Bollywood: फिल्म इंडस्ट्री में महिला कलाकारों को मिलता है कम महत्व
Indian Film Industry. फिल्मों में काम कर चुकी अभिनेत्री सह लेखिका अस्मिता शर्मा ने कहा कि इंडस्ट्री में पुरुष अभिनेता को महिला अभिनेत्री के मुकाबले तीन गुना ज्यादा पैसा मिलता है।
रांची, जासं। प्रतिज्ञा और बालिका वधू जैसे सीरियलों के साथ गुरटगूं सहित कई अन्य फिल्मों में काम कर चुकी अभिनेत्री सह लेखिका अस्मिता शर्मा ने कहा कि इंडस्ट्री में पुरुष अभिनेता को महिला अभिनेत्री के मुकाबले तीन गुना ज्यादा पैसा मिलता है। वहीं विज्ञापनों में महिलाओं को वस्तु की तरह परोसा जाता है। उन्होंने कहा कि आज दर्शक ज्यादातर समझदार हैं। इसलिए बड़ी-बड़ी फिल्में फ्लॉप हो रही हैं और यह इस बात का सबूत है। यह बात मंगलवार को अभिनेत्री ने ब्रेकथ्रू एनजीओ द्वारा बाल विवाह पर आयोजित परिचर्चा के दौरान कही।
नुक्कड़ नाटक ने बदल दी मां की सोच
वहीं मौके पर सिल्ली के 20 वर्षीय तब्बू ने अपनी दास्तां बताते हुए कहा कि बाल विवाह पर हुए एक नुक्कड़ नाटक ने मेरी मां की सोच बदल दी। मेरी बड़ी बहन की शादी कम उम्र में होने से रुक गई और मुझे अमेरिका तक जाने का मौका मिला। तब्बू रांची जिला के सिल्ली ब्लॉक की रहने वाली हैं। जिसके बाद 2014 से वह एनजीओ के साथ जुड़कर बाल-विवाह के प्रति ग्रामीणों को जागरूक कर रही हैं।
वहीं इस चर्चा के दौरान सीएमएस के निदेशक रघु ने बताया कि झारखंड के तीन जिलों के 42 ब्लॉक में बाल विवाह को लेकर गोष्ठियां, ट्रेनिंग, कम्युनिटी मोबिलाइजेशन और नुक्कड़ नाटक के जरिये काम करना शुरू किया था। जिसमें यह पाया कि साल 2006-12 के बीच 16.9 उम्र में शादियां हुईं। वहीं 2013-19 के बीच 18.74 उम्र में शादियां हुई।
रिसर्च संस्था एनआरएमसी के वाइस प्रेसिडेंट शैलेश नागर ने बताया कि दुनिया की एक तिहाई बाल वधुएं दक्षिण की हैं। जिनमें सबसे ज्यादा मामले बांग्लादेश और उसके बाद भारत और नेपाल जैसे देश में देखे जाते हैं। जेंडर स्पेशलिस्ट नासिर हैदर खान ने कहा, समाज में लड़कियों को लेकर जो सोच बनी होती है, वही मीडिया के न्यूज रूम में दिखाई देती है। लड़कियों को भी ज्यादातर वही बीट दे दी जाती है, जिससे उनका घरों में सरोकार होता है।
भोजपुरी गीतों में स्त्री के मन की बात हो
लोकगायिका चन्दन तिवारी ने कहा कि भोजपुरी में स्त्री के मन की बात होनी चाहिए तन की नहीं। हमारी भोजपुरी वैसी नहीं है जैसी परोसी जाती है। मैं अपने गीतों में बाल विवाह के गीतों की संख्या और बढ़ाऊंगी। वरिष्ठ पत्रकार और सांस्कृतिक कर्मी निराला बिदेशिया ने लोकगीतों का जिक्र करते हुए कहा, आज भी हमारे लोकगीतों में भेदभाव है और मीडिया की भी अपनी बाध्यताएं हैं।
1.5 मिलियन लड़कियों की कम उम्र में शादी
आइएएस अधिकारी मनीष रंजन ने कहा, देश में आज भी 1.5 मिलियन लड़कियों की शादी कम उम्र में कर दी जाती है। वहीं नौ ऐसे देश हैं, जहां अगर किसी बच्ची का रेप होता और अगर रेपिस्ट से उसकी शादी करा दी जाए, तो उसका गुनाह माफ कर दिया जाता है।