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मराठी फिल्म दिखाकर सिखाया गया पटकथा लेखन

प्रतिभागियों को फिल्म एवं टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, पुणे के पटकथा लेखक संवार्थ साहिल द्वारा प्रशिक्षण दिया गया।

By Edited By: Published: Thu, 24 May 2018 07:45 AM (IST)Updated: Thu, 24 May 2018 02:01 PM (IST)
मराठी फिल्म दिखाकर सिखाया गया पटकथा लेखन
मराठी फिल्म दिखाकर सिखाया गया पटकथा लेखन

रांची, जेएनएन। कृतिका प्रोडक्शंस की ओर से बुधवार को सेंट जेवियर्स कॉलेज के पत्रकारिता विभाग में फिल्म पटकथा लेखन कार्यशाला आयोजित की गई। मौके पर प्रतिभागियों को फिल्म एवं टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, पुणे के पटकथा लेखक संवार्थ साहिल द्वारा प्रशिक्षण दिया गया। साथ ही, झारखंड के पहले राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त कर्ता, फिल्म निर्माता श्रीप्रकाश ने भी प्रतिभागियों को पटकथा लेखन की बारीकियों से रूबरू कराया। विद्यार्थियों को इस दौरान एक मराठी फिल्म सैराट भी दिखाई गई, जिसके द्वारा उन्हें पटकथा लेखन की बुनियादी बातें सिखाई गईं। 12 प्रतिभागी हुए शामिल कार्यशाला में कुल 12 प्रतिभागी शामिल हुए।

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प्रतिभागियों में कुछ एमिटी के विद्यार्थी हैं, कुछ सेंट जेवियर्स और कुछ फिल्म निर्माता भी शामिल हैं। श्री प्रकाश ने कहा कि पटकथा लेखन एक चरणबद्ध प्रक्रिया है। इसके कुछ मौलिक सिद्धात हैं, जिन्हें जानना जरूरी है। कहानी या कथा किसी की भी हो सकती है। एक पटकथाकार केवल उस कहानी या कथा को एक निश्चित उद्देश्य यानी फिल्मों के निर्माण के लिए लिखता है, जो पटकथा यानी स्क्रीन प्ले कहलाती है और दूसरी ओर एक कथाकार स्वयं पटकथाकार भी हो सकता है यानी कहानी भी उसकी और पटकथा भी उसी की। सवाल है कि पटकथा लेखन के सिद्धात क्या हैं? यह कैसे लिखें? क्या लिखें और क्या न लिखें? एक फिल्मी कथानक का बीजारोपण कैसे होता है, इसका प्रारूप कैसा होता है? यही हम यहां प्रतिभागियों को सिखाने की कोशिश कर रहे हैं।

झारखंड एक बहुत ही समृद्ध राज्य है, लेकिन सिनेमा के मामले में अभी थोड़ा पीछे चल रहा है। इस कार्यशाला में 12 छात्र हिस्सा ले रहे हैं, जो झारखंड और आसपास के क्षेत्र के हैं। चयनित प्रतिभागियों में मध्यवर्ती छात्र और कुछ उभरते फिल्म निर्माता भी शामिल हैं। इस कार्यशाला के दौरान पटकथा लेखन संबंधी सवालों के जवाब दिए गए और लोगों को समझाया गया कि कैसे कुछ लाइनों का आइडिया पटकथा का और फिर फिल्मों का रूप ले लेता है। एक लेखक को खुद को कैरेक्टर की तरह महसूस करना पड़ता है।


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