Court Marriage: बिन फेरे हम तेरे का बढ़ा क्रेज, रांची में लॉकडाउन में हुए 460 कोर्ट मैरिज
Jharkhand पारंपारिक शादी के इतर युवा वर्ग को कोर्ट मैरिज भा रहा है। 2020 में अब तक कुल 865 जोड़े एक दूजे के हुए। करीब चार माह बाद दोबारा कोर्ट मैरेज आरंभ हुआ तो मैरेज के लिए आवेदन के बाढ़ आ गए।
रांची, जासं। हिंदू धर्म की रीति व परंपरा के मुताबिक सात फेरे लिए बिना शादी पूर्ण नहीं मानी जाती है। प्रत्येक फेरे के साथ परस्पर सम्मान व स्नेह का वचन दिया जाता है। एक जन्म तो क्या सात जन्मों तक साथ निभाने की कसमें खाई जाती हैं। ये प्रचलन अब पीछे छूट रहा है। बदले समय में युवाओं को झट मंगनी, पट विवाह पसंद है। तामझाम और आडंबर से दूर कोर्ट मैरेज का प्रचलन बढ़ा है।
90 के दशक में जहां कोर्ट मैरेज को समाज अच्छी नजरों से नहीं देखता था, अब रांची में ही प्रतिमाह सौ से ज्यादा जोड़े बिन फेरे कोर्ट मैरेज कर एक दूजे के हो रहे हैं। कोरोना संक्रमण का दौर शुरू होने पर मार्च से जून 2020 तक कचहरी चौक स्थित मुख्य निबंधन कार्यालय में कोर्ट मैरेज बंद कर दिया गया था। करीब चार माह बाद दोबारा कोर्ट मैरेज आरंभ हुआ तो मैरेज के लिए आवेदन के बाढ़ आ गए। जुलाई से अक्टूबर तक 460 जोड़े कोर्ट मैरेज कर एक दूजे के हुए।
समय के साथ बढ़ रहा क्रेज
कोर्ट मैरेज का क्रेज बढऩे के पीछे समाजिक बंधन भी प्रमुख वजह है। अमूमन परिवार व समाज जाति, धर्म के इतर शादी की इजाजत नहीं देता है। कह सकते हैं दूसरी जाति व धर्म में शादी करने के लिए बड़े पापड़ बेलने पड़ते हैं। फिर भी समाज इस शादी को स्वीकार करेगा की नहीं, इस पर शंका बनी रहती है। ऐसे में प्रेमी जोड़ा कोर्ट मैरेज का रास्ता अपना रहे हैं।
बिना किसी अपनी खिचखिच पसंद पर सरकारी मुहर लग जाती है। एक बार कोर्ट मैरेज हो गई तो फिर देर सबेर परिवार और समाज को यह गठबंधन स्वीकार करना ही पड़ता है। आंकड़ों की बात करें तो साल 2016 में 1464, 2017 में 1693, 2018 में 1577 जोड़े ने कोर्ट मैरेज किया। 2020 में अब तक कोर्ट मैरेज का आंकड़ा 865 पहुंच चुका है। आवेदनों पर प्रक्रिया तेजी से जारी है।