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    Ganesh Chaturthi 2020: प्रवासियों से अभ्रकांचल में लोकप्रिय हुआ गणेशोत्सव, यहां दिखती है मराठी संस्‍कृति की झलक

    By Sujeet Kumar SumanEdited By:
    Updated: Sun, 23 Aug 2020 05:16 PM (IST)

    Ganesh Chaturthi 2020 जिले का शायद ही ऐसा कोई कस्बा होगा जहां आसपास भगवान गणेश की पूजा ना होती हो। हालांकि कोरोना काल में इसमें कुछ कमी जरूर आई है।

    Ganesh Chaturthi 2020: प्रवासियों से अभ्रकांचल में लोकप्रिय हुआ गणेशोत्सव, यहां दिखती है मराठी संस्‍कृति की झलक

    कोडरमा, जासं। Ganesh Chaturthi 2020 अभ्रकांचल यानि कोडरमा के ग्रामीण क्षेत्रों में इन दिनों गणपति बप्पा मोरिया... के जयकारे गूंज रहे हैं। गांव-गांव में स्थापित विघ्नहर्ता गणपति की प्रतिमा, पंडालों में खेलते-कूदते बाल गणेश रूप धारण किए बच्चों से यहां मराठी संस्कृति की झलक नजर आती है। दरअसल यहां गणेश पूजा की संस्कृति के वाहक वे प्रवासी मजदूर हैं जो महाराष्ट्र व गुजरात में रोजगार करते हुए वहां के सबसे बड़े लोकपर्व गणेशोत्सव की संस्कृति को अपने गांव तक ले आए।

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    जिले का शायद ही ऐसा कोई कस्बा होगा, जहां आसपास भगवान गणेश की पूजा ना होती हो। कोरोना काल में इसमें कुछ कमी जरूर आई है, लेकिन लोगों के उत्साह में कोई कमी नहीं दिख रही है। यहां गणपति की पूजा 25 वर्षों पहले से शुरू हुई जो अभी भी हो रही है। जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर मरकच्चो प्रखंड के ग्राम जामु में नवयुवक संघ के द्वारा गणेश पूजा की शुरुआत सन 1995 में नागेंद्र प्रसाद, जयप्रकाश नारायण, लाटो साव, नंद लाल साव, अर्जुन साव की पहल पर की गई थी।

    यह जिले की सबसे पुरानी गणेश पूजा समिति है। नागेंद्र प्रसाद व जयप्रकाश नारायण आदि बताते हैं कि मुंबई में गणेश पूजा की धूम के बारे में सुनते आ रहे थे। यहां के कुछ युवक मुंबई में रहते थे। उनलोगों ने जामु में भी गणेश पूजा करने की चर्चा की। उसके बाद 1995 में लोगों ने गणेश मूर्ति लगाकर पूजा करने का संकल्प लिया। लोगों ने बताया कि उस समय झुमरी तिलैया शहर में कहीं भी पूजा नहीं होती थी। उस समय पूजा में कुल लागत 17 सौ रुपये का आया था।

    इसके बाद से यहां पूजा अनवरत होती आ रही है। वहीं जामु नदी पर बाल गणेश पूजा समिति के द्वारा लगभग 14 साल से धूमधाम से पूजा-अर्चना की जा रही है। पूजा समिति के अध्यक्ष धनेश्वर साव, सचिव संजय कुमार, कोषाध्यक्ष प्रणव भारती ने बताया कि सन 2007 में छात्र गौतम कुमार व रविंद्र कुमार, जिनकी उम्र उस समय 10 से 12 साल रही होगी, ने खुद से मिट्टी की मूर्ति बनाकर पूजा की शुरुआत की। इसके बाद दूसरे साल से ग्रामीणों ने पूजा की बागडोर अपने हाथों में ले ली और तब से प्रत्येक साल पूजा धूमधाम से की जा रही है।

    वहीं लगभग 5 वर्षों से गणेश पूजा समिति विंडा के द्वारा भी धूमधाम से पूजा-अर्चना की जा रही है। सिमरिया में भी प्रवासी मजदूरों के द्वारा गणेश पूजा की जा रही है। जयनगर प्रखंड में विगत 10 वर्षों से गणपति की पूजा विभिन्न क्षेत्रों में भी मनाई जा रही है। यहां भी पूजा की शुरुआत प्रवासियों के द्वारा ही की गई थी। इस वर्ष कोरोना संक्रमण के कारण लॉकडाउन में पहुंचे प्रवासी मजदूर अपने गांव में गणपति की पूजा पूरे धूमधाम से कर रहे हैं।

    स्थानीय जयनगर दुर्गा मंदिर में गत 6 वर्ष से गणपति की पूजा की जा रही है। यहां पर जयनगर निवासी कृष्णा सोनी ने गणपति पूजा की शुरुआत की थी। कृष्णा लॉकडाउन में मुंबई में ही हैं और वहां गणपति की पूजा अर्चना में लीन हैं, लेकिन यहां पर आयोजित पूजा प्रबंध समिति के द्वारा दो दिवसीय गणपति पूजा की जा रही है। इसमें अध्यक्ष सुनील सिंह, सचिव सरोज सोनी सहित कई सदस्य जुटे हुए हैं। कृष्णा सोनी की मानें तो अगर लॉकडाउन नहीं रहता तो इस बार निश्चित तौर पर बड़े पैमाने पर गणपति की पूजा की जाती।

    वहीं दूसरी ओर प्रखंड के ग्राम सांथ में भी विगत 8 वर्षों से गणपति की पूजा की जा रही है। यहां पर स्थानीय शिवपूजन राम ने पूजा की शुरुआत की थी। शिव पूजन मुंबई में लगभग 20 वर्षों से बड़ा पाव का बिजनेस कर रहे हैं। वे गत 8 वर्ष से यहां गणपति की पूजा कर रहे हैं। फिलहाल वे लॉकडाउन में अपने घर आए हैं और यहां बड़ापाव सहित कई सामग्री बनाकर बेच रहे हैं। इस बार भी गणपति की पूजा पूरे धूमधाम से की जा रही है। यहां पूजा को लेकर आदर्श बाल युवा क्लब का भी गठन किया गया है।

    दूसरी ओर जयनगर के कई क्षेत्रों में गणपति उत्‍सव मनाया है। हर क्षेत्र में प्रवासी मजदूर पूजा अर्चना में काफी उत्साह और हर्ष उल्लास के साथ शामिल हुए हैं। औद्या‍ेगिक क्षेत्र डोमचांच प्रखंड के विभिन्न क्षेत्रों में गणपति महोत्सव की धूम है। यहां विभिन्न क्लबों के द्वारा पूजा की जाती है। न्यू फ्रेंडशिप बाल क्लब के सदस्य सरोज कुमार ने बताया कि महेशपुर निवासी पप्पू शर्मा, जो मुंबई में रहता था, उन्हीं के द्वारा यहां 7 वर्ष पहले पूजा की शुरुआत की गई थी। 65 वर्षीय दीपू साव ने बताया कि यहां भी प्रवासियों के कारण ही पूजा का प्रचलन बढ़ा है। वैसे लेंगरपीपर व तेतरियाडीह में पूजा काफी पहले से की जा रही है।

    बाल गणेश बना 4 वर्षीय बालक प्रियस

    मरकच्चो निवासी परितोष सिन्हा का पुत्र प्रियस सिन्हा ने बाल गणेश का रूप धरकर लोगों का मन मोह लिया है। बालक की मां प्रियंका प्रिया व पिता परितोष सिन्हा ने बताया कि दोनों ने मिलकर लगभग 8 घंटे की कड़ी मेहनत के बाद अपने बेटे को गणेश के रूप में सजाया। गणेश रूप में देखकर दोनों को काफी खुशी हुए। दोनों ने बताया कि कृष्णा जन्माष्टमी के अवसर पर कृष्ण के रूप में व गणेश महोत्सव के समय गणेश भगवान के रूप में अपने पुत्र को हर साल सजाते हैं।