Money Laundering Case: हेमंत सोरेन मामले में ईडी ने हाईकोर्ट से कहा, बड़े-बड़े लोगों के पास पहुंचा मनी लांड्रिंग का पैसा... अब गुरुवार को सुनवाई
Hemant Soren Money Laundering Case घोटाले की राशि शेल कंपनियों के जरिए की जाती है मनी लांड्रिंग। रवि केजरीवाल ने कई शेल कंपनियों का नाम बताया। होटल और रेस्टोरेंट में निवेश किए गए रुपये। ईडी ने कहा- मनरेगा घोटाले की जांच सीबीआइ को सौंप देनी चाहिए।
रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड हाई कोर्ट से ईडी ने कहा कि निलंबित आइएएस पूजा सिंघल से पूछताछ और दस्तावेज से अहम खुलासे हुए हैं। घोटाले की राशि शेल कंपनियों के जरिए मनी लांड्रिंग की जाती थी। इसमें बड़े अधिकारियों और सत्ता के शीर्ष पर बैठे लोगों की भूमिका संदिग्ध है। झामुमो के पूर्व कोषाध्यक्ष रवि केजरीवाल ने भी ईडी की पूछताछ में कई शेल कंपनियों का नाम बताया है, जिसके जरिए पैसे होटल और रेस्टोरेंट में निवेश किए जाते थे। अभी जांच जारी है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के करीबियों के शेल कंपनी चलाने को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान ईडी ने उक्त जानकारी कोर्ट को दी।
इसके बाद चीफ जस्टिस डा. रवि रंजन और जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत ने सरकार को मनरेगा घोटाले में दर्ज की गई सभी प्राथमिकी का पूरा ब्योरा कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया है। मामले में अगली सुनवाई 19 मई को होगी।
रवि केजरीवाल ने बताया है शेल कंपनियों के नाम : ईडी
ईडी की ओर से पेश हुए वरीय अधिवक्ता तुषार मेहता ने कहा कि आइएसएस पूजा सिंघल, रवि केजरीवाल के बाद कुछ अन्य लोगों से पूछताछ में कई शेल कंपनियों के नाम सामने आए हैं, जिनकी जांच जारी है। फिलहाल मनरेगा घोटाले की जांच अभी एसीबी कर रही है। एसीबी सरकार के अधीन है। ऐसे में जांच को प्रभावित किए जाने की संभावना है। इस पूरे मामले की जांच सीबीआइ को सौंप देना चाहिए। सरकार की ओर से पैरवी करते हुए वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने इसका विरोध किया और कहा कि ईडी की कार्रवाई वर्ष 2010 के खूंटी में हुए मनरेगा घोटाला को लेकर की गई है। इसी मामले में आइएएस पूजा सिंघल को गिरफ्तार किया गया है। ऐसा करके सरकार को टारगेट किया जा रहा है। उनकी ओर से याचिका की वैधता पर सवाल उठाया गया। उन्होंने कहा कि यह राजनीति से प्रेरित है। इस पर सुनवाई नहीं की जानी चाहिए।
सरकार इस याचिका का विरोध क्यों कर रही : अदालत
अदालत ने कहा कि सरकार इस याचिका का विरोध क्यों कर रही है। यह मामला उजागर हो चुका है। सभी को पता है कि खनन सचिव के सीए के पास से करोड़ों रुपये बरामद हुए हैं। इस पर कपिल सिब्बल ने कहा कि यह याचिका एक साल पहले दाखिल की गई थी। जबकि ईडी की कार्रवाई एक सप्ताह पहले से जारी है। ईडी की कार्रवाई के बाद सरकार ने उचित निर्णय लिया है। याचिकाकर्ता के परिजन दो दशकों से सीएम हेमंत सोरेन के राजनीतिक विरोधी रहे हैं। याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। इसे खारिज किया जाना चाहिए।
सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट तलब करने का कानून नहीं : सिब्बल
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से एक आइए याचिका दाखिल कर कोर्ट के उस आदेश को वापस लेने की मांग की गई। जिसमें अदालत ने ईडी से सारी कार्रवाई की रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में पेश करने का निर्देश दिया है। कपिल सिब्बल ने कहा कि ऐसा कोई कानून नहीं है कि जनहित याचिका में सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट तलब की जाए। उक्त रिपोर्ट हमें नहीं मिलेगी तो कोर्ट में पक्ष कैसे रखा जाएगा। उक्त रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट कोई आदेश पारित नहीं करें, क्योंकि अभी जांच चल रही है। सुनवाई के दौरान अदालत ने ईडी की ओर से पेश किए सीलबंद लिफाफे के दस्तावेज का अवलोकन किया और उसे फिर से सील करने का आदेश दिया है।
कोर्ट ने पूछा- खनन सचिव पर क्यों नहीं हुई प्राथमिकी
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने पूछा कि इस मामले में खनन सचिव गिरफ्तार हुईं और उन्हें निलंबित कर दिया गया है। उन पर अभी तक कार्रवाई क्यों नहीं की गई है। क्या कोर्ट ने इसमें प्राथमिकी दर्ज करने पर कोई रोक लगाई है। मामले में आइएएस सहित राजनीतिक लोगों की भूमिका संदिग्ध हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए थी। इस पर कपिल सिब्बल ने कहा कि जब इस मामले में कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं है तो किस आधार पर मामले की जांच सीबीआइ को सौंपी जा सकती है।
प्रार्थी ने कहा- इसलिए अदालत सीबीआइ जांच का आदेश दे
सुनवाई के दौरान अदालत ने प्रार्थी के अधिवक्ता से पूछा कि जब मनरेगा घोटाले में अधिकारी के खिलाफ कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं है तो इसकी सीबीआइ जांच के आदेश कैसे दिया जा सकता है। इस पर वादी के अधिवक्ता राजीव कुमार ने अदालत को बताया कि जनहित से जुड़े मुद्दों पर अदालत जांच का आदेश दे सकती है। यह मामला मनरेगा घोटाले की आरोपित तत्कालीन डीसी पूजा सिंघल से जुड़ा है और शेल कंपनियों की बात सामने आ गई है। ऐसे में अदालत सीबीआइ जांच का आदेश दिया जा सकता है।
शिवशंकर शर्मा ने दाखिल की है याचिका
बता दें कि इस संबंध में शिवशंकर शर्मा ने झारखंड हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की है। एक याचिका में सीएम के करीबियों पर शेल कंपनी चलाकर दूसरे शहरों में अचल संपत्ति अर्जित करने का आरोप लगाया है। अदालत से इसकी सीबीआइ जांच कराने का आग्रह किया है।