हाई कोर्ट के नाम पर बांटे फर्जी नियुक्ति पत्र, लाखों की ठगी
मनोज कुमार सिंह, रांची शातिर अपराधी हाई कोर्ट के नाम पर भी ठगी करने से भी नहीं चूक रहे हैं
मनोज कुमार सिंह, रांची
शातिर अपराधी हाई कोर्ट के नाम पर भी ठगी करने से भी नहीं चूक रहे हैं। इतना ही नहीं, पूरे मामले में की गई कार्रवाइयों की सूचना से भी हाई कोर्ट को वंचित रखा गया है। अब मामला संज्ञान में आने पर हाई कोर्ट ने सख्ती दिखाई तो खुलासा हो रहा है कि हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के फर्जी हस्ताक्षर व मुहर से नियुक्ति पत्र जारी कर दिया गया था। यह खेल एक अधिवक्ता के साथ मिलकर खेला गया जिसमें चाईबासा के दो दर्जन बेरोजगारों से कई लाख रुपये की ठगी कर ली गई है। ठगी के शिकार लोगों द्वारा थाने में दर्ज रिपोर्ट के अनुसार अतुल शर्मा व अधिवक्ता मदन मोहन प्रसाद सिन्हा ने मिलकर ऐसा खेल रचा कि बेरोजगार युवा इनके झांसे में आ गए। कुछ दिनों बाद उन्हें बकायदा हाई कोर्ट में ट्रेनिंग दिए जाने से संबंधित पत्र भी दिया गया। इसके लिए ठगों ने हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के फर्जी हस्ताक्षर और हाई कोर्ट के फर्जी मुहर का भी इस्तेमाल किया है।
इस मामले में महेंद्र कुमार रजक के आवेदन पर 25 अगस्त 2016 को पुलिस ने अधिवक्ता मदन मोहन प्रसाद सिन्हा व अतुल शर्मा के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज की थी। फिलहाल इस मामले में अधिवक्ता मदन मोहन प्रसाद सिन्हा जमानत पर हैं, वहीं, अतुल शर्मा अभी भी जेल में बंद है। जानकारी के अनुसार चाईबासा की निचली अदालत से अधिवक्ता मदन मोहन प्रसाद सिन्हा को जमानत दिए जाने पर हाई कोर्ट नाराज है। कोर्ट ने जिला जज से यह पूछते हुए रिपोर्ट मांगी है कि किस आधार पर निचली अदालत ने उन्हें जमानत प्रदान की है।
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लिपिक पद पर नियुक्ति
हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के फर्जी हस्ताक्षर से जारी नियुक्ति पत्र में अभ्यर्थियों को चाईबासा उपायुक्त कार्यालय में लिपिक पद पर नियुक्त करने संबंधी पत्र 29 अप्रैल 2016 को जारी किया गया था। पत्र में बकायदा पे-स्केल का भी जिक्र है। सभी अभ्यर्थियों को 21 सिंतबर 2016 तक ज्वाइन करने को कहा गया था। इसमें सभी प्रमाण पत्रों की जांच के बाद ही वेतन दिए जाने की भी बात लिखी है।
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ट्रेनिंग संबंधी पत्र सभी को दिया था
चाईबासा जिला अदालत के रजिस्ट्रार के फर्जी हस्ताक्षर से आठ जून 2016 को ट्रेनिंग संबंधी पत्र जारी किया गया है। पत्र में ट्रेनिंग दिए जाने का स्थल झारखंड हाई कोर्ट परिसर बताया गया है। उक्त ट्रेनिंग 18 जून 2016 से शुरू होने की बात लिखी गई है। ट्रेनिंग दिए जाने संबंधी पत्र सभी अभ्यर्थियों को भेजा गया है, जिसमें बकायदा पत्र संख्या का भी जिक्र किया गया है।
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मुहर का भी इस्तेमाल किया
हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के फर्जी हस्ताक्षर से जमा राशि की पर्ची भी जारी की गई है। 18 जून 2016 को जारी उक्त पर्ची में हाई कोर्ट की मुहर का भी इस्तेमाल किया गया है। जिसमें चार हजार रुपये लेने की बात कही गई है। इसमें भी सीरियल नंबर का जिक्र किया गया है, ताकि यह पर्ची सही लगे।
कोट::
इस तरह के मामले की जानकारी मिली है। इसमें संलिप्त लोगों के खिलाफ पहले ही प्राथमिकी दर्ज कराने का भी आदेश दिया गया है।
-अंबुज नाथ, रजिस्ट्रार जनरल, हाई कोर्ट।
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