्र 'लम्हों की खता' पर आमने-सामने आए सरयू-रघुवर
मेनहर्ट नियुक्ति घोटाले पर विधायक सरयू राय की पुस्तक लम्हों की खता का विमोचन सोमवार को हुआ।
जागरण ब्यूरो, रांची : मेनहर्ट नियुक्ति घोटाले पर विधायक सरयू राय की पुस्तक 'लम्हों की खता' का विमोचन सोमवार को हुआ। अपेक्षा के अनुरूप पुस्तक के विमोचन के साथ ही राजनीतिक हलकों के साथ सोशल मीडिया पर हलचल तेज हो गई है। सरयू राय ने पुस्तक की साफ्ट प्रति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को भी भेजी है। इधर, पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने भी लंबे समय बाद इस मसले पर मुंह खोला है। उन्होंने सरयू राय पर निशाना साधते हुए कहा कि कोर्ट, सरकार सबने क्लीन चिट दे दी है। क्या केवल एक व्यक्ति ही सत्यवादी है। बहरहाल, दोनों नेताओं के अब खुलकर आमने-सामने आने से यह मामला अब तूल पकड़ता दिखने लगा है।
विधायक सरयू राय ने मेनहर्ट नियुक्ति घोटाले पर आधारित अपनी पुस्तक 'लम्हों की खता' के विमोचन के अवसर पर किताब के अंशों को मीडिया के साथ साझा किया। शीर्षक को स्पष्ट करते हुए राय ने कहा कि लम्हों की खता का ही खामियाजा आज तक रांची भुगत रही है। कहा, पुस्तक में मुख्य रूप से परामर्शी के चयन में हुई अनियमितता एवं भ्रष्टाचार को उजागर किया गया है। यह भी कहा कि इस पुस्तक के माध्यम से झारखंड के निवासियों को मेनहर्ट परामर्शी में हुए घोटाले की वास्तविक जानकारी मिल पाएगी।
सरयू राय ने पुस्तक के अंशों और तत्कालीन घटनाक्रम का जिक्र करते हुए कहा कि रांची के कुछ बुद्धिजीवी समाजसेवी की याचिका पर झारखंड उच्च न्यायालय ने 2003 में रांची में जल-मल निकासी के लिए सिवरेज-ड्रेनेज प्रणाली विकसित करने का आदेश दिया। उस आदेश के आलोक में तत्कालीन नगर विकास मंत्री बच्चा सिंह के आदेशानुसार परामर्शी बहाल करने के लिए निविदा निकाल कर दो परामर्शियों का चयन किया गया। इसके बाद सरकार बदल गई। 2005 में अर्जुन मुंडा सरकार में नगर विकास मंत्री रघुवर दास बनाए गए। उन्होंने डीपीआर फाइनल करने के लिए 31 अगस्त को एक बैठक बुलाई। उसमें निर्णय लिया गया कि पूर्व से चयनित परामर्शी को हटा दिया जाए। क्योंकि उन्होंने काफी देर कर दी है। उन दो परामर्शियों में एक हाईकोर्ट गया। झारखंड हाईकोर्ट ने एक अवकाश प्राप्त न्यायाधीश को आरबिट्रेटर नियुक्त किया। आरबिट्रेटर ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला दिया कि ओआरजी परामर्शी को हटाने का फैसला सही नहीं था। राय ने बताया कि नगर विकास विभाग ने ग्लोबल टेंडर के आधार पर पुन: निविदा निकाल कर मेनहर्ट नामक एक परामर्शी का चयन किया। राय ने बताया कि ग्लोबल टेंडर में विश्व बैंक के मानदंडों के हिसाब से त्रिस्तरीय निविदा पद्धति होती है। किंतु उस पद्धति का भी अनुपालन नहीं किया गया। उस समय से आज तक रांची में सिवरेज-ड्रेनेज का निर्माण नहीं हुआ।
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सरकार ने दी क्लीनचिट, क्या एक ही व्यक्ति सत्यवादी : रघुवर दास पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने सरयू राय की मेनहर्ट पर आई किताब पर तल्ख प्रतिक्रिया देने के साथ ही पलटवार किया है और अपनी स्थिति को राज्य की जनता के सामने स्पष्ट किया है। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा मामला है, जिसे विधायक सरयू राय समय-समय पर उठाकर चर्चा में बने रहना चाहते हैं। जनता यह जानना चाहेगी कि आखिर बार-बार मैनहर्ट का मुद्दा उठाकर राय क्या बताना चाहते हैं? किस बात को लेकर उन्हें नाराजगी है? कहीं ओआरजी को दिया गया ठेका रद्द करने से तो वे नाराज नहीं है?
रघुवर दास ने कहा कि जिस मैनहर्ट पर यह किताब है, वह मामला बहुत पुराना है। इसकी जाच भी हो चुकी है। सचिव ने जाच की, मुख्य सचिव ने जाच की, कैबिनेट में यह मामला गया। भारत सरकार के पास मामला गया। वहा से स्वीकृति मिली। कोर्ट के आदेश के बाद भुगतान किया गया। सवाल उठाया कि तो क्या कोर्ट के आदेश को भी सरयू राय नहीं मानते हैं। कहा, क्या यह माना जाए कि सरकार से लेकर न्यायालय के आदेश तक, जो भी निर्णय हुए वह सब गलत थे और सरयू राय ही सही हैं? यदि उन्हें लगा कि कोर्ट का आदेश सही नहीं था तो वे अपील में क्यों नहीं गये?
रघुवर ने कहा कि यहा गौर करने की बात यह है कि जिस समय भारत सरकार ने इसे स्वीकृति दी, उस समय केंद्र में मनमोहन सिंह की सरकार थी और झारखंड में अर्जुन मुंडा के नेतृत्व में भाजपा-झामुमो गठबंधन की सरकार थी। जिस समय कोर्ट के आदेश पर भुगतान हुआ उस समय न तो मैं मुख्यमंत्री था और ना ही मंत्री। जब मैं नगर विकास मंत्री था, उस समय मेनहर्ट के मामले में मैंने कमेटी बनवाई थी। उसके बाद की सरकारों ने इस पर फैसला लिया, तो मैं इसमें कहा आता हूं? सच यह है कि सरयू राय मेरी छवि धूमिल करने का कोई अवसर नहीं छोड़ते हैं। यह किताब भी मेरी छवि खराब करने की नीयत से लिखी गई है।