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कोरोना से देश की आर्थिक स्थिति खराब, लघु उद्योगों की समृद्धि से सुधरेंगे हालात

पूर्व वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने कहा कि सरकार को वित्तीय वर्ष 2022 में 20 लाख करोड़ का घाटा हो रहा है। इस वर्ष सरकार का खर्च 35 लाख करोड़ है। जबकि आमदनी केवल 15 लाख करोड़ रुपये है। उद्यमियों को देश की वित्तीय स्थितियों को समझना होगा।

By Kanchan SinghEdited By: Published: Sun, 19 Sep 2021 08:47 AM (IST)Updated: Sun, 19 Sep 2021 08:47 AM (IST)
प्रदेश की लघु उद्योगों की दशा एवं दिशा पर लघु उद्योग भारती ने जेसिया भवन में कार्यक्रम का आयोजन किया।

रांची,जासं। प्रदेश की लघु उद्योगों की दशा एवं दिशा पर लघु उद्योग भारती द्वारा जेसिया भवन में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा शामिल हुए। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार को वित्तीय वर्ष 2022 में 20 लाख करोड़ का घाटा हो रहा है। इस वर्ष सरकार का खर्च 35 लाख करोड़ है। जबकि आमदनी केवल 15 लाख करोड़ रुपये है। उन्होंने उद्यमियों से कहा कि देश की वित्तीय परिस्थितियों को समझना होगा। एकजुट होकर सभी को काम करना होगा। उन्होंने कहा कि कोरोना के कारण सभी देशों की लगभग ऐसी ही स्थिति है।

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कहा कि भारत के लघु उद्योगों में इतनी ताकत है कि वह पूरे देश की अर्थव्यवस्था को बदल सकते हैं। इसके लिए उद्योग को अपने व्यापार मॉडल में परिवर्तन करना होगा। कार्यक्रम में लघु उद्योग भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष बलदेव भाई प्रजापति ने कहा कि कोरोना काल में हमारे सामने एक नई समस्या आई है। बहुत सी इकाइयां हमारी एनपीए हुई, कई कंपनियां एनपीए होने की कगार पर हैं। उद्यमियों के प्रति बैंकों का रवैया इतना गलत होता है की अगर 50 लाख की कोई फैक्ट्री है तो15 लाख उसका बकाया है। 20 लाख में गुपचुप तरीके से उसका ऑक्शन कर दिया जाता है।

उद्योग के प्रति अकॉउंटबेल हों अधिकारी

संस्थान के प्रदेश अध्यक्ष हंसराज जैन ने कहा कि सरकार द्वारा कई अच्छी पालिसी उद्योग को बढ़ावा देने के लिए बनाए जा रही है। उद्यमी भी व्यापार स्थापित कर रहे हैं। फिर भी स्थिति बेहतर नहीं हो रही है। इसका कारण है कि प्रशासन के अधिकारी उद्योग के प्रति अकाउंटेबल नहीं हैं। यही कारण है कि मोमेंटम झारखंड को भी हमने विफल होते देखा है। योजनाएं बनती हैं, नीतियां बनती हैं लेकिन क्रियान्वयन का अभाव है। स्थानीय उद्यमी जिन्हें लंबे समय के कार्यकाल का अनुभव होता है। उनसे संवाद करने की आवश्यकता नहीं समझी जाती है। बड़े-बड़े शहरों में इन्वेस्टर समिट किये जाते हैं। रोड शो किया जाता है। शासन और प्रशासन दोनों स्तर पर हम कह सकते हैं कि समझदारी और संवेदनशीलता नहीं दिखती है।

सुक्ष्म लघु उद्योग आयोग की हो स्थापना

केंद्र या राज्य में सुक्ष्म लघु उद्योग आयोग की स्थापना हो। लघु उद्योग की समस्याएं उनके सामने रखें और उसका वह त्वरित निदान करें। ऐसी व्यवस्था हो। आयोग के पास अर्ध न्यायिक शक्तियां भी हों। जिससे समस्याओं का निदान हो। उससे सरकारी अधिकारियों की मनमानी भी अंकुश लगने की संभावना हैं। मौके पर राष्ट्रीय संयुक्त सुधीर दत्ते, सम्पर्क अधिकारी राजीव कमल बिट्टू, अखिल भारतीय महामंत्री गोविंद लेले, विजय कुमार छापड़िया, प्रांतीय अध्यक्ष हंसराज जैन, प्रांतीय कोषाध्यक्ष तेजविन्दर सिंह, झारखंड चैंबर के अध्यक्ष प्रवीण छाबड़ा उपस्थित थे।


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