झारखंड में जबरन धर्मांतरण पर जेल, हंगामे के आसार
झारखंड में अगर कोई व्यक्ति स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन की इच्छा रखता है तो उसे उपायुक्त से सहमति लेनी होगी।
राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड में अब किसी भी व्यक्ति को बलपूर्वक, कपटपूर्ण तरीके या प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन के लिए बाध्य करना संज्ञेय अपराध (गैर जमानतीय) की श्रेणी में आएगा। ऐसे मामलों में संबंधित व्यक्तियों को तीन साल तक की जेल तथा 50 हजार रुपये का जुर्माना हो सकता है।
अगर धर्म परिवर्तन किसी नाबालिग, महिला, अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के सदस्यों का किया गया हो तो ऐसे मामले में चार साल की जेल तथा एक लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
अगर कोई व्यक्ति स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन की इच्छा रखता है तो उसे उपायुक्त से सहमति लेनी होगी। अगर वह ऐसा नहीं करता है तो उसे एक वर्ष तक का कारावास या पांच हजार रुपये का जुर्माना या दोनों तरह की सजा हो सकती है। ऐसे मामलों के अभियोजन पदाधिकारी उपायुक्त या उपायुक्त के स्तर से नामित अनुमंडल पदाधिकारी स्तर के पदाधिकारी होंगे।
इससे इतर ऐसे मामलों के जांच अधिकारी पुलिस निरीक्षक स्तर के होंगे। राज्य मंत्रिपरिषद ने इस बाबत मंगलवार को झारखंड धर्म स्वतंत्र विधेयक, 2017 को हरी झंडी दे दी है। अब इसे आठ अगस्त से शुरू हो रहे विधानसभा के मानसून सत्र में पेश किया जाएगा। वर्तमान में ओडिशा, मध्य प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान में धर्मातरण बिल प्रभावी है।
मानसून सत्र में हो सकता है हंगामा
झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र में विपक्ष भाजपा के खिलाफ धर्मांतरण निषेध विधेयक को विरोध का हथियार बना सकता है। झारखंड मुक्ति मोर्चा ने इसपर तत्काल एतराज भी जताया है। पार्टी की दलील है कि जबरन धर्मांतरण पर पूर्व से ही देश में कानून बना हुआ है। पार्टी के महासचिव सह प्रवक्ता विनोद कुमार पांडेय ने कहा कि नए सिरे से विधेयक लाना भाजपा का सांप्रदायिक एजेंडा प्रमाणित करता है। राज्य सरकार धार्मिक आधार पर ध्रुवीकरण की कोशिश में लगी हुई है।
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