Devutthana Ekadashi: देवोत्थान एकादशी आज, महिलाएं-पुरुषों के साथ बच्चों ने भी रखा व्रत
Devutthana Ekadashi 2020 पंडित राकेश उपाध्याय ने बताया कि इस पर्व का हमारे धर्म शास्त्रों में विशेष महत्व है। भगवान विष्णु चार माह के शयनकाल से जागते हैं। तुलसी के संग भगवान शालीग्राम की शादी होती है। इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है।
रांची, जासं। देवोत्थान एकादशी का त्यौहार बुधवार को पूरे विधि-विधान से मनाया जा रहा है। यह वर्ष की सबसे प्रमुख एकादशी मानी जाती है। परिवार में महिलाएं, पुरुषों के साथ-साथ बच्चों ने भी एकादशी का व्रत रखा है। सुबह स्नान आदि करने के बाद भगवान नारायण की पूजा-अर्चना प्रारंभ हो गई है। कई जगह विष्णु सहस्त्रनाम का जाप हो रहा है। पंडित राकेश उपाध्याय ने बताया कि इस पर्व का हमारे धर्म शास्त्रों में विशेष महत्व है।
भगवान विष्णु चार माह के शयनकाल से जागते हैं। तुलसी के संग भगवान शालीग्राम की शादी होती है। इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है। इसके पुण्य से व्यक्ति को स्वर्ग की प्राप्ति होती है। कार्तिक मास बड़ा ही महत्वपूर्ण महीना होता है। इसी माह में देवउठनी एकादशी शुक्लपक्ष के एकादशी को विधि पूर्वक की जाती है। इसकी महता पर पंडित राकेश उपाध्याय ने कहा कि प्राचीन काल में एक राजा थे जिनके राज्य में एकादशी व्रत किया जाता था। इस दिन पूरे राज्य में कोई भी अन्न ग्रहण नहीं करता था।
एक व्यक्ति नौकरी मांगने राजा के दरबार में आया। राजा ने कहा कि नौकरी तो मिलेगी पर एकादशी के दिन अन्न नहीं मिलेगा। राजा के शर्त को मानकर वह व्यक्ति नौकरी करने लगा। एकादशी व्रत आया। राजा ने फलाहार दिया। परंतु उससे उसकी भूख नहीं मिटी। उसने राजा से अनाज की मांग की। राजा ने अपनी शर्त दोहराई। इसपर व्यक्ति ने कहा कि मेरी भूख नहीं मिटी तो मर जाऊंगा। राजा ने उसे आटा-दाल व चावल दिया। इसे लेकर वह नदी के तट पर गया।
भोजन बनाकर भगवान विष्णु की आराधना की। भगवान विष्णु आए तो उन्हें भोजन करा दिया। इसी प्रकार अगले एकादशी व्रत के दिन अधिक अनाज की मांग की। राजा को सारी बातें बताई। राजा ने अनाज दिया व साथ में जाकर एक पेड़ की ओट में छिप गए। जब भोजन तैयार हो गया तो भगवान विष्णु नहीं आए। इसपर वह व्यक्ति बोला कि यदि आप नही आएंगे तो मैं नदी में कूद कर जान दे दूंगा। यह सुनकर भगवान विष्णु प्रकट हुए व भोजन किया। उसके बाद अपने साथ ही उस व्यक्ति को स्वर्ग ले गए। तब से इस एकादशी व्रत का महत्व बढ़ गया।
कई परिवारों में पहली बार किया जाएगा ईख का सेवन
कई परिवारों में आज पहली बार ईख का सेवन किया जाएगा। ऐसी मान्यता है कि एकादशी से पहले ईख का उपयोग करना श्रेष्ठकर नहीं है। लिहाजा इसके लिए निर्धारित तिथि का इंतजार किया जाता है।