Police Naxal Encounter: रांची में नक्सलियों से मुठभेड़, जगुआर के 2 जवान शहीद
Encounter Between Police and Maoist. रांची के दशम इलाके में नक्सलियों के आने की सूचना के बाद सर्च ऑपरेशन चल रहा था। इस दौरान पुलिस व माओवादियों का आमना सामना हो गया।
रांची, जासं। राजधानी रांची के दशम इलाके में माओवादियों और पुलिस के बीच मुठभेड़ हुई है। इस मुठभेड़ में एसटीएफ के दो जवान शहीद हो गए हैं। इसके अलावा कई अन्य जवानों को भी गोलियां लगी हैं। एसएसपी अनीश गुप्ता, डीआइजी एवी होमकर सहित अन्य अधिकारी घटनास्थल के लिए रवाना हो गए हैं। इलाके में नक्सलियों के आने की सूचना के बाद सर्च ऑपरेशन चल रहा था। घायल जवानों को रांची के मेडिका अस्पताल लाया गया है। यहां इनका इलाज चल रहा है। मृतक जवानों के शव को पोस्टमार्टम के लिए रिम्स लाया गया है। यहां बड़ी संख्या में पुलिस के जवानों की भीड़ लगी हुई है।
बताया जाता है कि पुलिस को रांची-खूंटी जिला के सीमा क्षेत्र में डाकापीढ़ी जंगल तथा आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में नक्सलियों की गतिविधियां की गुप्त सूचना मिली। ग्रामीणों ने इसकी सूचना पुलिस को दी। इसके बाद झारखंड जगुआर की एक टीम को ऑपरेशन के लिए भेजा गया। आज सुबह पांच बजे के करीब नक्सलियों और पुलिस जवानों के बीच मुठभेड़ हुई। मुठभेड़ में एक जवान घटनास्थल पर ही शहीद हो गया। गंभीर रूप से घायल एक अन्य जवान की मेडिका अस्पताल में इलाज के दौरान मृत्यु हो गई। शहीद जवानों में पलामू के लेस्लीगंज थाना क्षेत्र के रहने वाले आरक्षी अखिलेश राम और रांची के सोनाहातु थाना क्षेत्र के चैनपुर गांव के आरक्षी खंजन कुमार महतो शामिल हैं। शहीद अखिलेश राम को छह गोलियां लगी हैं जबकि शहीद खंजन कुमार महतो को तीन गोलियां लगी है।
अभी भी डाकापीढ़ी जंगल में झारखंड जगुआर सहित कई अर्धसैनिक बलों द्वारा सर्च अभियान चलाया जा रहा है। एएसपी अमित रेणु इसका नेतृत्व कर रहे हैं। जंगल में माओवादियों की तलाश की जा रही है। इलाके की घेराबंदी कर सर्च अभियान चलाया जा रहा है। दूसरी तरफ डीएसपी स्पेशल ब्रांच अमित कुमार सहित खुफिया विभाग के अन्य अधिकारी भी घटनास्थल पर पहुंचे हैं और गहन रूप से छानबीन चल रही है।
बताया जा रहा है कि यहां पुलिस की माओवादी बोयदा पाहन के दस्ते से मुठभेड़ हुई है। हाल के दिनों में महाराजा प्रामाणिक और बोयदा पाहन सक्रिय रहा है। चाईबासा में विगत दिनों हुई मुठभेड़ में इन्हीं के दस्ते का नाम आया था। घटनास्थल से करीब आधा किलोमीटर दूर करोड़ों की लागत से एक सड़क का निर्माण हो रहा है। इस सड़क निर्माण कंपनी से बोयदा पाहन का दस्ता लेवी वसूलने में जुटा था।
शहीद खंजन कुमार महतो के पिता झारखंड पुलिस के रांची जिला बल में कार्यरत हैं। घटना की जानकारी गांव में सुबह सात बजे मिली। घटना की जानकारी मिलते ही शहीद के परिजन रांची निकल गए है। शहीद जवान जगुआर में पांच जून 2017 को बहाल हुआ था।
बताया जा रहा है कि सुरक्षा बलों की ओर से इस मामले में चूक हुई है। ग्रामीणों द्वारा सूचना दिए जाने के बाद भी काफी कम संख्या में पुलिस के जवानों काे घटनास्थल भेजा गया। स्पेशल ब्रांच ने 16 अगस्त को ही राजधानी के खूंटी-रांची बॉर्डर पर नक्सलियों के कैंप होने की सूचना दी थी। स्पेशल ब्रांच ने अपने पत्र में यह साफ लिखा था कि 16 अगस्त की सुबह 5:00 बजे के करीब नक्सलियों का एक दस्ता इलाके में देखा गया है।
बुंडू और चांडिल इलाके में माओवादी संगठन के बोयदा पाहन का गिरोह सक्रिय है। उसके साथ करीब आठ लोग लगातार इलाके में सक्रिय रहते हैं। लेवी के लिए कई घटनाओं को अंजाम भी दे चुके हैं। बोयदा पाहन, कुंदन पाहन और डिंबा पाहन का रिश्तेदार है।
शहीद खंजन कुमार महतो।
इधर, नक्सलियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हुए जवानों के प्रति मुख्यमंत्री रघुबर दास ने शोक जताते हुए कहा है कि नक्सली झारखंड में आख़िरी लड़ाई लड़ रहे है। हम इसे खत्म करके ही दम लेंगे। सरकार नक्सलियों के प्रति कोई नरमी नहीं बरतेगी। जवानों की शहादत बेकार नहीं जाएगी। सरकार शहीद जवानों के परिजनों के साथ हमेशा खड़ी रहेगी।
घटना के बाद पुलिस महानिदेशक कमलनयन चौबे मुख्यमंत्री रघुवर दास से मिले। उन्होंने दशम में पुलिस-नक्सली मुठभेड़ की जानकारी सीएम को दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि नक्सलियों के खिलाफ सघन अभियान जारी रखें।
जानिए झारखंड जगुआर को
झारखंड जगुआर झारखंड पुलिस का एक सशस्त्र बल है। इसे विशेष कर नक्सल विरोधी अभियान के लिए तैयार किया गया है। इसका दूसरा नाम एसटीएफ यानी स्पेशल टास्क फोर्स भी है। विशेष रूप से प्रशिक्षित झारखंड जगुआर के जवानों की 200 से अधिक स्माॅल एक्शन टीम झारखंड के जंगलों में नक्सलियों के खिलाफ अभियान चला रही है। इन्हें सीआरपीएफ और सेना के विशेषज्ञों द्वारा विशेष प्रशिक्षण प्राप्त है। यह गुरिल्ला युद्ध जैसे अभियान चलाने में भी एक्सपर्ट हैं।