संदेश सुनाया। इसका लाइव प्रसारण किया गया। संदेश में उन्होंने कहा कि पुण्य शुक्रवार के दिन विश्वव्यापी माता कलीसिया हमारे प्रभु यीशु के दुखभोग और मृत्यु का स्मरण करती हैं। हम जानते हैं पाप से ग्रसित मानव की मुक्ति के लिए ईशपुत्र हमारे प्रभु ईसा मसीह ने भयंकर, अतुलनीय और अपमानजनक दुखभोग झेला और मरना स्वीकार किया। उनका पुनरूत्थान पाप और मृत्यु पर विजय पताका है। इन तीनों घटनाओं में ईश्वरीय प्रेम की जो गहराई है इसे हमारी मानव बुद्धि बिना ईश्वर की कृपा से नहीं समझ सकती।
मानवों के उद्धार के लिए प्रभु ने खुद को क्रूस पर टंगवा लिया : आर्च बिशप ने कहा कि हमारे प्रभु ने आध्यात्मिक और मनोवैज्ञानिक द्वंदयुक्त विशाद के साथ-साथ इतनी गहरी शारीरिक पीड़ा झेली कि वे मरने पर थे। हमारे प्रभु के लिए दुख का कारण यह भी था कि उनके दुखभोग के वक्त, चंद लोगों और महिलाओं को छोड़कर सबने उन्हें त्याग दिया जिसका प्रभु ने चंगाई और भलाई की थी। जबेदी के पुत्र प्रेरित संत योहन को छोड़कर सब प्रेरितगण भी प्रभु के दुखभोग के समय भाग गये थे। सारे येरुशलम पर उस दिन शैतान का बोलबाला था। सचमुच अंधकार का राज्य छा गया था। प्रभु ने मानवों के उद्धार के लिए खुद को क्रूस पर टंगवा लिया था।
एनडब्लू जीईएल चर्च
समस्त पापों से छुटकारा दिलाने के लिए प्रभु यीशु का धरती पर हुआ अवतरण
मेन रोड स्थित एनडब्लू जीईएल चर्च में ऑनलाइन प्रार्थना हुई। आराधना की अगुवाई रेव्ह असफ ङ्क्षमज, रेव्ह जयदीपक टोप्पो एवं रेव्ह एडविन ङ्क्षमज ने की। रेव्ह राजीव सतीश टोप्पो ने पुण्य शुक्रवार का संदेश सुनाया। उन्होंने अपने संदेश में तीन ङ्क्षबदुओं पर प्रकाश डाला। पहला प्रभु का धरती पर आने का उद्देश्य। दूसरा येसु ने क्रूस पर क्या कार्य किए एवं तीसरा धरती पर आने एवं क्रूस पर किए गए कार्य का प्रतिफल क्या रहा। उन्होंने कहा कि प्रभु का धरती पर अवतरण मनुष्य के समस्त पापों से छुटकारा देने के लिए हुआ। क्रूस पर बलिदान कर उद्धार का मार्ग प्रशस्त किया। जबकि प्रतिफल ये रहा कि मनुष्य उद्धार पाकर अनंत जीवन स्वर्ग राज का आशीष पाया।
बिशप जॉनसन लकड़ा ने पुण्य शुक्रवार और ईस्टर का संदेश का वीडियो जारी किया। बिशप ने कहा कि ईसा मसीह का क्रूस बलिदान मानव जाति को पाप से मुक्ति के लिए हुआ। ईसा मसीह के साथ दो डाकुओं को भी क्रूसों पर टांगा गया था। उन्होंंने भी मरने से पूर्व ईसा को पहचाना। उसमें से एक डाकु ने ईश्वर से प्रार्थना की कि हे प्रभु जब तू अपने राज्य में आये तो मेरी सुधि लेना। प्रभु ने कहा, आज ही तू मेरे साथ स्वर्ग लोक में होगा। दुनिया में यीशु के अलावा कोई और नहीं है जो कष्ट देने वालों के लिए मंगल प्रार्थना करें। यीशु की शिक्षा है कि दुश्मनों से भी प्रेम करो। सताने वालों को क्षमा करो।
संत पॉल चर्च, बहुबाजार
यहां सुबह नौ बजे ऑनलाइन प्रार्थना हुई। रेव्ह संजय तिग्गा ने प्रभु के सात वाणी पर प्रवचन सुनाया। प्रभु के दुखभोग और मानव जाति के उद्धार के लिए किए गए कार्यों को बताया। उन्होंने कहा कि यीशु मसीह का संदेश प्राणी मात्र से प्रेम करना है। ऊंच-नीच, जाति-धर्म का भेद किए बिना सबके प्रति करुणा का भाव रखें। इस दौरान पेरिश पुरोहित जेएम टोप्पो, रेव्ह इ भुईंयां, रेव्ह अविनाश बारला आदि मौजूद थे।
चमत्कारिक रूप से तीन दिन बाद जी उठेंगे प्रभु, मनायी जाएंगी खुशियां
पुण्य शुक्रवार को क्रूस पर टांगने के तीन दिन बाद रविवार को प्रभु येसु चमत्कारिक रूप से जी उठते हैं। इस दिन को ईसाई धर्मावलंबी ईस्टर के रूप में मनाते हैं। इससे पूर्व शनिवार को पास्का का जागरण होता है। रात भर जागकर प्रभु के आगमन की प्रतीक्षा करते हैं। ईस्टर की सुबह कब्रिस्तान पर जाकर अपने पूर्वजों के कब्र पर मोमबत्ती जलाते हैं। इस दौरान कब्रगाहों की विशेष साज-सज्जा की जाती है। हालांकि, इस बार कोरोना संक्रमण के कारण कब्रगाहों पर सार्वजनिक कार्यक्रम नहीं होंगे। लोग अपने-अपने घरों में रहकर ही पूर्वजों का स्मरण करेंगे। ईस्टर की प्रार्थनाएं भी ऑनलाइन होगी।