खाद्य पदार्थो में मिलावट रोकने में झारखंड फिसड्डी, केंद्र ने जताया असंतोष
खाद्य पदार्थो में मिलावट रोकने तथा लोगों को स्वच्छ और पोषक भोजन उपलब्ध कराने के मामले में झारखंड फिसड्डी साबित हो रहा है।
नीरज अम्बष्ठ, रांची : खाद्य पदार्थो में मिलावट रोकने तथा लोगों को स्वच्छ और पोषक भोजन उपलब्ध कराने में झारखंड की स्थिति बिल्कुल उत्साहजनक नहीं है। यह कहना है फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथारिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआइ) का। भारत सरकार के सचिव सह केंद्र की इस नियामक संस्था के सीईओ पवन अग्रवाल ने राज्य के मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी को पत्र लिखकर राज्य की स्थिति पर असंतोष जताया है। उनकी मुख्य चिंता खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के रिक्त पदों को लेकर है। उन्होंने मुख्य सचिव से इसपर व्यक्तिगत रूप से रूचि लेने तथा तीन माह के भीतर सभी रिक्त पदों को भरने को कहा है।
एफएसएसएआइ के सीईओ ने केंद्र में हुई समीक्षा में सामने आई बातों का हवाला देते हुए कहा है कि झारखंड में केवल 24 अभिहित (एडजुकेंट) अधिकारी, तीन स्थायी तथा 216 अंशकालिक खाद्य सुरक्षा अधिकारी हैं। आदर्श रूप से झारखंड में 28 पूर्णकालिक अभिहित अधिकारी और 219 खाद्य सुरक्षा अधिकारी होने चाहिए।
स्थायी अधिकारियों की कमी कहीं न कहीं खाद्य पदार्थो में मिलावट को लेकर राज्य में खराब निगरानी गतिविधियों का कारण है और खाद्य सुरक्षा को संकट में डालती है। सीएजी व संसदीय समितियों ने की है आलोचना
सीईओ के अनुसार खाद्य सुरक्षा अधिनियम-2006 के प्रावधानों के अनुपालन में कर्मचारियों की कमी संसदीय स्थायी समितियों और भारत के नियंत्रक महालेखापरीक्षक द्वारा गंभीर आलोचना का विषय रहा है। यह मुद्दा इस साल जनवरी में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के साथ राज्य के स्वास्थ्य मंत्रियों की पहले गोलमेज बैठक में भी उठा था। जेपीएससी में लटकी है नियुक्ति
नकली खाद्य पदार्थो की बिक्री पर रोक लगाने के लिए खाद्य पदार्थो के सैंपल लेने तथा उनकी जांच कराने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी खाद्य सुरक्षा अधिकारियों (फूड इंस्पेक्टरों) की है। लेकिन राज्य में मात्र तीन खाद्य सुरक्षा पदाधिकारी बचे हैं। दूसरी तरफ, जेपीएससी में लंबे समय से इन पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है। चिकित्सक संभाल रहे जिम्मेदारी
स्वास्थ्य विभाग ने खाद्य सुरक्षा पदाधिकारियों के लगभग सभी पद रिक्त होने के कारण खाद्य पदार्थो के सैंपल लेने की जिम्मेदारी चिकित्सा पदाधिकारियों को सौंपी है। वहीं, अभिहित पदाधिकारी का काम एसीएमओ देख रहे हैं।
जानकार बताते हैं कि चिकित्सकों के पास खाद्य सुरक्षा पदाधिकारियों के लिए तय अनिवार्य योग्यता नहीं होती। मिलावटखोरों की है चांदी
राज्य में मिलावटखोरों की चांदी है। पिछले साल रांची के तत्कालीन एसडीओ भोर सिंह यादव ने भारी मात्रा में नकली खाद्य तेल पकड़े थे। इसके बाद खूंटी में भी नकली खाद्य पदार्थ बनाने के धंधे का भंडाफोड़ हुआ था।