उग्रवादी हिंसा में मारे गए दूसरे राज्य के निवासी के आश्रितों को भी झारखंड में नौकरी Ranchi News
Jharkhand. मुख्यमंत्री के पास इसकी अनुमति के लिए फाइल पहुंची है। गृह विभाग ने तैयार प्रस्ताव पर सहमति दे दी है। अब तक झारखंड में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।
रांची, [दिलीप कुमार]। उग्रवादी हिंसा में मारे गए दूसरे राज्य के निवासी को भी झारखंड में नौकरी व अनुग्रह अनुदान देने की तैयारी है। अब तक ऐसी व्यवस्था नहीं होने से दूसरे राज्य के निवासियों को झारखंड सरकार की नीति का लाभ नहीं मिल रहा है। मृतकों के ऐसे आश्रितों के आवेदन जब सरकार के पास पहुंचे, तो सरकार ने विचार करना शुरू किया। इसके बाद गृह विभाग ने प्रस्ताव तैयार किया और फाइल मुख्यमंत्री के पास भेजा गया है।
अब मुख्यमंत्री की अनुमति के बाद उक्त फाइल की कानूनी प्रक्रिया पूरी होगी। गृह विभाग ने तैयार प्रस्ताव में लिखा है कि राज्य में हुई उग्रवादी हिंसा में मारे जाने वाले राज्य के बाहर के सामान्य निवासी के आश्रित परिवार के एक सदस्य को भी झारखंड के निवासी की तरह ही अनुग्रह अनुदान व नौकरी पर विचार होना चाहिए।
इस प्रस्ताव पर कार्मिक, प्रशासनिक सुधार एवं राजभाषा विभाग, योजना सह वित्त विभाग, विधि विभाग की सहमति मिल चुकी है। नौ ऐसे लोग जो दूसरे राज्यों के रहने वाले थे, लेकिन झारखंड में उग्रवादी हिंसा के शिकार हुए थे, उनके आश्रितों के आवेदन के बाद ही यह मामला आगे बढ़ा है।
ये हैं झारखंड में उग्रवादी हिंसा में मारे गए दूसरे राज्य के निवासी :
- नीरज कुमार (बिहार) : 25 नवंबर 2011 को मारे गए।
- गुडडू राठौर (बिहार) : 14 जून 2015 को मारे गए।
- प्रह्लाद सिंह राठौर (मध्य प्रदेश) : 30 मार्च 2018 को मारे गए।
- मोबारिक खां (राजस्थान) : 16 अगस्त 2014 को मारे गए।
- सुधीर कुमार झा (बिहार) : 20 अप्रैल 2014 को मारे गए।
- अंदेरियस लोमगा (ओडिशा) : 09 सितंबर 2014 को मारे गए।
- सुनील कुमार राय (छत्तीसगढ़) : 14 जून 2017 को मारे गए।
- अमित कुमार (बिहार) : 24 अप्रैल 2014 को मारे गए।
- विशाल साड़वे (महाराष्ट्र) : 30 मार्च 2018 को मारे गए।