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रिसालदार बाबा दरगाह पर चादरपोशी के साथ पांच दिनी उर्स शुरू

हजरत कुतुबुद्दीन रिसालदार बाबा के मजार पर चादर पेशी के साथ गुरुवार को उर्स शुरु हो गया।

By JagranEdited By: Published: Fri, 15 Nov 2019 03:08 AM (IST)Updated: Fri, 15 Nov 2019 06:16 AM (IST)
रिसालदार बाबा दरगाह पर  चादरपोशी के साथ पांच दिनी उर्स शुरू
रिसालदार बाबा दरगाह पर चादरपोशी के साथ पांच दिनी उर्स शुरू

जागरण संवाददाता, रांची : हजरत कुतुबुद्दीन रिसालदार बाबा के मजार पर चादर पेशी के साथ गुरुवार को पांच दिवसीय सालाना उर्स का आगाज हो गया। सुबह में रिसालदार बाबा दरगाह कमेटी की तरफ से कुरान खानी हुआ। आठ बजे नाते फातिहा खानी के बाद परचम फहराया गया। सदर हाजी अब्दुल रऊफ गद्दी की ओर से बाबा को पहला चादर मजार शरीफ में पेश किया गया। इसके साथ ही चादर पेशी के लिए जायरीनों में होड़ मच गई। इससे पूर्व गाजे-बाजे के बीच कमेटी सदर के ग्वाला टोली आवास से चारयोम की चादर निकाली गई। डोरंडा के विभिन्न मुहल्लों में चादर को घुमाया गया। अकीदमंदों ने गुस्ल की रस्म अदायगी की। कलमा पढ़ा गया। देर रात तक मजार पर चादर पेश करने आम और खास का तांता लगा रहा। उमड़ी भीड़ : उर्स के मौके पर सैकड़ों की भीड़ उमड़ी। पुलिस बल के साथ दर्जनों कार्यकर्ता व्यवस्था संभालने में जुटे हुए थे। मौके पर आसिफ अली, उपाध्यक्ष हाजी जाकिर हुसैन, मोहम्मद इरफान खान उर्फ पप्पू, महासचिव मोहम्मद फारुख, उपसचिव मोहम्मद नसीम गद्दी, उपसचिव शोएब अंसारी, उपाध्यक्ष हाजी मुख्तार कुरैशी, सचिव मोहम्मद बिलाल, कोषाध्यक्ष मोहम्मद वसीम, बबलू पंडित, साजिद गद्दी, शराफत हुसैन, सैफ अली, मोहम्मद इकबाल, अली अहमद, अन्नु, मोहम्मद नासिर, अनवर खान, इमामुद्दीन गद्दी, अतीक उर रहमान गद्दी, मुन्ना गद्दी, आरिफ जमाल, नौशाद, जावेद खान, ताजुल, पूर्व नायब सदर जहीरूद्दीन अली अहमद, आसिफ भाई, साकिर भाई, अब्दुल खालिक, मंजर महफूज अंसारी मंजूर हबीबी आदि शामिल हुए। कव्वाली पेश कर श्रोताओं को झुमाया

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उर्स के उद्घाटन पर कव्वालों के बीच कव्वाली का मुकाबला हुआ। मुख्य कव्वाल कौसर जानी इमाम जानी शहंशाह ब्रदर्स कलाम नाजा वारसी ने एक से बढ़कर एक शेरों-शायरी पेश किए। कव्वालों की हाजिर जवाबी लोगों को खूब पसंद आये।

रिसालदार बाबा के गुस्ल की रस्म के साथ गुलाब जल और संदल लेने के लिए अकीदमंदों के बीच होड़ मच गई। लोग बारी-बारी से बाबा के अस्ताने से बहा जल माथे पर लगा रहे थे। संदल और गुलाब लेने के लिए अपने साथ कागज और बोतल लेकर पहुंचे थे। पूरा माहौल श्रद्धा से भरा हुआ था। व्यवस्था संभालने में कमेटी सदस्य के पसीने छूट रहे थे।


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