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पश्चिमी साहित्य का अनुसरण नहीं, बल्कि समानता की कोशिश करनी होगी : गीत चतुर्वेदी

हिन्दी साहित्य के लेखक कुछ नया करने से घबराते हैं। लेकिन विदेशी लेखक रिस्क उठाने से नहीं चूकते।

By JagranEdited By: Published: Sun, 07 Mar 2021 08:40 AM (IST)Updated: Sun, 07 Mar 2021 08:40 AM (IST)
पश्चिमी साहित्य का अनुसरण नहीं, बल्कि समानता की कोशिश करनी होगी : गीत चतुर्वेदी
पश्चिमी साहित्य का अनुसरण नहीं, बल्कि समानता की कोशिश करनी होगी : गीत चतुर्वेदी

राज्य ब्यूरो, रांची : हिन्दी साहित्य के लेखक कुछ नया करने से घबराते हैं। लेकिन विदेशी लेखक जोखिम उठाते हैं, जिसका हिदी साहित्य अनुसरण करता है। हम अभी भी पश्चिमी साहित्य से 20 से 30 साल पीछे हैं। हम संगीत, पेंटिग, फिल्म, आइटी, क्रिकेट सहित कई अन्य क्षेत्रों में आगे हैं, लेकिन हिदी साहित्य में पीछे हैं। इसलिए हमें कुछ ऐसा करना होगा कि हम भी वैश्विक स्तर पर हिदी साहित्य को पश्चिमी साहित्य की तरह पहुंचा सकें। उक्त बातें जानेमाने लेखक गीत चतुर्वेदी ने कलम कार्यक्रम के परिचर्चा के दौरान कही। होटल बीएनआर चाणक्य में कलम कार्यक्रम का आयोजन प्रभा खेतान फाउंडेशन की ओर से दैनिक जागरण अहसास के सहयोग से किया गया।

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पूर्वाग्रहों को तोड़ना होगा।

गीत चतुर्वेदी ने कहा कि हमें हिदी साहित्य के स्थानीय पूर्वाग्रहों को तोड़ना होगा। परंपरा और प्राचीनता के साथ हमें आधुनिकता की ओर बढ़ना होगा, लेकिन जब हम आधुनिकता की ओर बढ़ते हैं, तो अपनी परंपरा को भूल जाते हैं। इसलिए हिदी साहित्य लिखते समय हमें भारतीय कथा सागर, महाभारत, रामायण सहित अन्य साहित्यों से उद्धरण लेना चाहिए। लेखक गीत चतुर्वेदी ने कहा कि हिदी साहित्य को विदेशों में प्रोत्साहन नहीं मिला है। क्योंकि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर हिदी भाषी लोगों ने इसको बढ़ावा नहीं दिया है। जबकि हमारे देश के दूसरी भाषा वालों ने ऐसा खूब किया है।

पश्चिमी लोग हमारी संस्कृति और साहित्य को समझ नहीं पाते हैं। इसके कारण वे लोग भारतीय अंग्रेजी लेखक को ही विकल्प मानते हैं। हमें हिदी साहित्य को बढ़ावा देते हुए पश्चिमी साहित्य का मुकाबला करना होगा। आसान काम नहीं है लेकिन हमें करना ही होगा। उन्होंने कहा कि पश्चिमी व हिदी साहित्य की तुलना नहीं की जा सकती है। दोनों की खूबसूरती अलग-अलग हैं। बचपन में रॉक स्टार बनने की ख्वाहिश रखने वाले गीत चतुर्वेदी ने एक सवाल पर कहा कि अगर उन्हें मौका मिला तो वे बॉलीवुड के लिए गीत लिख सकते हैं। इस कार्यक्रम का संचालन पूनम आनंद और रश्मि ने किया। वहीं, धन्यवाद ज्ञापन सीमा सिंह ने किया। इस दौरान रांची के कई सहित्यकार मौजूद रहे।

लेखक गीत चतुर्वेदी का परिचय

मुंबई में जन्मे गीत चतुर्वेदी को पिता आरके चतुर्वेदी भी साहित्यकार हैं। घर में पढ़ाई का माहौल होने की वजह से उन्हें लेखन में रूचि जगी। उन्होंने 13 साल की उम्र से लेखन शुरू किया। अबतक उनकी 11 किताबें प्रकाशित हो चुकी है। उनकी कविता संग्रह न्यूनतम मैं बेस्ट सेलिग रही। इनकी रचनाओं का अनुवाद देश-दुनिया की 22 भाषाओं में हो चुका है। इनके नॉवेला सिमसिम के अंग्रेजी अनुवाद को अंतरराष्ट्रीय संस्था पेन अमेरिका ने पेन हैम ट्रांसलेशन ग्रांट अवार्ड दिया है। गीत चतुर्वेदी हिदी, अंग्रेजी, मराठी, स्पेनिश, सिधी और संस्कृत के जानकार हैं।


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