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झारखंड में होगी फैटी लिवर की स्क्रीनिग

रांची वसा यकृत रोग (फैटी लिवर) स्वास्थ्य की एक बड़ी समस्या के रूप में जानी जाती है। झारखंड में पहली बार लोगों में इस बीमारी की पहचान के बाद प्रबंधन तथा उपचार सुनिश्चित कराने के लिए समुदाय स्तर पर इसकी स्क्रीनिग कराई जाएगी।

By JagranEdited By: Published: Sat, 27 Feb 2021 07:22 PM (IST)Updated: Sat, 27 Feb 2021 09:40 PM (IST)
झारखंड में होगी फैटी लिवर की स्क्रीनिग
झारखंड में होगी फैटी लिवर की स्क्रीनिग

रांची : वसा यकृत रोग (फैटी लिवर) स्वास्थ्य की एक बड़ी समस्या के रूप में जानी जाती है। झारखंड में पहली बार लोगों में इस बीमारी की पहचान के बाद प्रबंधन तथा उपचार सुनिश्चित कराने के लिए समुदाय स्तर पर इसकी स्क्रीनिग कराई जाएगी। केंद्र सरकार ने गैर अल्कोहल वसा यकृत रोग (नन अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज) को नेशनल प्रोग्राम फॉर प्रीवेंशन एंड कंट्रोल ऑफ कैंसर, डायबिटीज, कार्डियो वैसक्यूलर डिजीज एंड स्ट्रोक (एनपीसीडीसीएस) में शामिल करते हुए इसे लागू करने को लेकर दिशा-निर्देश राज्य सरकार को भेजे हैं। राज्य में इसे लागू करने की तैयारी शुरू कर दी गई है।

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इस कार्यक्रम के तहत फैटी लिवर से बचाव को लेकर व्यापक प्रचार-प्रसार, स्क्रीनिग, रोग प्रबंधन तथा क्षमता संव‌र्द्धन के कार्य किए जाएंगे। नन अल्कोहलिक फैटी लिवर से ग्रसित लोगों की समुदाय आधारित स्क्रीनिग सहिया के माध्यम से कराई जाएगी। जांच के बाद आवश्यकता पड़ने पर उचित उपचार भी सुनिश्चित कराया जाएगा। सहिया लोगों की पेट की मोटाई की जांच कर फैमिली हिस्ट्री तथा संबंधित व्यक्ति में मधुमेह, उच्च रक्तचाप, कैंसर, हृदय रोग आदि की विवरणी निर्धारित फॉरमेट में भरकर जमा करेंगी। यदि किसी व्यक्ति में दो बीमारी है, तो उसे नजदीकी हेल्थ सब सेंटर/हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर को रेफर करेंगी, जहां तैनात एएनएम (ऑक्जिलियरी नर्स एंड मिडवाइफ) तथा कम्युनिटी हेल्थ अफसर आवश्यकता पड़ने पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) या सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) को रेफर करेंगे। वहां तैनात चिकित्सा पदाधिकारी उसका अल्ट्रासाउंड जांच कर उचित उपचार करेंगे। रोग अधिक गंभीर होने पर उसे जिला या राज्य स्तरीय अस्पताल को रेफर किया जाएगा। इस कार्यक्रम के तहत राज्य में स्टेट लेवल एक्सीलेंस सेंटर की स्थापना की जाएगी।

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क्या है फैटी लिवर :

पांच से 10 प्रतिशत अधिक वजन होने को फैटी लिवर की समस्या माना जाता है। देश में नौ से 32 फीसद आबादी इससे ग्रसित है। वहीं, दूसरी श्रेणी के मधुमेह वालों में 40 से 80 प्रतिशत लोगों में यह रोग पाया जाता है। इसी तरह, मोटापे वालों में 30 से 90 प्रतिशत लोगों में यह बीमारी होती है। इन रोगियों में हृदय रोग होने की आशंका अधिक रहती है।

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इससे अधिक पेट की मोटाई को माना जाता है फैटी लिवर :

पुरुष : 90 सेमी

महिला : 80 सेमी

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झारखंड में भी फैटी लिवर की समस्या से बड़ी संख्या में लोग ग्रसित हो सकते हैं। राज्य में इस कार्यक्रम को सभी जिलों में लागू करने की तैयारी चल रही है। स्वास्थ्य से संबंधित जो भी गतिविधिया होंगी, उसे वेलनेस से जोड़कर क्रियान्वित किए जाने का प्रयास हो रहा है।

- रविशकर शुक्ला, अभियान निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य अभियान, झारखंड।

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