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Ranchi news : रिम्स फिर बना अखाड़ा, जमकर मारपीट, बंद हुई आपात सेवा, थमने लगी मरीजों की सांसें

रिम्स का इमरजेंसी रविवार की शाम करीब सात बजे एक बार फिर अखाड़ा बन गया जहां एक महिला की मौत के बाद जूनियर डाक्टर और परिजनों के बीच जमकर मारपीट हुई। अस्पताल के इमरजेंसी में हुए हंगामे के बाद पूरे परिसर में अफरा-तफरी मच गई।

By Sanjay Kumar SinhaEdited By: Published: Mon, 26 Jul 2021 06:00 AM (IST)Updated: Mon, 26 Jul 2021 06:00 AM (IST)
घटना की जानकारी मिलने के बाद रिम्स के चिकित्सा उपाधीक्षक डा. संजय कुमार सबसे पहले अस्पताल पहुंचे।

रांची (जासं ) : रिम्स का इमरजेंसी रविवार की शाम करीब सात बजे एक बार फिर अखाड़ा बन गया, जहां एक महिला की मौत के बाद जूनियर डाक्टर और परिजनों के बीच जमकर मारपीट हुई। अस्पताल के इमरजेंसी में हुए हंगामे के बाद पूरे परिसर में अफरा-तफरी मच गई। बाहर से आने वाले गंभीर मरीजों को इमरजेंसी में भर्ती नहीं होने दिया गया। दर्जनों की संख्या में डाक्टरों ने सभी परिजनों को खदेड़-खदेड़ कर मारा। इसमें एक परिजन को पकड़ पुलिस के हवाले कर दिया गया है। इस घटना के बाद करीब आठ बजे से इमरजेंसी को बंद कर दिया गया और किसी भी मरीज को भर्ती नहीं किया गया। साथ ही मृत महिला का शव भी डाक्टरों ने देने से इन्कार कर दिया। देर रात रिम्स प्रबंधन द्वारा परिजनों पर एफआइआर दर्ज करवाने के बाद जूनियर डाक्टरों ने रात के करीब 11:20 बजे इमरजेंसी सेवा बहाल की और परिजनों को शव सौंपने को तैयार हुए। इमरजेंसी सेवा करीब करीब साढ़े तीन घंटे बाधित रही।

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मरीज अनीता देवी की किडनी थी खराब, रविवार को दिन में हुई थी भर्ती : रामगढ़ जिले के चितरपुर की रहने वाली अनीता देवी (48 वर्ष) को इलाज के लिए रिम्स लाया गया था। महिला की किडनी खराब थी, डाक्टरों के अनुसार उसे मल्टी ऑर्गन फेलियर था। डा हिमांशु शेखर ने बताया कि मरीज का किडनी काम नहीं कर रहा था, जिस वजह से यूरीन बनने में समस्या हो रही थी। आइसीयू में एडमिट करने को लेकर कागजी प्रक्रिया की जा रही थी। उसी दौरान महिला की मौत हो गई।

परिजन और डा हिमांशु शेखर के बीच कहासुनी होते-होते मामला मारपीट में बदल गई। घटना की जानकारी मिलने के बाद रिम्स के चिकित्सा उपाधीक्षक डा. संजय कुमार सबसे पहले अस्पताल पहुंचे। उन्होंने कहा कि मरीज की मौत के बाद परिजनों ने आपा खो दिया। जिसके बाद मारपीट की घटना हुई। उन्होंने बताया कि जूनियर डाक्टरों के अनुसार महिला पीजी डाक्टर के साथ परिजनों ने बदतमीजी की है। उन्होंने आरोप लगाया कि परिजनों ने गाली-गलौज भी की है। साथ ही वहां तैनात महिला सुरक्षाकर्मी के साथ भी बदसलूकी की गई है। मारपीट के वक्त बरियातू थाने की पुलिस भी मौजूद थी, रिम्स के सामने ही पुलिस पिकेट भी है, लेकिन दर्जनों की संख्या में आक्रोशित डाक्टरों व परिजनों के सामने पुलिस वालों ने चुप्पी साधे रखना ही सही समझा। पुलिस मूकदर्शक बनी रही और डाक्टर व मरीज आपस में भिड़ते रहे।

रात 10:17 में पहुंचे निदेशक-उपाधीक्षक : इमरजेंसी सेवा ठप करने के बाद जूनियर डाक्टर स्ट्राइक मोड में आ गए और निदेशक को बुलाने की मांग करते रहें। रात के करीब 10:17 बजे निदेशक अपने कैली बंगले से निकल इमरजेंसी पहुंचे। साथ में अधीक्षक डा विवेक कश्यप भी रिम्स पहुंचे। इन सभी ने डाक्टरों से बात की और उन्हें सबसे पहले शव परिजनों को सौंपने को कहा, लेकिन किसी भी पीजी ने इसमें सहमति नहीं दिखायी और अपनी सुरक्षा की मांग की। साथ कहा कि जब तक रिम्स प्रबंधन की ओर से एफआइआर दर्ज नहीं कराया जाता है तब तक वे शव नहीं देंगे। इसके बाद निदेशक ने अधीक्षक कार्यालय में थाना प्रभारी को बुलाकर सारी चीजों को अवगत कराते हुए मारपीट करने वाले तीन-चार युवकों पर मामला दर्ज कराया। जेडीए अध्यक्ष डा विकास ने बताया कि प्रबंधन ने सारी मांगे मान ली है और इसके बाद शव लौटाया जा रहा है। निदेशक ने आश्वासन दिया है कि उन सभी की सुरक्षा को लेकर कड़े कदम उठाए जाएंगे।

परिजनों ने आरोप को बताया गलत : इधर, परिजनों ने भी पांच डाक्टरों के खिलाफ बरियातू थाने में मामला दर्ज कराया है। पूरा परिजन थाने में करीब ढाई घंटे तक जमा रहा। मृत महिला के पुत्र राजकुमार वर्मा ने बताया कि डाक्टरों ने जो आरोप लगाया है वो बिल्कुल गलत है। डाक्टरों ने मरीज का इलाज सही से नहीं किया। मरीज की सांसे चल रही थी, लेकिन उसे मृत घोषित कर दिया गया। जब पूछा गया तो उन सभी के साथ पहले धक्का-मुक्की और इसका विरोध करने पर मारपीट की गई। दूसरे बेटे अभिषेक वर्मा ने बताया कि किसी भी महिला डाक्टर के साथ बदतमीजी नहीं की गई है। डाक्टर मारपीट कर बेवजह आरोप लगा रहे है। उन्होंने बताया कि पांच डाक्टर और दर्जनों पीजी छात्रों ने तीन-चार परिजनों को जानवरों की तरह घेरकर मारा है।

बंद रही इमरजेंसी और थमती रही सांसें : ट्रामा सेंटर नहीं खुलने के बाद गंभीर मरीजों के जीवन का सहारा इमरजेंसी ही है। लेकिन इसे करीब साढ़े तीन घंटे तक बंद करने के बाद दर्जनों मरीजो को वापस लौटना पड़ा। इसी तरह तमाड़ सड़क हादसे में घायल दो मरीजोंं को भी इमरजेंसी में भर्ती नहीं किया गया। काउंटर में बैठे कर्मियों ने बताया कि डाक्टरों ने पर्ची काटने से मना किया है। इसके बाद इन घायलों को तुरंत एंबुलेंस से सदर अस्पताल ले जाया गया। दूसरे ओर कोडरमा से एक मरीज को सांस लेने में दिक्कत आ रही थी, परिजन हाथ जोड़ते रह गए लेकिन उसे भी भर्ती नहीं किया गया।

सांप और कुत्ता काटने के मामले को भी नहीं देखा डाक्टरों ने : डाक्टर जो मरीजों का इलाज करते हैं वे रविवार को अपने फर्ज से ही भागते नजर आए। हंगामे के बाद पुलिस कार्रवाई कर रही थी, प्रबंधन शांत करने में लगा था। लेकिन फिर भी इमरजेंसी बंद कर आपात सेवा जैसे इलाज भी बंद कर दी गई। इसमें गोला से आए विवेक आनंद को सांप ने काट लिया था लेकिन उसे एंटी स्नेक वेनम इंजेक्शन तक नहीं दिया गया। डाक्टरों ने देखने से इन्कार कर दिया। दूसरा मामला इसी तरह था, जिसमें ओरमांझी से आए मुकेश कुमार को भी एंटी रैबीज इंजेक्शन नहीं दी गई। दोनों मरीजों को थक हार कर सदर जाना पड़ा, लेकिन सदर में एंटी रैबीज इंजेक्शन नहीं मिला। बताया गया कि यह इंजेक्शन सोमवार को मिलेगा।


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