नकली खाद-बीज पर लगेगी नकेल, प्रयोगशाला में जांच के बाद ही होगी बिक्री Ranchi News
Jharkhand सरकार ने खाद-बीज विक्रेताओं को स्पष्ट निर्देश दे रखा है कि वे खाद-बीज बेचने के पूर्व उसकी जांच परीक्षण प्रयोगशाला से कराना सुनिश्चित करेंगे।
रांची, राज्य ब्यूरो। राज्य के बाजारों में धड़ल्ले से नकली खाद-बीज बिक रहे हैं। किसान इसका उपयोग करते हैं। फसल उगने पर या फसल तैयार होने के बाद किसानों को पता चलता है कि वे ठगे जा चुके हैं। इससे किसानों को काफी नुकसान होता है। उनकी गाढ़ी कमाई चौपट हो जाती है। राज्य सरकार ने नकली खाद और बीज पर नकेल कसने के लिए कड़े नियम बनाए हैं लेकिन इसके लिए जागरुकता सबसे बड़ा उपाय है। किसान प्रतिष्ठित और तमाम मानकों पर खरे उतरने वाले ब्रांड का इस्तेमाल करें।
सरकार ने खाद-बीज विक्रेताओं को भी स्पष्ट निर्देश दे रखा है कि वे बीज बेचने के पूर्व उसकी जांच परीक्षण प्रयोगशाला से कराना सुनिश्चित करेंगे। उर्वरक और कीटनाशक में भी इस नियम को मानना आवश्यक है। कुछ घटनाएं सामने आने के बाद सरकार ने इस बाबत कड़े निर्देश जारी किए हैं। उर्वरकों की खरीद-बिक्री में भी पारदर्शिता लाने के लिए डीबीटी लागू है। इससे पंजीकृत खुदरा विक्रेता लाभान्वित होंगे। उर्वरक में डीबीटी कार्यक्रम के तहत अबतक 3585 पीओएस मशीन पंजीकृत उर्वरक विक्रेताओं को निश्शुल्क प्रदान किया गया है। इसके माध्यम से राज्य में 366561.21 एमटी उर्वरक का उठाव किसान कर चुके हैं।
किसान इसके लिए आधार, वोटर आइडी या किसान क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे उर्वरकों की उपलब्धता सहज हुई है। इसके साथ ही इनकी गुणवत्ता से खिलवाड़ भी नहीं हो रहा है। किसानों को गुणवत्तायुक्त बीज, उर्वरक और कीटनाशी के लिए वितरण से पूर्व इसकी संबंधित प्रयोगशाला में जांच कर मानक अथवा अमानक प्रतिवेदन प्राप्त करना आवश्यक है। निजी बीज विक्रेताओं द्वारा विक्रय किए जाने वाले बीजों के नमूनों को भी संबंधित बीज परीक्षण प्रयोगशाला भेजना आवश्यक है।
दरअसल इसके सतत निरीक्षण और पर्यवेक्षण की आवश्यकता है। कृषि विभाग का जिलों को इस बाबत स्पष्ट निर्देश है। इसके लिए जिला उपायुक्त की अध्यक्षता में टास्क फोर्स गठित करना है। इसमें कृषि विभाग के पदाधिकारी भी रहेंगे। टीम कुछ-कुछ माह के अंतराल पर बैठक कर आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित करेगी। इसी प्रकार प्रखंडों और जिलों में एक कोषांग का भी गठन करना है जो किसानों की समस्याओं के समाधान की दिशा में काम करेगा।
इस वर्ष 385781 क्विंटल बीज वितरण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। जिलों में गुणवत्तापूर्ण बीज की उपलब्धता सुनिश्चित करना और किसानों के बीच वितरण में क्षेत्रीय पदाधिकारियों और प्रसारकर्मियों की अहम भूमिका होती है। प्रसार कर्मियों के सहयोग से शतप्रतिशत बीज वितरण तत्परता से सुनिश्चित करना आवश्यक है।
नमूनों की जांच का लक्ष्य
जिला उर्वरक बीज कीटनाशी
रांची 150 200 05
गुमला 50 150 02
सिमडेगा 50 110 02
लोहरदगा 50 110 02
पू. सिंहभूम 50 160 02
प.सिंहभूम 50 150 02
सरायकेला 50 100 02
खूंटी 50 100 02
लातेहार 50 110 02
दुमका 500 200 02
जामताड़ा 50 110 02
साहिबगंज 50 170 02
पाकुड़ 50 110 02
पलामू 100 150 04
गढ़वा 50 150 02
हजारीबाग 75 200 05
चतरा 50 150 02
कोडरमा 75 150 02
गिरिडीह 500 200 02
धनबाद 50 150 02
बोकारो 50 120 02
देवघर 150 200 05
गोड्डा 50 110 02
रामगढ़ 50 100 02
कुल 2500 3490 60
बीज प्रमाणन के लिए क्या करें
- क्षेत्र, जलवायु एवं मांग के आधार पर फसलों के विभिन्न प्रभेदों का बीज उत्पादन कराएं।
- प्रजनक अथवा आधार बीज प्राप्ति का स्त्रोत स्पष्ट रूप से आवेदन के साथ संलग्न करें।
- प्रमाणन संस्था द्वारा निर्धारित आवेदन पत्र में प्रमाणन के लिए आवेदन करें।
- बीज के निरीक्षण, प्रमाणन और निबंधन व नवीकरण के लिए निर्धारित है शुल्क।
कहां करें शिकायत
नकली खाद, बीज और कीटनाशक की शिकायत हो तो प्रखंड व जिला कृषि पदाधिकारी के यहां शिकायत दर्ज कराएं। उपायुक्त को भी अवगत करा सकते हैं। अगर इसके बाद भी कार्रवाई नहीं हो तो मुख्यमंत्री जनसंवाद केंद्र में भी लिखित अथवा ऑनलाइन शिकायत कर सकते हैं।
बीमार मिट्टी की जांच व इलाज जरूरी
किसानों की मेहनत और पैदावर को दोगुना करने के लिए भूमि संरक्षण अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र डेमोटाड़ में मृदा जांच प्रशिक्षण के दूसरे चरण के दूसरे दिन प्रशिक्षु पोटाश, सल्फर, और डोलोमाइट के गुणों से अवगत हुए। दिल्ली से आए मास्टर प्रशिक्षक नरेश कुमार ने उन्हें मृदा जांच की बारीकियों से अगवत कराया। बताया कि किसानों की आर्थिक स्थिति खाद से नहीं, बल्कि बीमार मिट्टी की जांच और इलाज से होगी। सरकार ने इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए यह कार्य करने का जिम्मा हमारे कंधों पर दिया है।
प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षक ने वर्मी कंपोस्ट से भी किसानों को अवगत कराने की बात कही। प्रशिक्षुओं को बताया कि वर्मी कंपोस्ट में कई तरह के तत्व पाए जाते हैं। इसे घर में भी तैयार किया जा सकता है। मिïट्टी उठाने के तरीकों से लेकर उसके पाउडर बनाने, घोल, वजन और उसे गर्म करने की तकनीक, समय और होने वाले बदलाव के रंगों को भी बताया। उप निदेशक संतोष कुमार की देखरेख में संचालित हो रहे इस प्रशिक्षण के दूसरे दिन प्रशिक्षुओं ने लैब के बाद पूरा समय खेतों में बिताया।
थोड़ी सी चूक और बीमार हो जाएंगे खेत
प्रशिक्षण के दौरान बताया कि थोड़ी भी चूक खेत को और बीमार बना सकता है। प्रशिक्षुओं को बताया गया कि कैसे हम जांच को कॉपी पर नोट करेंगे। संख्या बनाएंगे, लैब नंबर और मिट्टी के प्रकार को सैंपल पर लिखने के भी तरीके बताए गए।
मिट्टी परीक्षण के बारे में दी जानकारी
नगड़ी स्थित राज्य जलछाजन प्रशिक्षण केंद्र में कृषि पशुपालन एवं सहकारिता विभाग के भूमि संरक्षण निदेशालय द्वारा साहेबगंज, लातेहार और खूंटी जिला के 20 चयनित प्रशिक्षुओं को पांच दिवसीय मृदा परीक्षण की जानकारी दी जा रही है। प्रशिक्षण के दूसरे दिन प्रशिक्षक के रूप में उत्तर प्रदेश से आए दो विशेषज्ञ शैलेश कुमार मौर्य एवं राजेश बाबू गंगवार ने प्रशिक्षुओं को मिट्टी के गुण के बारे में विस्तारपूर्वक बताया। कहा कि मिट्टी में पीएच की मात्रा साढ़े छह से साढ़े सात है तो मिट्टी बहुत अच्छी है। किसानों को हर छह महीने में खेतों की मिट्टी की स्वास्थ्य जांच करानी चाहिए। ऑर्गेनिक कार्बन एवं नाइट्रोजन की मात्रा के बारे में भी सामान्य जानकारी दी गई।