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बच्चों की प्रतिभा पहचान कर उन्हें आगे बढ़ने में सहयोग करें

राची : राजधानी राची में विकसित की जा रही सबसे बड़ी निजी आवासीय कॉलोनी सेल सिटी में शनिवार को समर कैंप

By JagranEdited By: Published: Sun, 20 May 2018 06:33 AM (IST)Updated: Sun, 20 May 2018 06:33 AM (IST)
बच्चों की प्रतिभा पहचान कर उन्हें आगे बढ़ने में सहयोग करें
बच्चों की प्रतिभा पहचान कर उन्हें आगे बढ़ने में सहयोग करें

राची : राजधानी राची में विकसित की जा रही सबसे बड़ी निजी आवासीय कॉलोनी सेल सिटी में शनिवार को समर कैंप का भव्य उद्घाटन हुआ। सेल सिटी रेजीडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में पद्मश्री बलबीर दत्त, मुकुंद नायक और हॉकी के खिलाड़ी सिलवानुस डुंगडुंग, मनोहर टोपनो तथा सुमेराय टेटे ने बच्चों तथा अभिभावकों को प्रेरित किया। थीम था राज्य के गौरव से मिलें, राज्य का गौरव बनें।

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पद्मश्री पत्रकार बलबीर दत्त ने देश की गुलामी और आजादी की कहानी सुनाई। उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम, दुनिया के धुरंधर क्रिकेटर राची निवासी महेंद्र सिंह धौनी और मशहूर कलाकार अमिताभ बच्चन का उदाहरण देते हुए बताया कि अभावों के बीच भी अपनी प्रतिभा को निखार कर कैसे सफलतम व्यक्ति बना जा सकता है। माता-पिता और शिक्षकों का सहयोग ही किसी भी बच्चे को आगे ले जाने में प्रेरक बनता है। अब्दुल कलाम बचपन में रेलवे स्टेशन पर अखबार बेचते थे, जबकि धौनी का परिवार अत्यंत सामान्य आय वाला था और अमिताभ बच्चन शुरुआती दौर में वॉयस टेस्ट में फेल करार दिए गए थे।

लोक कलाकार पद्मश्री मुकुंद नायक ने अभिभावकों से अपील की कि वे अपने बच्चों में मातृभाषा और अपनी संस्कृति का संस्कार डालना न भूलें। बच्चे जो भी करें, मन से करें, लगन से करें। सफलता उनके चरण चूमेगी। उन्होंने हमरे मन कने जाथी, पुरखा कर रीति-गीति भुलाथी गा कर अफसोस व्यक्त किया कि जिन खूबियों के कारण उनको पद्मश्री नवाजा गया, आधुनिक समाज से वह संस्कार मिटता जा रहा है। झारखंड के लिए यह गंभीर चुनौती है।

सिलवानुस डुंगडुंग ने बच्चों को उत्साहित करते हुए अपनी कहानी बताई। कहा कि गरीबी के कारण बचपन में वे बास के डंडे से हॉकी खेला करते थे। उनका जुनून ही उनको विश्व मंच तक ले गया। इसी प्रकार मनोहर टोपनो ने अपना दिलचस्प किस्सा सुनाया कि जुनून के कारण उन्होंने घर से 15 रुपये चुरा कर हॉकी स्टीक खरीदा था। इस चोरी में पकड़े जाने के भय से वे सेना की नौकरी करने भाग गए। वापस लौटे 15 हजार रुपये के साथ, जिसे पिता को अर्पित कर दिया। सुमेराय टेटे ने भी अपने आरंभिक दिनों में गरीबी और असुविधाओं की गाथा सुनाते हुए कहा कि दौलत कमाना अच्छा है, लेकिन उससे भी अच्छा होता है बेहतर इंसान बनना। अतिथियों का स्वागत एससीआरडब्लूए के अध्यक्ष ओमप्रकाश यादव और संचालन सूचना आयुक्त हिमाशु चौधरी ने किया।


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