RIMS में दाखिले के नाम पर ठगी, 20 लाख में दिया फर्जी नामांकन पत्र Ranchi News
राज्य के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) में नामांकन के नाम पर फर्जीवाड़ा चल रहा है।
रांची, [अमन मिश्रा]। राज्य के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) में नामांकन में ठगी का खेल चल रहा है। रिम्स में नामांकन दिलाने का दावा कर अभिभावकों को ठगा जा रहा है। दो माह में ऐसे 20-22 मामले रिम्स प्रबंधन के पास आए हैं। हालिया घटनाक्रम में मध्यप्रदेश के उमरिया जिले की एक छात्रा एडमिशन संबंधित कागजात के सत्यापन के दौरान रिम्स निदेशक डॉ. डीके सिंह के पास पहुंची। वहां छात्रा और उसके अभिभावक के होश उड़ गए क्योंकि उनके सारे कागजात फर्जी पाए गए।
जब छात्रा से नेशनल एलीजिबिलिटी कम इंट्रेंस टेस्ट (नीट) का अंक पत्र मांगा गया तो उसमें उसका अंक 720 में महज 161 था। वहीं ऑल इंडिया रैंक करीब छह लाख के आसपास था। इतने कम अंक पर नामांकन संभव ही नहीं है। रिम्स में इस साल न्यूनतम 500 अंक तक के विद्यार्थियों का नामांकन हुआ है। अभिभावक ने रिम्स मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के नाम पर ठग को 20 लाख रुपये देने की बात कही।
रिम्स परिसर में ही हुई थी डील
ठग ने अभिभावकों को कोल इंडिया कोटा का हवाला देते हुए एडमिशन कराने का भरोसा दिलाया। ठग ने रिम्स परिसर में छात्रा और उसके अभिभावकों को घुमाकर सारा कैंपस दिखाने के बाद उनसे 20 लाख रुपये में एडमिशन दिलाने सौदा किया। ठग ने पैसे लेने के कुछ दिन बाद एडमिशन के सारे फर्जी कागजात थमा दिए। ठग ने हूबहू नामांकन की रसीद, मनी रिसीट, सेशन फी रिसीट तो बना ही डाले। साथ ही एडमिशन के बाद सत्र में शामिल होने वाले आदेश पत्र की भी हूबहू नकल बना दी। इन तमाम कागजात में बैंक चालान नंबर के साथ रिम्स के विभिन्न विभागों के स्टांप भी लगे हैं, जो फर्जी हैं।
नीट में सारे डिटेल ऑनलाइन, तब भी हो रहे ठगी का शिकार
मेडिकल कॉलेज में दाखिले की प्रक्रिया नीट से होकर गुजरती है। नीट ऑनलाइन इंट्रेंस टेस्ट लेता है। रैंक के आधार पर किसी भी मेडिकल कॉलेजों में दाखिला मिलता है। रिम्स में नामांकन के लिए कोई कोटा भी नहीं है। कोट रिम्स में दो माह में करीब 22 विद्यार्थी ठगी के शिकार हुए हैं। सारी प्रक्रिया ऑनलाइन होने के बाद भी वे ठगों के चंगुल में फंस रहे हैं। कई मामलों में तो रिम्स में एडमिशन संबंधित सारे फर्जी कागजात विद्यार्थी को उपलब्ध कराए गए हैं।
रिम्स प्रबंधन इस मामले में गिरोह का पता लगाने की कोशिश कर रहा है। -डॉ. डीके सिंह, निदेशक, रिम्स।
अभिभावक इस तरह के फर्जीवाड़े और धोखे से बचें। सरकारी मेडिकल कॉलेज में सिर्फ मेरिट के आधार पर दाखिला होता है। इन मेडिकल कॉलेजों में डोनेशन की कोई गुंजाइश नहीं है। -डॉ. अजित कुमार, अध्यक्ष, जेडीए, रिम्स।