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Draupadi Murmu: द्रौपदी मुर्मू ने राज्‍यपाल रहते खूब नाम कमाया... राष्‍ट्रपति बनेंगी तो क्‍या-क्‍या करेंगी?

Draupadi Murmu President Election द्रौपदी मुर्मू बेहद सीधी-सादी और सरल महिला हैं। वे आम लोगों खासकर आधी आबादी के आर्थिक स्वावलंबन और अहिंसा की प्रबल पक्षधर हैं। द्रौपदी मुर्मू ने झारखंड के राजभवन में 400 किलो वजन का सबसे बड़ा चरखा बनवाया।

By Alok ShahiEdited By: Published: Fri, 24 Jun 2022 05:36 PM (IST)Updated: Sat, 25 Jun 2022 03:38 AM (IST)
Draupadi Murmu: द्रौपदी मुर्मू ने राज्‍यपाल रहते खूब नाम कमाया... राष्‍ट्रपति बनेंगी तो क्‍या-क्‍या करेंगी?
Draupadi Murmu, President Election: द्रौपदी मुर्मू बेहद सीधी-सादी और सरल महिला हैं।

रांची, [नीरज अम्बष्ठ]। Draupadi Murmu, President Election आजादी की लड़ाई के समय तथा उसके बाद भी चरखा आर्थिक स्वावलंबन का सबसे बड़ा प्रतीक बना रहा। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी चरखे को अहिंसा की भी निशानी मानते थे। राष्ट्रपति चुनाव के लिए शुक्रवार को नामांकन दाखिल करनेवाली राजग उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू भी लोगों खासकर आधी आबादी के आर्थिक स्वावलंबन और अहिंसा की प्रबल पक्षधर हैं। तभी तो उन्होंने झारखंड की राज्यपाल के अपने कार्यकाल में राज्य का सबसे बड़ा 400 किलो वजनी चरखा का निर्माण राजभवन में करवाया था। इसके निर्माण के पीछे उनकी सोच थी कि राजभवन घूमने आनेवाले लोग आर्थिक स्वावलंबन के इस सबसे बड़े प्रतीक से प्रेरणा लेकर आत्मनिर्भर बन सकें।

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कोरोना के बाद इस साल फरवरी में जब राजभवन गार्डेन आम लोगों के लिए खोला गया तो यह राष्ट्रीय चरखा बच्चे, बूढ़े और जवान सभी के लिए आकर्षण का केंद्र बना। द्रौपदी मुर्मू ने तत्कालीन राज्यपाल के रूप में कोरोना काल में ही राजभवन मुख्य द्वार की दाहिनी ओर न केवल इस चरखे का निर्माण करवाया, बल्कि कोरोना काल में ही तीन अगस्त 2020 को इसका उद्घाटन भी किया था। 12 फीट चार ईंच लंबा, छह फीट दो ईंच चौड़ा तथा आठ फीट चार ईंच ऊंचा इस चरखा की पूरी संरचना स्टेनलेस स्टील से बनी है।

इसका निर्माण रांची के झारखंड गवर्नमेंट टूल रूम, टाटीसिल्वे के 10 इंजीनियरों द्वारा किया गया था। निर्माण में तीन माह समय लगे थे। लागत महज 15 लाख रुपये आई थी। झारखंड गवर्नमेंट टूल रूम के प्राचार्य महेश गुप्ता कहते हैं, तत्कालीन राज्यपाल दिल्ली के कनाट प्लेस की तरह झारखंड में भी विशाल चरखे के निर्माण को लेकर काफी उत्साहित थीं। उनके आदेश पर ही संस्थान के इंजीनियरों ने कोरोना प्रोटोकाल पूरा करते हुए भी बहुत कम समय मे इसका निर्माण पूरा किया। इसकी सबसे बड़ी विशेषता है कि खुले में होने के बावजूद इसमें 12 वर्षों तक जंग नहीं लगेगा। गर्मी का भी इसपर कोई असर नहीं पड़ेगा।

देश के पांच बड़े चरखे में शामिल

झारखंड गवर्नमेंट टूल रूम के प्राचार्य महेश गुप्ता कहते हैं, वे पूरे दावे से नहीं कह सकते कि राजभवन का चरखा वर्धा और कनाट प्लेस के बाद सबसे बड़ा है, लेकिन पांच बड़े चरखे में यह जरूर शामिल होगा। बता दें कि कनाट प्लेस स्थित चरखा 26 फीट लंबा और 13 फीट ऊंचा है। क्रोमियम स्टेनलेस स्टील से बना यह चरखा पांच टन वजनी है। वहीं, महाराष्ट्र के वर्धा में स्थित सेवाग्राम में स्थापित इलेक्ट्रानिक चरखे की ऊंचाई 18.6 फीट और चौड़ाई 31 फीट है। लकड़ी और मेटल से बने इस चरखे का वजन पांच टन बताया जाता है।

राजभवन में लगवाईं शहीदों की मूर्तियां

झारखंड के राज्यपाल के रूप में द्रौपदी मुर्मू ने राजभवन में झारखंड के वीर शहीदों की भी प्रतिमाएं स्थापित करने की पहल की। उन्होंने शिलान्यास भी किया। इनमें तिलका मांझी, नीलांबर-पीतांबर, तेलंगा खड़िया, गया मुंडा, वीर बुधु भगत, सिदो कान्हू, ताना जतरा भगत, अल्बर्ट एक्का आदि शामिल है। इनमें से कुछ मूर्तियां बनकर तैयार हैं तो कुछ बन रही हैं। यहां स्वामी विवेकानंद की भव्य मूर्ति भी लगवाई जो योग मुद्रा में है।


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