सामूहिक दुष्कर्म के बाद नाबालिग को जबरन उठा ले गई पुलिस, मुंह बंद रखने का दबाव
20 से 25 वर्दीधारी पुलिसकर्मी सीडब्ल्यूसी में पहुंचकर दुष्कर्म पीडि़ता का बयान दर्ज कर रहे जिला बाल कल्याण समिति सदस्य विनय पाल व सुशील कुमार द्विवेद्वी के सामने बच्ची को उठा ले गए
गढ़वा, जासं। गढ़वा जिले के मेराल थाना क्षेत्र के एक गांव की दुष्कर्म पीड़िता नाबालिग बच्ची व उसके परिजन ने मेडिकल रिपोर्ट बदलने की आशंका जताई है। शुक्रवार को जिला बाल कल्याण समिति के कार्यालय में नाबालिग बच्ची के साथ पहुंची पीड़िता की मां ने कहा कि उनके परिजनों को आरोपित लोगों व उनके परिजनों द्वारा धमकी दी जा रही है। इससे वे लोग भयभीत हैं। उन्होंने कहा कि दुष्कर्म के आरोपी खुले में घूम रहे हैं। वे लोग फिर से उसी तरह की घटना को अंजाम देने की बात कह रहे हैं।
दुष्कर्म पीड़िता व उसके परिजनों को मिल रही धमकी
पीड़िता की मां ने कहा कि पति की मृत्यु के बाद वह मजदूरी कर बच्चों का भरण-पोषण करती है। बच्ची के साथ हुई दुष्कर्म की घटना के बाद शर्म के कारण मजदूरी के लिए कहीं नहीं जा रहे हैं। उसने मुआवजा के लिए सीडब्ल्यूसी को आवेदन दिया है। इधर पीड़िता ने सीडब्ल्यूसी को दिए बयान में कहा है कि दुष्कर्म की घटना के चश्मदीद रहे उसके ममेरे भाई को ही पुलिस ने आरोपी बना कर रिमांड होम भेज दिया है। दबाव देकर पुलिस ने ममेरे भाई के विरुद्ध बयान दिलाया है। पीड़िता ने कहा कि 2 मार्च 2020 को वह खेत में बने घर में नाना-नानी के पास पैदल जा रही थी। इस दौरान दुष्कर्म की घटना हुई थी। खेत से घर लौट रहे ममेरे भाई ने उसके साथ हो रही दुष्कर्म की घटना को देखकर हल्ला किया था। इसके बाद आरोपित समीर खान व शम्मी खान वहां से भाग गए।
'दुष्कर्म पीड़िता के बयान की प्रक्रिया पूर्ण की गई है। इसके पश्चात 5 दिनों के लिए उसे घर जाने की इजाजत दी गई है। उसके सामान्य होने के बाद बालिका संरक्षण गृह भेजने की कार्रवाई की जाएगी। साथ ही सीएनसीपी के लिए मिले आवेदन को डीएलएसए को भेजा रहा है।' -उपेंद्रनाथ दूबे, अध्यक्ष, सीडब्ल्यूसी, गढ़वा।
गढ़वा में जिला बाल कल्याण समिति के समक्ष बयान देने पहुंची दुष्कर्म पीडि़ता को गुरुवार को पुलिस अपने साथ ले गई। पुलिस की इस कार्रवाई को अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण बताते हुए सीडब्ल्यूसी के अध्यक्ष उपेंद्रनाथ दूबे ने कहा कि वे डीएलएसए गढ़वा, प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश, बाल अधिकार संरक्षण आयोग तथा झालसा को इसकी जानकारी देंगे। उन्होंने कहा कि पुलिस को सीडब्ल्यूसी में वर्दी पहनकर आने का अधिकार नहीं है, जबकि 20 से 25 की संख्या में वर्दीधारी पुलिसकर्मी सीडब्ल्यूसी कार्यालय में पहुंचकर दुष्कर्म पीडि़ता का बयान दर्ज कर रहे जिला बाल कल्याण समिति के सदस्य विनय पाल व सुशील कुमार द्विवेद्वी के सामने बच्ची को उठाकर ले गए।
मेराल थाना क्षेत्र के एक गांव में दो मार्च को अनुसूचित जाति की एक 13 वर्षीय किशोरी के साथ सामूहिक दुष्कर्म का मामला सामने आया था। किशोरी के पिता का निधन हो चुका है और वह मां के साथ ननिहाल में रहती है। घटना को लेकर 3 मार्च को पीडि़ता ने मेराल थाना में टिकुलडीहा गांव के समीर खान व शम्मी खान के विरुद्ध दुष्कर्म करने का मामला दर्ज कराया था। इसके बाद 4 मार्च को पुलिस ने पीडि़ता द्वारा दर्ज कराई गई प्राथमिकी को असत्य बता दिया। पुलिस का कहना था कि बच्ची अपने प्रेमी के साथ आपत्तिजनक स्थिति में थी, जिसे समीर खान व शम्मी खान ने देखा था। तब अपने प्रेमी को बचाने के लिए बच्ची ने पुलिस को झूठा बयान दिया था।
कार्यालय में आई दुष्कर्म पीडि़ता का बयान नहीं दर्ज कर सके सीडब्ल्यूसी के सदस्य
इस मामले में सीडब्ल्यूसी ने संज्ञान लेकर मेराल थाना प्रभारी को दुष्कर्म पीडि़ता को प्रस्तुत करने का दूरभाष पर निर्देश दिया था, लेकिन पुलिस ने पीडि़ता को प्रस्तुत नहीं किया। तब 11 मार्च 2020 को सीडब्ल्यूसी सदस्य विनय पाल व सुशील द्विवेदी, पीएलवी संगीता सिन्हा तथा पीओआइसी संजय ठाकुर ने पीडि़ता के ननिहाल पहुुंचकर मामले की जानकारी ली और उसके परिजनों को सीडब्ल्यूसी कार्यालय में आकर बयान दर्ज कराने को कहा था। पीडि़त बच्ची, उसकी मां, मौसी, मामी समेत कई परिजन सीडब्ल्यूसी कार्यालय में 12 मार्च को पहुंचकर बयान दर्ज करा रहे थे, इस बीच पुलिस पीडि़ता को उठाकर ले गई। सीडब्ल्यूसी के सदस्य कार्यालय आई बच्ची का भी बयान दर्ज नहीं कर सके।
दो दिनों तक मेराल थाना में रही दुष्कर्म पीडि़ता नाबालिग बच्ची
दुष्कर्म पीडि़ता नाबालिग बच्ची को दो दिनों तक मेराल थाना में रखा गया था। इसका खुलासा पीडि़ता द्वारा सीडब्ल्यूसी को दिए बयान में हुआ है। बताया गया कि जब प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए बच्ची को लेकर उसके परिजन मेराल थाना में गए तो बच्ची को मेराल थाना में ही रोक लिया गया। 4 मार्च को 164 सीआरपीसी के तहत न्यायालय में पीडि़ता का बयान दर्ज कराने के बाद पुलिस ने उसे घर जाने दिया। इसके बाद उसके घर पर चौकीदार यतेंद्र पासवान को पहरा के लिए लगा दिया गया था। 12 मार्च को शौच के लिए बाहर जाने का बहाना कर पीडि़ता व उसके परिजन सीडब्ल्यूसी कार्यालय में पहुंचे थे।
मामले में एससी-एसटी आयोग ने लिया संज्ञान
गढ़वा जिले के मेराल थाना क्षेत्र के एक गांव में अनुसूचित जाति की एक नाबालिग किशोरी साथ 2 मार्च को हुए दुष्कर्म के मामले में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने संज्ञान लिया है। इसे लेकर राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के सदस्य डॉ योगेंद्र पासवान ने गुरुवार को मेराल थाना क्षेत्र के पीडि़ता के गांव का दौरा कर किशोरी के परिजनों से पूरी घटना की जानकारी ली। इसके बाद गढ़वा परिसदन में आयोजित पत्रकार वार्ता में डॉ योगेंद्र पासवान ने कहा कि पुलिस अधीक्षक को इस मामले में स्वयं जांच करने तथा 15 दिनों में जांच रिपोर्ट को राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग को भेजने के निर्देश दिए गए हैं।