झारखंड की सड़कों पर अब दौड़ेंगी इलेक्ट्रिक कारें, सीएम ने भी की सवारी
मुख्यमंत्री ने इलेक्ट्रिक कारों की झारखंड में शुरुआत को बड़ा कदम बताया। कहा, इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग से न केवल पर्यावरण की सुरक्षा होगी, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा की भी बचत होगी।
रांची। झारखंड की सड़कों पर अब इलेक्ट्रिक कारें दौड़ेंगी। इसकी शुरुआत बुधवार को एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (ईईएसएल) द्वारा झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड को सौंपे गए इलेक्ट्रिक वाहनों से हो गई। ईईएसएल द्वारा किराए पर जेबीवीएनएल को मुहैया कराई गई पहली खेप के 20 वाहनों को मुख्यमंत्री रघुवर दास ने रवाना किया। इस मौके पर उन्होंने खुद इस कार की सवारी भी की। 30 इलेक्ट्रिक वाहनों की अगली खेप दो हफ्तों के भीतर सौंप दी जाएगी। इसी के साथ झारखंड देश का पांचवां राज्य हो गया है, जहां इलेक्ट्रिक वाहन सरकारी कामकाज का हिस्सा बने हैं।
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इलेक्ट्रिक कारों की झारखंड में शुरुआत को बड़ा कदम बताया। कहा, इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग से न केवल पर्यावरण की सुरक्षा होगी, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा की भी बचत होगी। पेट्रोलियम पदार्थों पर निर्भरता कम होने का लाभ सभी को होगा। झारखंड देश में पाचवां राज्य बन गया, जहां सरकारी वाहन के रूप में इलेक्ट्रिक कारों को शामिल किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के अन्य सरकारी विभाग भी इस मॉडल को अपनाएं। आम लोग भी इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग करें। इससे हमारा झारखंड स्वच्छ और हरित प्रदेश बना रहेगा।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नीति आयोग को इस संबंध में पॉलिसी बनाने का काम सौंपा है। इससे ई-मोबिलिटी को बढ़ावा मिलेगा। रांची में बनेंगे कई चार्जिंग स्टेशन ऊर्जा विभाग के सचिव नितिन मदन कुलकर्णी ने कहा कि कारों की चार्जिंग के लिए ईईएसएल ने रांची स्थिति जेबीवीएनएल के कारपोरेट आफिस सहित चार स्थानों पर 12 चार्जिंग स्टेशन लगाए हैं। आने वाले समय में और चार्जिंग स्टेशन बनाए जाएंगे।
इस दौरान जेबीवीएनएल के प्रबंध निदेशक राहुल पुरवार, जेयूयूएनएल के प्रबंध निदेशक कुलदीप चौधरी, ईईएसएल की निदेशक वित्त रेणु नारंग आदि उपस्थित थे। 1.20 लाख लीटर बचेगा ईधन पचास कारों के बेड़े के साथ आने से जेबीवीएनएल का हर साल 1.20 लाख लीटर ईंधन बचेगा और लगभग 14 सौ टन कार्बन डाईआक्साइड सालाना कम उत्सर्जित होगा। जेबीवीएनएल मरम्मत, देखरेख और परिचालन के क्षेत्र में भी बचत करेगा, क्योंकि इन इलेक्ट्रिक वाहनों में परिचालन पर कॉम्बस्टन इंजन के मुकाबले खर्च एक चौथाई होता है।
गौरतलब है कि ईईएलएल सबसे पहले सरकार की परंपरागत इंटरनल कॉम्बस्टन ईजन वाली पांच लाख कारों को इलेक्ट्रिक वाहनों से बदलने की योजना पर काम कर रही है। इस कड़ी में झारखंड के अलावा दिल्ली, महाराष्ट्र, तेलंगाना व आंध्र प्रदेश की सरकारों के साथ ईईएसएल ने समझौता करार किया है। अन्य राज्यों में भी इस प्रक्रिया को पूरा किया जा रहा है।