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RPF अधिकारी के आवास पर यौन शोषण मामले की जांच करने हाजीपुर से रांची पहुंचे DIG

पूर्व मध्य रेलवे के उप मुख्य सुरक्षा आयुक्त के रांची स्थित आवास पर किशोरी के साथ हुए यौन शोषण के मामले में जांच करने के लिए डीआइजी डीके मौर्या शुक्रवार को रांची पहुंच गए हैं। उन्हें रेस्ट हाउस में ठहराया गया है।

By Vikram GiriEdited By: Published: Sat, 19 Jun 2021 08:26 AM (IST)Updated: Sat, 19 Jun 2021 08:27 AM (IST)
RPF अधिकारी के आवास पर यौन शोषण मामले की जांच करने हाजीपुर से रांची पहुंचे DIG। जागरण

रांची, जासं। पूर्व मध्य रेलवे के उप मुख्य सुरक्षा आयुक्त के रांची स्थित आवास पर किशोरी के साथ हुए यौन शोषण के मामले में जांच करने के लिए डीआइजी डीके मौर्या शुक्रवार को रांची पहुंच गए हैं। उन्हें रेस्ट हाउस में ठहराया गया है। माना जा रहा है कि शनिवार को डीआइजी डीके मौर्या इस मामले में आरोपी जवान से पूछताछ करेंगे। दूसरी तरफ, चुटिया थाना और गोंदा थाना की पुलिस ने पीड़ित किशोरी के मां के घर कडरू पहुंची और उससे पूछताछ की है। पुलिस भी इस मामले की जांच में जुट गई है।

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हालांकि, अब तक प्राथमिकी दर्ज नहीं हो पाई है। यही नहीं, चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (सीडब्लूसी) ने अब तक किशोरी का बयान भी दर्ज नहीं कराया है। सीडब्ल्यूसी ने किशोरी को 15 जून को पूछताछ के लिए बुलाया था। मगर, चार दिन गुजर जाने के बाद भी अब तक इस मामले में किसी तरह की कोई प्रगति नहीं हो पाई है। यही नहीं, पीड़ित किशोरी से उसकी मां को भी नहीं मिलने दिया गया। प्राथमिकी दर्ज नहीं होने से किशोरी से यौन शाेषण के आरोपी आरपीएफ आरक्षी पर भी अब तक किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है। दूसरी तरफ, पीड़ित किशोरी की मां का कहना है कि उसकी बेटी के साथ आरोपी जवान छेड़छाड़ किया करता था। दुष्कर्म नहीं हुआ था।

गौरतलब है कि पूर्व मध्य रेलवे के उप मुख्य सुरक्षा आयुक्त मो. शाकिब के आवास पर रहने वाली किशोरी से यौन शोषण का मामला छह जून को सामने आया। आवास पर तैनात पूर्व मध्य रेलवे के आरपीएफ आरक्षी शंभू ठाकुर पर किशोरी ने यौन शोषण का आरोप लगाया। इसकी सूचना आरपीएफ के हाजीपुर हेडक्लवार्टर में तैनात आइजी को मिली तो उन्होंने मामले की जांच करने के लिए गोमो में तैनात आरपीएफ महिला अधिकारी कार्तिक बिंझा को मामले की जांच करने के लिए भेजा। बताते हैं कि आरपीएफ महिला अधिकारी ने पीड़ित किशोरी से छह घंटे तक पूछताछ की और उसके बयान की वीडियो रिकार्डिंग भी कराई। मामले की जांच होने और पीड़ित द्वारा आरपीएफ के आरक्षी के खिलाफ बयान देने के बाद उप मुख्य सुरक्षा अधिकारी ने इस मामले में खुद कार्रवाई करते हुए आरक्षी को बर्खास्त कर दिया। इसके बाद, मामला दबा रहा।

मगर, 15 जून को मामला मीडिया में आने के बाद सीडब्ल्यूसी ने पीड़ित किशोरी को ले जाकर शेल्टर होम में रखा है। पीड़ित की मां किशोरी से मिलने गई थी मगर उसे भी पीड़ित से नहीं मिलने दिया गया है। सीडब्लूसी चार दिनों से पीड़िता की काउंसिलिंग कर रही है। सीडब्लूसी का कहना है कि काउंसलिंग के बाद ही प्राथमिकी दर्ज कराई जाएगी। मामले में अब तक कार्रवाई नहीं होने से पूरा मामला सवालों के घेरे में है। जहां इस मामले में प्राथमिकी दर्ज नहीं कराने पर आरपीएफ अधिकारी पर सवाल उठे हैं। वही गलती अब सीडब्लूसी भी दोहरा रही है। चार दिनों में अब तक पीड़िता का बयान दर्ज नहीं होने और प्राथमिकी दर्ज नहीं होने का लाभ आरोपी को मिल रहा है। ये चर्चा थी कि सीडब्लूसी 16 जून को किशोरी का बयान लेकर प्राथमिकी दर्ज करा देगी। मगर, बाद में पता चला कि अभी प्राथमिकी दर्ज नहीं होगी।सीडब्ल्यूसी का कहना है कि मामले में किशोरी की काउंसलिंग के बाद प्राथमिकी दर्ज कराई जाएगी।

लोकलाज के डर से नहीं दर्ज करा रही थी प्राथमिकी

पीड़ित किशोरी की मां का कहना है कि घटना वाले दिन उप मुख्य सुरक्षा आयुक्त ने उन्हें सब कुछ बताया था। जानकारी मिलने के बाद पीड़िता की मां उनके आवास पर गई थीं जहां पीड़िता ने अपनी मां को रो रो कर आरोपी जवान की करतूत बताई थी। पीड़िता की मां का कहना है कि उसने ही आरपीएफ अधिकारी को इस मामले में प्राथमिकी दर्ज नहीं कराने को कहा था। क्योंकि, प्राथमिकी दर्ज होने पर समाज में बदनामी का डर था। मगर, अब जब मामला तूल पकड़ रहा है। मां का कहना है कि उसकी बेटी 15 साल की है।

फेसबुक व इंस्टाग्राम पर फोटो डालने की देता था धमकी

पीड़ित किशोरी ने आरपीएफ की महिला अधिकारी को जांच के दौरान बताया था कि आरोपी जवान उसकी फोटो लेकर फेसबुक व इंस्टाग्राम पर डालने की धमकी देता था। धमकी देकर ही उसके साथ यौन शोषण करता था। पीड़िता डर की वजह से ये बात न तो उप मुख्य सुरक्षा आयुक्त को बता सकी और ना ही अपनी मां को।

लीपापोती में जुटे हैं पूम रेलवे के आरपीएफ अधिकारी

पूर्व मध्य रेलवे हाजीपुर के आरपीएफ अधिकारी मामले की लीपापोती में जुटे हैं। आरोपी जवान की हड़बड़ी में बिना जांच किए ही बर्खास्तगी वापस ले ली गई है। जानकारों का मानना है कि जब जवान को पीड़िता के साथ यौन शोषण के आरोप में बर्खास्त कर ही दिया गया था तो जांच के बाद ही आगे की कार्रवाई करनी चाहिए थी। दूसरी तरफ, आरोपी जवान शंभू ठाकुर का कहना है कि वो बेकसूर है। किसी भी जांच का सामना करने को तैयार है। दुश्मनी में उसे फंसाया गया है। उपमुख्य सुरक्षा आयुक्त के साथ उसकी क्या दुश्मनी है इस बारे में उसने कुछ नहीं बताया।

मामले की जांच हो रही है। डीआइजी डीके मौर्य जांच कर रहे हैं। अभी जवान को निलंबन में रखा गया है। उस पर गंभीर आरोप हैं। अगर, जांच में वो दोषी पाया जाता है तो उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। -सर्वप्रिय मयंक, मुख्य सुरक्षा आयुक्त


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