झारखंड के पूर्व मंत्री योगेंद्र साव ने रांची सिविल कोर्ट में किया सरेंडर, बेल अपील खारिज
Yogendra Sao. झारखंड के पूर्व मंत्री योगेंद्र साव ने सिविल कोर्ट में सरेंडर कर दिया है। सोमवार को वे अपने वकील के साथ पहुंचे और सरेंडर कर दिया। कोर्ट ने उनकी बेल अपील खारिज कर दी।
रांची, जेएनएन। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद झारखंड के पूर्व मंत्री योगेंद्र साव ने सोमवार को रांची की निचली अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। सोमवार को सुबह साढ़े दस बजे के करीब वे अपने वकील के साथ पहुंचे और सरेंडर किया। इस दौरान उनकी बेटी भी साथ थी। साव की ओर से बेल की गुहार लगाई गई। लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। इसके बाद साव को जेल भेज दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने शुक्रवार को साव की याचिका की सुनवाई करते हुए सोमवार तक रांची कोर्ट में आत्मसमर्पण करने और बड़कागांव केस सहित सभी 18 मामलों के केस रिकॉर्ड हजारीबाग से रांची की अदालत में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया था। मामले में अगली सुनवाई अब 23 अप्रैल को होगी।
इससे पहले कोर्ट ने उन्हें जमानत देते हुए राज्य से तड़ीपार कर भोपाल में रहने का आदेश दिया था। पूर्व मंत्री योगेंद्र साव पर हजारीबाग, चतरा और रामगढ़ के विभिन्न थानों में उग्रवादी गतिविधियों में संलिप्त रहने, आम्र्स एक्ट, हत्या का प्रयास, सरकारी कार्य में बाधा, रंगदारी, चोरी समेत 33 मामले दर्ज हैं। इनमें कई मामलों में उन पर संगीन आरोप हैं।
1990 में पहली बार योगेंद्र साव पर मामला दर्ज हुआ और यह सिलसिला 2019 तक जारी है। इन पर साजिश रचने, हत्या का प्रयास सहित कई आरोप लगाए गए हैं। गिद्दी थाना कांड संख्या 55-11 में रंगदारी मांगने का मामला दर्ज हुआ था। जिसमें निचली अदालत ने योगेंद्र साव को ढाई साल की सजा सुनाई है। कोर्ट ने फिलहाल मामले में राहत देते हुए जमानत की सुविधा प्रदान की है। उनकी अपील हाई कोर्ट में लंबित है, जिस पर सुनवाई पूरी हो चुकी है और अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
योगेंद्र साव की पत्नी विधायक निर्मला देवी पर दर्ज है आठ प्राथमिकी
योगेंद्र साव की पत्नी कांग्रेस विधायक निर्मला देवी पर भी आठ मामले दर्ज हैं। सभी मामले बड़कागांव थाने में दर्ज हैं। पहला मामला इन पर 14 अगस्त 2015 में दर्ज किया गया था। जिसमें प्रतिबंधित क्षेत्र में इन्होंने एनटीपीसी बड़कागांव प्लांट के खिलाफ महारैली निकाली थी, जिसमें भीड़ को उकसाकर हिंसा फैलाने का आरोप है, भीड़ को काबू करने के लिए पुलिस को फायरिंग करनी पड़ी थी।
वहीं 01 अक्टूबर 2016 को भी एनटीपीसी के खिलाफ भीड़ उकसाने का आरोप है, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई थी। छह प्रशासनिक पदाधिकारी भी गंभीर रूप से घायल हो गए थे। वहीं 28 अगस्त 2017 को आम्र्स एक्ट में दर्ज किया गया है। दर्ज इन मामलों में हत्या का प्रयास, आम्र्स एक्ट, कोल एक्ट सहित कई अन्य धाराओं में प्राथमिकी दर्ज की गई है।