झारखंड के किसानों ने इजरायल में सीखे एवोकाडो की खेती के गुर Ranchi News
Jharkhand. चार दिवसीय दौरे पर इजरायल पहुंचे झारखंड के किसानों ने पहले दिन किबुत्झ का दौरा किया। यहां सैकड़ों स्त्री-पुरुष एक साथ रहकर अन्न आदि उपजाते हैं।
रांची, राज्य ब्यूरो। इजरायल के चार दिवसीय दौरे पर पहुंची झारखंड के किसानों की टीम ने पहले दिन किबुत्झ के गेशर हवीज फार्म का भ्रमण कर एवोकाडो और केले की अत्याधुनिक खेती के गुर सीखे। झारखंड से 24 सदस्यीय किसानों का दल मंगलवार की देर रात इजरायल की राजधानी तेल अवीव पहुंचा था। गेशर हवीज फार्म में करीब तीन हजार हेक्टेयर में एवोकाडो एवं दो हजार हेक्टेयर में केले की खेती की जाती है।
किसानों को बताया गया कि एवोकाडो की खेती में करीब 12 हजार डॉलर खर्च आता है एवं आमदनी इसकी तीन गुनी करीब 36 हजार डालर होती है। इसका निर्यात यहां से यूरोपीय देशों में किया जाता है। एक वर्ष का पौधा लगाया जाता है एवं तीन वर्ष में यह फल देने लगता है। इसका वुडस्टॉक भारत के दक्षिणी प्रांत केरल व तमिलनाडु से लिया जाता है एवं नर्सरी में तैयार कर इसे लगाया जाता है। वहां केले की खेती नेट हाउस में की जा रही है एवं इसमें 25,000 डॉलर पूंजीगत लागत आती है।
एवोकाडो और केला दोनों की खेती ड्रिप एरीगेशन के माध्यम से की जा रही है। खाद का उपयोग भी ड्रिप लाइन के माध्यम से किया जा रहा है। झारखंड के किसानों ने पटसन की खेती पर किए जा रहे अनुसंधान को भी देखा और इसके फायदे के संदर्भ में जानकारी प्राप्त की। यह फसल वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड लेकर प्रदूषण को नियंत्रित करता है। इसका उपयोग सीमेंट को रिप्लेस कर बिल्डिंग ब्लॉक्स में भी किया जा रहा है।
क्या है किबुत्झ
इजरायल के ग्रामीण इलाकों में एक क्षेत्र विशेष के अंदर संगठित रूप से रह रहे ग्रामीणों के समूह को किबुत्झ कहते हैं। यहां सैकड़ों स्त्री-पुरुष एक साथ रहकर अन्न आदि उपजाते हैं। वहां भूमि-जायदाद व उत्पादित वस्तुओं पर सबका अधिकार समान होता है। किबुत्झ में पति-पत्नी साथ रहते और काम करते हैं, पर बच्चे अलग नर्सरी में रखे जाते हैं, जहां उनकी सामूहिक रूप से देखभाल होती है।
क्या है एवोकाडो
एवोकाडो (पर्सिया एमेरिकाना) एक पेड़ है, जिसकी खेती पूरे विश्व में उष्णकटिबंधीय और भूमध्यसागरीय जलवायु में की जाती है। पौधे के फल को भी एवोकाडो कहा लाता है। यह एक बड़ा बेरी फल है, जो हरे रंग के नाशपाती के आकार का या गोलाकार हो सकता है। हिंदी में इसे रुचिरा या मक्खनफल कहते हैं। यह व्यावसायिक रूप से काफी मूल्यवान है।