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अब बीडीओ-सीओ देंगे सामाजिक सुरक्षा पेंशन की स्वीकृति Ranchi News

मंत्री लुईस मरांडी ने कहा है कि सरकार इसी साल प्लेस ऑफ सेफ्टी का निर्माण कराएगी। यहां मानव तस्करी से मुक्त कराए गए 18 साल से अधिक उम्र के बच्चों का कौशल विकास होगा।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Mon, 15 Jul 2019 06:31 PM (IST)Updated: Mon, 15 Jul 2019 10:06 PM (IST)
अब बीडीओ-सीओ देंगे सामाजिक सुरक्षा पेंशन की स्वीकृति Ranchi News

रांची, राज्य ब्यूरो। सामाजिक सुरक्षा पेंशन से संबंधित आवेदनों के निष्पादन में हो रहे अनावश्यक विलंब को देखते हुए सरकार इससे जुड़ी नीतियों में बदलाव लाएगी। अबतक अनुमंडल पदाधिकारी के स्तर से पेंशन योजनाओं की स्वीकृति दी जाती थी। लिहाजा आवेदकों को प्रखंड मुख्यालय से लेकर अनुमंडल कार्यालय तक अनावश्यक चक्कर लगाना पड़ता था। अब यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों में प्रखंड विकास पदाधिकारियों तथा शहरी क्षेत्रों में अंचलाधिकारियों के माध्यम से स्वीकृत होंगी।
राज्य में फिलहाल नौ तरह की पेंशन योजना प्रभावी है, जिससे 20,27,642 लाभुक जुड़े हैं। महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग की मंत्री डॉ. लुईस मरांडी ने यह जानकारी सोमवार को पत्रकारों को दी। सूचना भवन में पत्रकारों से मुखातिब मंत्री ने कहा कि बाल अपराध से जुड़े 18 से कम उम्र के बच्चे और बच्चियों को रिमांड होम में रखने का प्रावधान है। इससे इतर 18 वर्ष की आयु पूरी करने के बाद उन्हें कानूनन वहां नहीं रखा जा सकता। ऐसे बाल बंदियों के लिए सरकार इसी वर्ष प्लेस ऑफ सेफ्टी का निर्माण कराएगी।
यहां उनका कौशल विकास कर उन्हें मुख्यधारा से जोडऩे का कार्य होगा। मानव तस्करी से मुक्त कराए गए पीडि़तों को भी यहां आश्रय मिलेगा। इसी तरह सितंबर तक राज्य में 12 हजार तेजस्विनी क्लब का गठन होगा, जहां दिसंबर से 14 से 24 साल की लड़कियों का कौशल विकास होगा। इस योजना से 10 लाख लड़कियों को जोड़े जाने का लक्ष्य है। लुईस मरांडी ने कहा कि राज्य के सभी जिलों में इसी वित्तीय वर्ष में वन स्टॉप सेंटर खोले जाने की तैयारी है।
यहां घरेलू अथवा सार्वजनिक स्थलों में ङ्क्षहसा से पीडि़त महिलाओं को एक ही छत के नीचे चिकित्सकीय सहायता, मनोवैज्ञानिक परामर्श, कानूनी सहायता एवं अल्पावास की सुविधा प्रदान की जाएगी। एक सेंटर के निर्माण पर 48 लाख रुपये की लागत आएगी। केंद्र ने संबंधित जिलों के लिए 24-24 लाख रुपये जारी कर दिए हैं। वर्तमान में रांची, धनबाद और पूर्वी सिंहभूम में सेंटर कार्यरत है।

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पोषाहार की उपयोगिता का सर्वे, पड़ोसी राज्यों का अध्ययन भी
मंत्री ने कहा कि राज्य के 38425 आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से चल रही पोषाहार योजना की पहुंच 34,82,110 बच्चों और महिलाओं तक है। उपलब्ध पोषाहार की गुणवत्ता, लाभुकों को इससे होने वाले लाभ आदि का मूल्यांकन राज्य से लेकर केंद्र स्तर तक विभिन्न माध्यमों से होता है। एनएफएचएस की रिपोर्ट भी इसमें कारगर साबित होता है। राज्य के कुछ हिस्सों से रेडीमेड फूड पसंद नहीं किए जाने की बात आ रही है। इसे केंद्र में रखकर सरकार पोषाहार की उपयोगिता का जहां सर्वे करा रही है, वहीं पड़ोसी राज्यों में संचालित योजनाओं का अध्ययन करवा रही है। इसके बाद पोषाहार के अन्य विकल्पों पर सरकार फोकस कर सकती है।
चार महीने में क्या-क्या होगा

  • सितंबर अंत तक मुख्यमंत्री सुकन्या योजना से जुड़ेंगी 2,90,169 बच्चियां। 16,666 लाभुकों को मिलेगा मुख्यमंत्री कन्यादान योजना का लाभ। सामाजिक-आर्थिक जनगणना में नाम नहीं होने पर 72 हजार की सालाना आय का प्रमाणपत्र भी होगा मान्य।
  • इंदिरा गांधी राष्ट्रीय दिव्यांग पेंशन योजना के 31,286 लाभुकों को अगस्त तक दे दी जाएगी पेंशन राशि। अन्य पेंशन योजनाओं के लाभुकों को भी इसी अवधि में मिलेगा लाभ।
  • राज्य के रिमांड होम के रिक्त पड़े 76 तथा जिला बाल संरक्षण इकाइयों के 240 पदों पर इसी महीने के अंत तक होगी बहाली।

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