खलारी के कोयले से रोशन होता है देश, लेकिन अपने लिए सवारी नहीं तलाश पा रहा
कांके विधानसभा क्षेत्र का खलारी प्रखंड राची जिले का औद्योगिक क्षेत्र है। कभी सीमेंट कारखाने के लिए जाना जाने वाला खलारी आज कोयला खानों के लिए पूरे देश में विख्यात है।
रांची, जेएनएन। कांके विधानसभा क्षेत्र का खलारी प्रखंड राची जिले का औद्योगिक क्षेत्र है। कभी सीमेंट कारखाने के लिए जाना जाने वाला खलारी आज कोयला खानों के लिए पूरे देश में विख्यात है। यहा के कोयले से दिल्ली सहित उत्तर भारत के कई राज्य रोशन हैं। 10 साल पहले बुड़मू प्रखंड से अलग होकर खलारी प्रखंड बना। औद्योगिक क्षेत्र होने के कारण कई सुविधाएं यहा स्वभाविक रूप से विद्यमान हैं। खलारी में सड़कों का जाल बिछा, सुदूर गाव तक बिजली पहुंची, लोगों के घरों तक फिल्टर प्लाट का पानी पहुंच रहा है।
केंद्र की योजनाएं प्रधानमंत्री आवास, उज्जवला, षौचालय निर्माण, आयुष्मान भारत आदि का लोगों को बखूबी लाभ मिला है। परंतु कभी प्रमुख बाजार रहने वाला खलारी बाजारटाड़ विकास के दौड़ में पिछड़ गया है। हुटाप पंचायत के अंतर्गत आने वाला खलारी बाजारटाड़ का हाल यह है कि यहा के लोगों को बस पकड़ने के लिए साढ़े तीन किमी दूर पैदल चलकर जाना होता है। ट्रेन पकड़ने के लिए डेढ़ किमी पैदल जाना पड़ता है। स्टेशन या बस स्टैंड से बाजारटाड तक पहुंचने वाली सड़क पर पैदल चलना मुश्किल है।
जागरण संवाददाता ने खलारी बाजारटाड़ के लोगों से उनका हाल जानने का प्रयास किया है। क्षेत्र के लोग बिजली और पानी की सुविधा से संतुष्ट हैं लेकिन यातायात की कमी, प्रदूषण, स्वास्थ्य सुविधा के अभाव से परेशान हैं। बाजारटाड़ निवासी मो. अब्बास कहते हैं कि पिछले पाच साल में विकास तो हुआ है लेकिन उम्मीद के अनुरूप विकास नहीं हुआ। बिजली, पानी, सड़क पहले से बेहतर है परंतु कई क्षेत्र में अभी बहुत काम बाकी है। सुनील सिंह कहते हैं कि केंद्र सरकार की कुछ योजनाओं का लाभ लोगों को मिला है लेकिन राज्य सरकार ने खलारी की उपेक्षा की है। बाजारटाड़ में आतरिक सड़क नहीं है।
सुभाष चौक से जनता हाई स्कूल तक 600 मीटर की प्रमुख सड़क जर्जर हाल में है। सुनील सिंह कहते हैं कि पिछले विधानसभा चुनाव के बाद से स्थानीय विधायक से भेंट नहीं है। खलारी को अनुमंडल बनना चाहिए बाजारटाड़ निवासी अर्जुन प्रसाद गुप्ता का कहना है कि खलारी को अनुमंडल बनना चाहिए। यह राजधानी राची का सबसे बड़ा औद्योगिक क्षेत्र है। इलाज के लिए 60 किमी दूर राची ही रास्ता है। बाजारटाड़ में नाली की स्थिति नारकीय है। यातायात की कमी है बड़ी समस्या विवेकानंद झा एक शिक्षक हैं। पाच साल में हुए विकास के बारे में पूछने पर कहते हैं कि सड़क, शिक्षा, बिजली में सुधार है। सरकारी अस्पताल की कमी बताते हैं लेकिन सरकार के 108 एंबुलेंस सुविधा की सराहना करते हैं।
विवेकानंद बाजारटाड़ के पिछड़ने का कारण यहा कोई सरकारी दफ्तर या बैंक का नहीं होना भी मानते हैं। बेमानी है हुटाप को ओडीएफ कहना रंजीत यादव हुटाप के वार्ड सदस्य हैं। सड़क, षिक्षा से संतुश्ट हैं। रंजीत कहते हैं स्वास्थ्य के नाम पर भवन का ढाचा खड़ा है लेकिन डॉक्टर नहीं है। रोजगार के नाम पर लोग स्वरोजगार कर रहे हैं। मनरेगा मजदूरी में है धाधली खलारी बाजारटाड़ निवासी नजीम खान का मानना है कि पिछले पाच साल में खलारी का कोई विकास नहीं हुआ। सड़क नहंी बनी, शिक्षा का स्तर ठीक नहीं है। बेरोजगारी दूर करने के लिए कारगर उपाय नहीं किए गए। बाजारटाड़ के लोगों के लिए वायु प्रदूषण जानलेवा बन गया है। विधायक अपने व्यक्तिगत कार्य से आते हैं। आमलोगों से उनका कोई वास्ता नहीं है।
बताते हैं कि उनका शौचालय आज तक अधूरा है। नजीम बताते हैं है कि मनरेगा मजदूरी में धाधली है। मेठ मजदूर को 25 प्रतिशत पैसे देकर पूरा पैसा निकाल लेते हैं। 1990 से है भाजपा का विधायक काके विधानसभा का बूथ नंबर एक खलारी से ही शुरू होता है। 1967 में काके विधानसभा क्षेत्र के अस्तित्व में आने के बाद से अबतक बारह विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। इसमें तीन बार झारखंड बनने के बाद और नौ बार बिहार के समय हुए हैं। काके विधानसभा भाजपा का पारंपरिक सीट मान लिया गया है। 1990 से लगातार छह बार भाजपा का उम्मीदवार को यहा से जीत मिली है, वहीं दो बार भारतीय जनसंघ को जीत मिली है।