राष्ट्रहित को ध्यान में रखकर देवर्षि नारद करते थे पत्रकारिता
देवर्षि नारद हमेशा राष्ट्रहित को ध्यान में रखकर पत्रकारिता करते थे। वे तीनों लोको मेंजाते थे।
जासं, रांची : देवर्षि नारद हमेशा राष्ट्रहित को ध्यान में रखकर पत्रकारिता करते थे। वे तीनों लोको में जाकर समाचार लेने वे देने का काम करते थे। उनकी ओर से दिए गए समाचार पर कभी भी प्रश्नचिह्न खड़ा नहीं हुआ। इसलिए आज भी उन्हीं के पदचिह्नों पर चलते हुए पत्रकारिता करने की जरूरत है। समय की मांग है कि आज के पत्रकार भी राष्ट्रहित को ध्यान में रखते हुए सकारात्मक पत्रकारिता करें। ये बातें विश्व संवाद केंद्र, झारखंड के अध्यक्ष रामअवतार नारसरिया ने कही। वे शनिवार को नारद जयंती के अवसर पर विश्व संवाद केंद्र की ओर से आयोजित ऑनलाइन कार्यक्रम में अपनी बात रख रहे थे। लॉकडाउन के कारण इस बार पत्रकार सम्मान समारोह सहित अन्य कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया था।
नारसरिया ने कहा कि लोक कल्याण के लिए जिस तरह देवर्षि नारद पत्रकारिता करते थे, उसी अनुसार आज के पत्रकारों को भी करने की जरूरत है। देश में जो भी घटनाएं घट रही हो उसके तह में जाने की जरूरत है। उदाहरण देते हुए कहा कि कुछ समाचार पत्र एवं इलेक्ट्रोनिक मीडिया इस काम को कर भी रहे हैं। उन्होंने महाराष्ट्र के पालघर की घटना को पूरी तरह उजागर करने की बात कही। पत्रकारों के प्रथम पुरोधा हैं देवर्षि नारद
नारसरिया ने कहा कि देवíष नारद धर्म के प्रचार तथा लोक-कल्याण हेतु सदैव प्रयत्नशील रहते थे। शास्त्रों में इन्हें भगवान का मन कहा गया है। वे दुनिया के प्रथम पत्रकार या पहले संवाददाता हैं, क्योंकि देवíष नारद ने इस लोक से उस लोक में परिक्रमा करते हुए संवादों के आदान-प्रदान द्वारा पत्रकारिता का प्रारंभ किया। इस प्रकार देवíष नारद पत्रकारिता के प्रथम पुरोधा पुरुष हैं। जो इधर से उधर घूमते हैं तो संवाद का सेतु ही बनाते हैं। जब सेतु बनाया जाता है तो दो बिंदुओं या दो सिरों को मिलाने का कार्य किया जाता है। उन्होंने कहा कि रामावतार से लेकर कृष्णावतार तक नारद की पत्रकारिता लोकमंगल की ही पत्रकारिता और लोकहित का ही संवाद-संकलन है।