झारखंड में आठवीं बोर्ड लागू, मैट्रिक व इंटर की तर्ज पर होगी परीक्षा
मैट्रिक व इंटरमीडिएट की तरह झारखंड एकेडमिक काउंसिल आठवीं में भी बोर्ड परीक्षा लेगी।
राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड सरकार पढ़ाई में कमजोर सरकारी स्कूल के छात्रों को अगली कक्षा में जाने से रोकने के लिए आठवीं में भी बोर्ड परीक्षा लेगी। मैट्रिक व इंटरमीडिएट की तरह आठवीं की भी परीक्षा झारखंड एकेडमिक काउंसिल द्वारा ली जाएगी। वहीं, अब प्राइमरी की तरह सरकारी हाई स्कूल व प्लस टू स्कूलों में भी सुबह आठ बजे से अपराह्न् दो बजे तक पढ़ाई होगी। अभी इन स्कूलों का समय सुबह दस बजे से शाम चार बजे तक है।
स्कूल में पढ़ाई के बाद बच्चों को घर में भी पढ़ाई का पर्याप्त समय मिल सके, इसके लिए यह निर्णय लिया गया है। स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की सचिव आराधना पटनायक ने सोमवार को इसे लेकर सभी उपायुक्तों को आदेश जारी कर दिया। दरअसल, मैटिक व इंटरमीडिएट में इस साल खराब रिजल्ट होने के बाद तत्कालीन माध्यमिक शिक्षा निदेशक चंद्रशेखर की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की गई थी, जिसने इसकी अनुशंसा की थी।
सचिव ने कमेटी की अधिकतर अनुशंसाओं को लागू करने का आदेश दिया है। इसके तहत अब छात्र-छात्राओं की 75 फीसद उपस्थिति पर ही उन्हें आठवीं, मैट्रिक या इंटर की परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दी जाएगी। परीक्षाओं से पहले टेस्ट भी लिया जाएगा, जिसमें न्यूनतम 33 फीसद अंक लाने पर ही परीक्षा में शामिल होने की अनुमति मिलेगी। यह टेस्ट दिसंबर माह के प्रथम सप्ताह में आयोजित होगा।
सचिव ने जैक के अध्यक्ष को भी पत्र भेजकर परीक्षाओं में सीबीएसई मॉडल अपनाने का निर्देश दिया है। साथ ही, दो विषयों की परीक्षा के बीच समुचित गैप भी रखने को कहा है। मैट्रिक व इंटर परीक्षा में शामिल होने के लिए परीक्षा फार्म जिला शिक्षा पदाधिकारियों के माध्यम से जैक को भेजे जाएंगे। सचिव ने परीक्षा में सुधार के लिए विभाग की स्वीकृति लेकर नियम में आवश्यक संशोधन करने का भी निर्देश दिया है। सचिव ने वार्षिक परीक्षा का आयोजन फरवरी की बजाय अब मार्च के प्रथम सप्ताह में लेने का निर्देश दिया है, ताकि बच्चों को तैयारी के लिए पर्याप्त समय मिल सके। विभाग ने पिछले साल भी परीक्षा में सुधार को लेकर दिशा-निर्देश जारी किया था, उसे भी लागू करने का निर्देश दिया गया है। साथ ही, इस साल रिजल्ट जारी होने तथा उसकी समीक्षा के बाद दिए गए निर्देश का भी सख्ती से अनुपालन करने को कहा गया है।
स्कूलों की स्थापना अनुमति पर रोक
सचिव ने वित्त रहित स्कूलों को स्थापना अनुमति की प्रक्रिया पर रोक लगाने का भी निर्देश दिया है। दरअसल, समीक्षा में यह बात सामने आई थी कि स्थापना अनुमति प्राप्त स्कूलों का रिजल्ट संतोषजनक नहीं है। विभाग ने माना कि चूंकि सरकारी स्तर पर ही पर्याप्त संख्या में सरकारी स्कूल खुल गए हैं, इसलिए नए स्कूलों को स्थापना अनुमति देने की प्रक्रिया पर फिलहाल रोक लगाई जानी चाहिए।
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