झारखंड के गेतलसूद डैम में लगेगा देश का दूसरा सबसे बड़ा फ्लोटिंग सोलर पावर प्लाट
झारखंड के डैम/जलाशय अब गैर पारंपरिक ऊर्जा के स्रोत बनेंगे।
रांची, मनोज कुमार सिंह। जल संरक्षण की अवधारणा को लेकर बने झारखंड के डैम/जलाशय अब ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत बनेंगे। पेयजल, सिंचाई और मत्स्य पालन के साथ ही अब यहां से बिजली भी पैदा होगी, जिससे चौक-चौराहे और हमारे घर जगमगाएंगे।
जलाशयों से पहले फेज में 150 मेगावाट बिजली उत्पादित कर नजदीकी ग्रिडों को दिया जाएगा। सौर ऊर्जा पैदा करने के लिए धुर्वा और गेतलसूद में तैरने वाले प्लेटफॉर्म पर सोलर पैनल लगाए जाने हैं। इसकी लागत साढ़े चार करोड़ रुपये प्रति मेगावाट आएगी।
जरेडा की योजना, सेकी का साथ : झारखंड रिन्युअल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी (जरेडा) ने डैम/जलाशय में सोलर प्लेट लगाने की योजना बनाई है। सोलर एनर्जी कारपोरेशन ऑफ इंडिया (सेकी) इसमें तकनीकी मदद कर रहा है। सोलर पैनल से बिजली उत्पादन की महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए राची के धुर्वा व गेतलसूद डैम का सर्वे पूरा कर लिया गया है।
अफसरों ने की जांच-परख : जरेडा व सेकी के अधिकारियों ने सौर ऊर्जा की संभावना तलाशने को कई जिलों में जलाशयों की जांच-परख की है। 21 व 22 अगस्त को टीम ने सिमडेगा के तीन डैम, गुमला में एक व राची के दो डैम का दौरा किया। पहले फेज में राची के गेतलसूद डैम में 100 और धुर्वा डैम में 50 मेगावाट का सोलर पैनल लगाने का निर्णय किया है। परियोजना को अमल में लाने के लिए जलसंसाधन और पर्यावरण विभाग से एनओसी लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
पहले केरल अब झारखंड में हकीकत बनेगी योजना : चीन और सिंगापुर में फ्लोटिंग प्लेटफॉर्म पर सोलर पैनल लगाकर सौर ऊर्जा उत्पादन का प्रोजेक्ट चल रहा है। इससे पहले केरल के बाणासुर सागर बांध में बीते साल देश का पहला तैरता हुआ पावर प्लांट लगाया जा चुका है। धुर्वा डैम के सोलर पैनल को हटिया ग्रिड और गेतलसूद डैम के सोलर पैनल को सिकिदरी से जोड़ा जाएगा। डैम में सोलर पैनल लगाने से जमीन की बचत होगी। नौका विहार के साथ ही फ्लोटिंग पावर प्लांट आकर्षण का केंद्र बनेगा।
पानी के घटते-बढ़ते स्तर का नहीं पड़ेगा फर्क, 25 साल तक चलेंगे सोलर पैनल : डैम के क्षेत्रफल के दस फीसद पर फ्लोटिंग सोलर पैनल लगाने की योजना है। पावर प्लाट की सबसे खास बात यह है कि डैम में पानी के घटते-बढ़ते स्तर के बावजूद यह खुद अपनी जगह बनाकर बिजली का निर्माण करता रहेगा। पानी के बीचोबीच होने के कारण जमीन पर लगने वाले प्लाट की तुलना में इसके पैनल पर कम धूल जमेगी। जिससे बिजली उत्पादन निर्बाध चलता रहेगा। इसके लगने से मछली पालन पर भी कोई असर नहीं होगा। सर्वे के मुताबिक डैम का पानी खारा नहीं है, ऐसे में सोलर पैनल की आयु लंबी रहेगी। पानी में लगाए जाने से सोलर पैनल ठंडा भी रहेगा और बिजली का उत्पादन ज्यादा होगा। सोलर पैनल 25 साल तक इस्तेमाल किए जा सकेंगे।
सालभर में पूरा होगा प्रोजेक्ट : जरेडा के मुताबिक सालभर में यह प्रोजेक्ट पूरा हो जाएगा। डीपीआर की तैयारी की जा रही है। पहले फेज में धुर्वा और गेतलसूद के बाद चाडिल, मैथन, तिलैया डैम में भी सोलर पैनल लगेगा। पीपीपी मोड में निर्माण करने वाली कंपनी यहां से उत्पादित बिजली बेच सकेगी। 25 साल के लिए बिजली दर का निर्धारण राज्य सरकार करेगी
फैक्ट फाइल : 4.5 करोड़ रुपये प्रति मेगावाट आएगी लागत-12 माह में पूरा होगा प्रोजेक्ट-10 फीसद डैम के क्षेत्रफल में लगेंगे सोलर पैनल- 100 मेगावाट का सोलर पैनल लगेगा गेतलसूद डैम में-50 मेगावाट का सोलर पैनल लगेगा धुर्वा डैम में