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रिम्स ओपीडी से मरीजों के रहते ही डॉक्टर हो जाते हैं नदारद

जागरण संवाददाता रांची रिम्स के ओपीडी में मरीजों कों इलाज कराने में काफी परेशानियों का सामना करना पडता है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Nov 2019 10:53 PM (IST)Updated: Wed, 20 Nov 2019 10:53 PM (IST)
रिम्स ओपीडी से मरीजों के रहते ही डॉक्टर हो जाते हैं नदारद

जागरण संवाददाता, रांची :

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रिम्स के ओपीडी में मरीजों कों इलाज कराने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। घंटों लाइन में लगने के बाद पता चलता है डॉक्टर साहब चले गए। एक तो काफी मशक्कत के बाद पर्चा कटवाया जाता है। फिर डॉ साहब के चेंबर के सामने लंबी लाइन और फिर जब लंबे समय बाद बारी आती है तो डॉक्टर साहब ही नहीं मिलते।

जबकि ओपीडी का समय शाम पांच बजे तक है। लेकिन डॉक्टर पांच बजे से पहले ही ओपीडी से उठ जाते हैं। यह रोजाना का मामला है।

रिम्स में दैनिक जागरण के संवाददाता को इसकी जानकारी मिली तो इसकी पड़ताल की। लगातार दो दिन ओपीडी में नजर रखने के बाद यह पाया गया कि शाम चार बजे के बाद से ही अधिकांश ओपीडी से सीनियर डॉक्टर गायब मिले। बुधवार को नेत्र रोग ओपीडी से डॉक्टर शाम के 4:18 बजे ही निकल गए। मरीज सिर्फ जूनियर डॉक्टरों के भरोसे थे। जबकि सीनियर डॉक्टर के निकलने के 10 मिनट के बाद ही वे भी निकल गए। वहीं मंगलवार को भी 4:15 में डॉक्टर निकल चुके थे। नेत्र ओपीडी के सामने इनएटी ओपीडी से सीनियर और जूनियर डॉक्टर 4:32 बजे निकल गए। ओपीडी के सामने खड़े सुरक्षाकर्मी ने बताया कि जब डॉक्टर जा रहे थे तब कुछ मरीज लाइन में खड़े थे।

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स्कीन ओपीडी में पौने पांच बजे लटक गया था ताला

इधर, स्कीन ओपीडी में 4:45 बजे ताला लटका था। आर्थो में 4:30 के बाद सिर्फ कुछ जूनियर डॉक्टर ही थे। सिर्फ सर्जरी, न्यूरो और स्त्री रोग विभाग में सीनियर और जूनियर डॉक्टर बैठे थे। डेंटल में भी सिर्फ कुछेक डॉक्टर्स ही बैठे थे, जबकि अधिकांश डॉक्टर घर जा चुके थे। -------

निदेशक की बातों का नहीं किसी को ध्यान

रिम्स निदेशक डॉ. डीके सिंह लगातार रिम्स में टाइम को लेकर डॉक्टरों व कर्मचारियों को दिशा निर्देश देते हैं। लेकिन इसपर कोई ध्यान नहीं देता। कुछ डॉक्टर तो समय से पहुंचते तक नहीं लेकिन समय खत्म होने से पहले ही ड्यूटी से नदारद हो जाते है। हाईकोर्ट भी रिम्स में डॉक्टरों के कैजुअल अप्रोच को लेकर टिप्पणी कर चुकी है। मरीजों को होती है परेशानी

दिन भर लाइन में खड़े रहने पर जब मरीज का इलाज नहीं हो पाता तो उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। मरीज दूसरे जिले से भी इलाज कराने लिए रिम्स पहुंचते है। लेकिन उनका इलाज नहीं हो पाता। दूसरे जिले से आने वाले मरीजों का रिम्स के आसपास रहने की भी व्यवस्था नहीं होती। किसी तरह रिम्स परिसर में रात बिताने को मजबूर होते है। अगर एक दिन में ही सभी मरीजों का इलाज हो जाए तो मरीजों को इतनी परेशानी नही होगी। ------

ज्यादा मरीजों का इलाज हो सके इसलिए एक घंटे भी बढ़ाया गया

रिम्स निदेशक ने मरीजों की परेशानी देखते हुए ओपीडी आवर में एक घंटे की बढ़ोतरी की है। लेकिन इसका फायदा उन्हें तब मिलेगा जब सभी डॉक्टर्स इसका पालन करेंगे। पहले ओपीडी में मरीजों का इलाज छह घंटे होता था। डॉक्टरों के लंच आवर में कटौती करते हुए इसे सात घंटा किया गया। लेकिन मरीजों को इसका फायदा नहीं मिल रहा है। -------

सभी सीनियर डॉक्टरों को ड्यूटी में समय खत्म होने तक रहने का निर्देश दिया गया है। अगर कोई समय से पहले ओपीडी से चले जाते हैं तो मरीज या परिजन इसकी जानकारी प्रबंधन को दें, उक्त डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

-डॉ. डीके सिंह, निदेशक रिम्स।


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