खतरनाक, 700 से 800 पॉजिटिव को पता ही नहीं अपनी रिपोर्ट
राज्य में कोरोना का संक्रमण बढ़ने के लिए जिला प्रशासन की लापरवाही और जांच में हो रही देरी भी कम जिम्मेदार नहीं है।
राज्य ब्यूरो, रांची : राज्य में कोरोना का संक्रमण बढ़ने के लिए जिला प्रशासन की लापरवाही और जांच में हो रही देरी भी कम जिम्मेदार नहीं है। जांच में देरी होने से संक्रमण का खतरा कितना बढ़ सकता है, इसका अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि वर्तमान में सात सौ से आठ सौ लोगों को पता ही नहीं है वे संक्रमित हो चुके है। यदि वे जांच के लिए सैंपल देने के बाद क्वारंटाइन के नियमों का सख्ती से पालन नहीं कर रहे होंगे तो संक्रमण और तेजी से बढ़ने से इन्कार नहीं किया जा सकता।
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प्रत्येक सौ सैंपल में नौ पॉजिटिव :
सरकारी आंकड़े की ही मानें तो मंगलवार को 8,656 सैंपल जांच के लिए लंबित थे। मंगलवार को ही जितने सैंपल की जांच हुई उसमें सौ सैंपल में नौ की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। इस हिसाब से जितने सैंपल जांच के लिए लंबित हैं, उनमें 786 सैंपल की रिपोर्ट पॉजिटिव आने की उम्मीद है। समय पर रिपोर्ट नहीं आने से इतने लोगों को पता ही नहीं होगा कि वे कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। सरकारी आंकड़ों में पिछले दिनों लंबित सैंपल की संख्या बढ़कर 12 हजार हो गई थी, जो अब घटकर लगभग नौ हजार हो गई है। इसके बावजूद इतनी बड़ी संख्या में जांच लंबित रहना खतरनाक हो सकता है। हालांकि हजारीबाग मेडिकल कॉलेज में जांच शुरू होने से कोरोना जांच की रफ्तार में तेजी आई है। पलामू मेडिकल कॉलेज में भी बुधवार से जांच शुरू हो गई। दुमका मेडिकल कॉलेज में भी शुक्रवार से जांच शुरू होगी, लेकिन जिस रफ्तार से कोरोना का संक्रमण बढ़ रहा है उससे आनेवाले दिनों में जांच की रफ्तार और बढ़ानी पड़ सकती है।
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मंगलवार को सर्वाधिक 8711 सैंपल की हुई जांच
मंगलवार को राज्य में सबसे अधिक 8711 सैंपल की जांच हुई। वहीं, 6118 सैंपल ही जांच के लिए भेजे गए। इससे लगभग ढाई हजार बैकलॉग सैंपल की जांच हुई। इस लिहाज से बैकलॉग सैंपल की जांच भी हुई तो सभी लंबित सैंपल की जांच में चार से पांच दिन लग जाएंगे।
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नहीं होता क्वारंटाइन के नियमों का पालन
नियम के अनुसार, किसी सक्रिय मरीज के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से संपर्क में आने या कोरोना के लक्षण आने पर जांच के बाद क्वारंटाइन होना जरूरी है। पर, अधिसंख्य मामले में देखा जाता है कि होम क्वारंटाइन के नियम का पालन नहीं होता। जागरुकता के अभाव में या लापरवाही के कारण लोग सैंपल जांच के लिए देने के बाद इधर-उधर घूमते रहते हैं। एक-दो दिन तो वे इसका पालन करते हैं, लेकिन रिपोर्ट नहीं आने पर लोग लापरवाही बरतनी शुरू कर देते हैं। जानकारों की मानें तो यह खतरनाक हो सकता है।
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इंफो के लिए :::
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दो जिलों में सक्रिय मरीज हजार पार :
राज्य के 24 में दो जिले ऐसे हैं जहां सक्रिय मरीजों की संख्या एक हजार पार है। ये जिले हैं रांची और पूर्वी सिंहभूम।
राची : 1394
पूर्वी सिहंभूम : 1038
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दुमका और खूंटी में सबसे कम :
राज्य के पांच जिलों में एक्टिव मरीजों की संख्या सौ से कम है। दुमका और खूंटी में सबसे राहत है, यहां मरीजों की संख्या कम है।
दुमका : 25
खूंटी : 31
बोकारो : 67
गोडडा : 90
सिमडेगा : 98
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रिकवरी रेट :
तीन जिले जहां अच्छी स्थिति :
सिमडेगा : 79
प. सिंहभूम : 61
जामताड़ा : 56
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तीन जिले जहां खराब स्थिति :
रांची : 26
पूर्वी सिंहभूम : 33
गुमला : 35