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गैंगस्टर सुजीत सिन्हा-अमन साव साक्ष्य के अभाव में बरी, व्यवसायी से रंगदारी मांगने के मामले में थे अभियुक्त

रांची के व्यवसायी से रंगदारी मांगे जाने के मामले में अभियुक्त गैंगस्टर सुजीत सिन्हा को रांची सिविल कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। न्यायिक दंडाधिकारी एमके सिंह की अदालत ने सुजीत सिन्हा को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया।

By Vikram GiriEdited By: Published: Wed, 28 Jul 2021 01:18 PM (IST)Updated: Wed, 28 Jul 2021 01:52 PM (IST)
गैंगस्टर सुजीत सिन्हा-अमन साव साक्ष्य के अभाव में बरी, व्यवसायी से रंगदारी मांगने के मामले में थे अभियुक्त
गैंगस्टर सुजीत सिन्हा-अमन साव साक्ष्य के अभाव में बरी। जागरण

रांची, राज्य ब्यूरो। रांची के व्यवसायी से रंगदारी मांगे जाने के मामले में अभियुक्त गैंगस्टर सुजीत सिन्हा को रांची सिविल कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। न्यायिक दंडाधिकारी एमके सिंह की अदालत ने सुजीत सिन्हा व अमन साव को ने साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है। अदालत ने माना कि इस मामले में अभियोजन अभियुक्तों पर आरोप साबित करने में नाकाम रहा। इसलिए सभी अभियुक्तों को बरी किया जाता है। प्रार्थी के अधिवक्ता विनोद कुमार सिंह ने कोर्ट को बताया कि जब मोबाइल से मैसेज भेजकर रंगदारी मांगी गई उस दौरान सुजीत सिन्हा और अमन साव न्यायिक हिरासत में थे। इसके अलावा पुलिस ने इस मामले में उस मोबाइल को जब्त भी नहीं किया।

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जिससे व्यवसायी को रंगदारी देने और धमकी का मैसेज दिया गया है। ऐसे में उन पर कोई प्रत्यक्ष आरोप साबित नहीं होता है। इसलिए अभियुक्तों को बरी किया जाए। बता दें कि वर्ष 2020 में बरियातु थाने में विपिन मिश्रा ने सुजीत सिन्हा और अमन साव समेत सात लोगों के खिलाफ रंगदारी मांगने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। आवेदन में कहा गया है कि अमन साव ने खुद को सुजीत सिन्हा गैंग का बताते हुए उनसे 25 लाख रुपये की रंगदारी मांगी थी। रंगदारी नहीं देने पर जान से मारने की धमकी दी गई थी। इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से पुलिस ने कोर्ट में छह गवाह पेश किए थे। जबकि बचाव पक्ष की ओर से एक भी गवाह पेश नहीं किया गया।

चर्चित अपराधियों में शामिल हैं सुजीत सिन्हा व अमन साव

सुजीत सिन्हा व अमन साव झारखंड के चर्चित अपराधियों में शामिल हैं। इनके खिलाफ अलग-अलग थानों में प्राथमिकी दर्ज है। इसमें कई मामले बेहद गंभीर प्रवृति के हैं। ऐसे में व्यवसायी को धमकी देने के मामले में साक्ष्य के अभाव में इन लोगों के बरी होने की स्थिति पुलिस की जांच प्रणाली पर सवाल खड़े करती है।


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